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Germany: 'यूक्रेन के खिलाफ उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती नामंजूर', जी20 बैठक से पहले बोले जर्मन चांसलर शोल्ज

एजेंसी, रियो Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Tue, 19 Nov 2024 12:17 AM IST
सार

जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने कहा, मैं दोहरे इस्तेमाल वाली चीजों की बात लगातार करता रहा हूं क्योंकि इस बारे में अलग-अलग व्यवहार होता है, लेकिन हम इसे लेकर मासूम नहीं बन सकते। मैं जिनपिंग को यह भी कहने वाला हूं कि यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती अस्वीकार्य है। यह बेहद खराब बदलाव है।

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Before G20 summit German Chancellor Scholz says deployment of North Korean troops against Ukraine unacceptabl
जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने जी20 बैठक से पहले कहा कि वह इस शिखर बैठक से इतर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से होने वाली बैठक में दोहरे इस्तेमाल वाले सामान की आपूर्ति और यूक्रेन युद्ध में रूस की ओर से उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती का मुद्दा उठाएंगे।

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पत्रकारों से शोल्ज ने कहा, मैं दोहरे इस्तेमाल वाली चीजों की बात लगातार करता रहा हूं क्योंकि इस बारे में अलग-अलग व्यवहार होता है, लेकिन हम इसे लेकर मासूम नहीं बन सकते। मैं जिनपिंग को यह भी कहने वाला हूं कि यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती अस्वीकार्य है। यह बेहद खराब बदलाव है।
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अलग-अलग देशों को मुक्त व्यापार सौदे करने से रोकना चाहिए
शोल्ज ने इस मौके पर यूरोपीय यूनियन के देशों से अपील की कि वह अलग-अलग किसी देश से मुक्त व्यापार समझौते करने की परंपरा छोड़ें और ईयू ही किसी भी देश के साथ ऐसे समझौते करे। शोल्ज ने दक्षिण अमेरिका के मेरकोसर ब्लॉक के साथ ऐसे समझौते को जल्द अंतिम रूप देने की अपील भी ईयू से की।

जिनपिंग ने जी20 में वैश्विक दक्षिण के प्रति सहयोग की घोषणा की
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान वैश्विक दक्षिण के प्रति समर्थन बढ़ाने की घोषणा की। चीन के सरकारी टीवी चैनल सीसीटीवी ने यह जानकारी दी। सम्मेलन में अपने पहले संबोधन में जिनपिंग ने कहा, चीन आठ तरीकों से वैश्विक दक्षिण के प्रति समर्थन बढ़ाएगा। इनमें उच्च गुणवत्ता वाला बेल्ट एंड रोड पहल शामिल है। बीआरआई जिनपिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसके तहत वह विकासशील देशों को अरबों डॉलर की मदद बुनियादी ढांचा विकास के लिए देते हैं। हालांकि उनकी इस योजना का कई देश यह कहकर विरोध कर रहे हैं कि यह विकासशील देशों को आर्थिक रूप से अपना गुलाम बनाने की चीन की साजिश है।

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