आखिर क्यों इन धमाकों ने श्रीलंका में 25 साल तक चले गृह युद्ध की याद दिला दी?
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ईस्टर संडे के दिन रविवार को श्रीलंका में कई जगह बम धमाके हुए। अभी तक मरने वालों की संख्या 167 से अधिक हो चुकी है। वहीं 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इन धमाकों से श्रीलंका के लोगों में वही पुराना डर दिखा, जो आज से कई साल पहले तक दिखा करता था। यहां करीब 25 सालों तक गृह युद्ध चला। जिसमें आए दिन लोगों की जान जाती थी।
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ईस्टर संडे के दिन रविवार को श्रीलंका में कई जगह बम धमाके हुए। अभी तक मरने वालों की संख्या 167 से अधिक हो चुकी है। वहीं 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इन धमाकों से श्रीलंका के लोगों में वही पुराना डर दिखा, जो आज से कई साल पहले तक दिखा करता था। यहां करीब 25 सालों तक गृह युद्ध चला। जिसमें आए दिन लोगों की जान जाती थी।
हजारों सैनिकों की मौत
इस गृह युद्ध की शुरुआत वेलुपिल्लई प्रभाकरण ने की थी। उसने कुछ साथियों के साथ मिलकर 'लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम' लिट्टे नाम का एक संगठन बनाया था। लिट्टे 1980 का दशक आते आते सबसे बड़ा और मजबूत तमिल आतंकवादी संगठन बन चुका था। लिट्टे ने कई सामूहित हत्याओं को अंजाम दिया था। इस संगठन ने श्रीलंका को कई बार बम धमाकों से दहलाया।
निहायती खतरनाक व्यक्ति
लिट्टे के संस्थापक प्रभाकरण को श्रीलंका में अभी तक का सबसे खतरनाक आदमी माना जाता है। उसने सैकड़ों राजनीतिक हत्याओं, कई आत्मघाती हमलों, हजारों लोगों और सैनिकों की मौत को अंजाम दिया था। एक मीडिया रिपोर्ट पर आधारित आंकड़े बताते हैं कि 25 साल तक चले गृह युद्ध में लाखों लोगों की जान गई।
राजीव गांधी की हत्या
ऐसा माना जाता है कि भारतीय प्रधानमंत्री के तौर पर 1980 के दशक में श्रीलंका में शांति रक्षक बल भेजने के राजीव गांधी के फैसले से प्रभाकरण नाराज था। और उनसे बदला लेने के लिए उसने उनकी हत्या करवा दी। प्रभाकरण श्रीलंका के राष्ट्रपति की हत्या का प्रयास भी कर चुका था।
श्रीलंका में अमेरिका जैसा हमला
प्रभाकरण का अंत
प्रभाकरण की मौत के बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने वहां की संसद में एलान किया कि अब श्रीलंका में कोई अल्पसंख्यक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अब श्रीलंका में केवल दो लोग होंगे, एक वो जो अपने देश को प्यार करते हैं और दूसरे वो जिन्हें अपने जन्म स्थान से कोई प्यार नहीं है।
श्रीलंका में कब-कब हुए हमले?
1987- भारतीय सेना का भारतीय शांति रक्षा दल 1987 से 1990 के मध्य तक श्रीलंका में शांति स्थापना ऑपरेशन क्रियान्वित कर रहा था। लिट्टे ने शांति से साफ इनकार कर दिया। इन तीन सालों के दौरान करीब एक हजार भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।
1991- लिट्टे के संदिग्ध आत्मघाती हमलावर ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की दक्षिण भारत में हत्या कर दी। इसके दो साल बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति राणासिंघे प्रेमदासा की एक अन्य आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई। दोनों में ही लिट्टे जिम्मेदार था।