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जलवायु आपातकाल: जंगलों की भीषण आग से यूरोप में जनजीवन अस्त-व्यस्त, फ्रांस-स्पेन समेत कई देशों में आपात स्थिति
अमर उजाला नेटवर्क
Published by: शुभम कुमार
Updated Thu, 03 Jul 2025 07:07 AM IST
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सार
दक्षिणी यूरोप में फैली भीषण जंगल की आग ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। ग्रीस में आग से अब तक 28,000 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र जल चुका है। तापमान 45°C तक पहुंच गया है। इटली, फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल और तुर्किये में भी हालात गंभीर हैं। सूखा और तेज हवाएं आग को तेजी से फैलने में मदद कर रही हैं।

तिलवाड़ा के जंगलों में आग
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

विस्तार
यूरोप के कई देशों में फैली जंगलों की भीषण आग ने जनजीवन झकझोर दिया है। दक्षिणी यूरोप इस समय जलवायु आपातकाल से गुजर रहा है, लेकिन सबसे भयावह स्थिति ग्रीस की है, जहां जंगलों में फैली भीषण आग ने अब तक 28,000 हेक्टेयर से अधिक वनक्षेत्र को तबाह कर दिया है। गर्म हवाओं, लंबे सूखे और 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचे तापमान ने आग की भयावहता को और भी बढ़ा दिया है।
यूरोपीय संघ की कोपर्निकस उपग्रह प्रणाली के अनुसार इटली, फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल, व तुर्किये के कई इलाकों में आग से हालात गंभीर हैं और हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजना पड़ा है। सूखे और तेज गर्म हवाओं के चलते जंगलों में लगी आग तेजी से फैल रही है, जिससे स्थानीय यातायात बाधित हो गया है। एथेंस, कैनरी द्वीप और सिसिली जैसे क्षेत्रों के हवाई अड्डों से उड़ानें रद्द या विलंबित की जा रही हैं। आग से तापमान बढ़ने व धुएं के कारण कई स्कूलों, दफ्तरों में छुट्टी कर दी गई है।
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आग भड़कने के कारण
आग लगने के पीछे कई कारण सामने आए हैं। हीटवेव और सूखे हालात ने जंगलों को आग पकड़ने के लिए अत्यंत संवेदनशील बना दिया है। इसके अलावा मानवजनित कारण जैसे लापरवाही से फेंकी गई सिगरेट, कैम्प फायर और बिजली लाइन से निकली चिंगारियां भी जिम्मेदार हैं। कुछ क्षेत्रों में बिजली गिरने (लाइटनिंग) से आग भड़की। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से यह स्थिति और भी गंभीर हो रही है।
राहत और बचाव कार्य जारी
ग्रीस, इटली व स्पेन को अन्य यूरोपीय देशों से फायरफाइटिंग एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर और विशेष टीमों की मदद मिली है। फ्रांस, स्वीडन, पोलैंड और जर्मनी ने अग्निशमन उपकरण और प्रशिक्षित कर्मी भेजे हैं। इनसे आग पर नियंत्रण पाने की कोशिश की जा रही है। यूरोप में जंगलों में आग लगना नया नहीं है। 2021 व 2022 में भी ग्रीस, तुर्की और इटली आग की बड़ी घटनाओं का सामना कर चुके हैं, लेकिन इस बार इसका पैमाना कहीं अधिक बड़ा और भयावह है। इसे जलवायु आपातकाल माना जा रहा है।
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मुख्य प्रभावित क्षेत्र
एथेंस के आसपास के क्षेत्र भीषण आग की चपेट में हैं। इटली के सिसिलीऔर सार्डिनिया के जंगलों में आग तेजी से फैल रही है। स्पेन, फ्रांस, पुर्तगाल और तुर्किये में भी आपात स्थिति लागू की गई है। ईयू ने स्थिति हालात काबू में लाने के लिए आपात प्रबंधन सेवाएं सक्रिय कर दी हैं और एयरक्राफ्ट, ड्रोन व उपग्रह से आग पर नजर रखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संकट केवल एक मौसमी आपदा नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन की चेतावनी है।
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आग भड़कने के कारण
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राहत और बचाव कार्य जारी
ग्रीस, इटली व स्पेन को अन्य यूरोपीय देशों से फायरफाइटिंग एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर और विशेष टीमों की मदद मिली है। फ्रांस, स्वीडन, पोलैंड और जर्मनी ने अग्निशमन उपकरण और प्रशिक्षित कर्मी भेजे हैं। इनसे आग पर नियंत्रण पाने की कोशिश की जा रही है। यूरोप में जंगलों में आग लगना नया नहीं है। 2021 व 2022 में भी ग्रीस, तुर्की और इटली आग की बड़ी घटनाओं का सामना कर चुके हैं, लेकिन इस बार इसका पैमाना कहीं अधिक बड़ा और भयावह है। इसे जलवायु आपातकाल माना जा रहा है।
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मुख्य प्रभावित क्षेत्र
एथेंस के आसपास के क्षेत्र भीषण आग की चपेट में हैं। इटली के सिसिलीऔर सार्डिनिया के जंगलों में आग तेजी से फैल रही है। स्पेन, फ्रांस, पुर्तगाल और तुर्किये में भी आपात स्थिति लागू की गई है। ईयू ने स्थिति हालात काबू में लाने के लिए आपात प्रबंधन सेवाएं सक्रिय कर दी हैं और एयरक्राफ्ट, ड्रोन व उपग्रह से आग पर नजर रखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संकट केवल एक मौसमी आपदा नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन की चेतावनी है।