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EU: यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष लेयेन की बढ़ीं मुश्किलें, सांसदों ने पेश किया अविश्वास प्रस्ताव; 10 जुलाई को मतदान
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ब्रुसेल्स
Published by: बशु जैन
Updated Thu, 03 Jul 2025 09:41 AM IST
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सार
2024 में उर्सुला वॉन डेर लेयेन यूरोपीय आयोग की दूसरी बार अध्यक्ष बनीं थीं। लेयेन के खिलाफ दक्षिणपंथी यूरोपीय सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव पर 10 जुलाई को मतदान होगा। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव के असफल होने की संभावना है।

यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन
- फोटो : ani

विस्तार
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। लेयेन के खिलाफ दक्षिणपंथी यूरोपीय सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव पर 10 जुलाई को मतदान होगा। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव के असफल होने की संभावना है।
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन पर कोविड टीकों की खरीद मामले और रोमानिया के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने के आरोप लगे हैं। इसके बाद लेयेन के खिलाफ यूरोपीय सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव पर मतदान की तिथि तय करने के लिए जरूरी कम से कम 72 सांसदों के हस्ताक्षर हो चुके हैं। अब सांसद सोमवार को स्ट्रासबर्ग में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस करेंगे।
ये भी पढ़ें: काश पटेल से एस जयशंकर ने की मुलाकात; आतंकवाद-संगठित अपराध से निपटने में भारत-यूएस सहयोग पर वार्ता
अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले रोमानिया एमईपी घोरघे पिपेरेया ने कोविड के दौरान फाइजर की सीईओ अल्बर्ट बौर्ला के साथ चैट को लेकर वॉन डेर लेयेन की पारदर्शिता की कमी की आलोचना की। पिपेरेया ने यूरोपीय आयोग पर रोमानिया के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया।
हालांकि लेयेन के अविश्वास प्रस्ताव हारने की संभावना कम हैं। क्योंकि पिपेरेया की अपनी ही पार्टी ईसीआर ने पहले ही अविश्वास प्रस्ताव से खुद को अलग कर लिया है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि यह हमारी पहल नहीं है। प्रस्ताव को पारित कराने के लिए पूर्ण बहुमत यानि 720 में 361 वोटों की जरूरत होगी। 2024 में उर्सुला वॉन डेर लेयेन यूरोपीय आयोग की दूसरी बार अध्यक्ष बनीं थीं।
ये भी पढ़ें: प्रिंस विलियम और प्रिंसेस केट मिडलटन के अधिकार बढ़े, रॉयल वारंट जारी करने की मिली शक्ति
टीका मामले में लगे यह आरोप
साल 2021 में यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने यूरोपीय आयोग से कोविड टीकों को लेकर समझौतों का पूरा विवरण मांगा था, लेकिन आयोग केवल कुछ अनुबंधों और दस्तावेजों तक आंशिक पहुंच प्रदान करने के लिए सहमत हुआ, जिन्हें संशोधित संस्करणों में ऑनलाइन रखा गया था। इसने यह बताने से भी इनकार कर दिया कि उसने अरबों खुराकों के लिए कितना भुगतान किया, यह तर्क देते हुए कि गोपनीयता कारणों से अनुबंधों को संरक्षित किया गया था। इस पर यूरोपीय संघ की अदालत ने भी कहा था कि यूरोपीय आयोग ने महामारी के दौरान दवा कंपनियों के साथ किए गए कोविड-19 वैक्सीन खरीद समझौतों के बारे में जनता को पर्याप्त जानकारी नहीं दी।
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यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन पर कोविड टीकों की खरीद मामले और रोमानिया के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने के आरोप लगे हैं। इसके बाद लेयेन के खिलाफ यूरोपीय सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव पर मतदान की तिथि तय करने के लिए जरूरी कम से कम 72 सांसदों के हस्ताक्षर हो चुके हैं। अब सांसद सोमवार को स्ट्रासबर्ग में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस करेंगे।
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अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले रोमानिया एमईपी घोरघे पिपेरेया ने कोविड के दौरान फाइजर की सीईओ अल्बर्ट बौर्ला के साथ चैट को लेकर वॉन डेर लेयेन की पारदर्शिता की कमी की आलोचना की। पिपेरेया ने यूरोपीय आयोग पर रोमानिया के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया।
हालांकि लेयेन के अविश्वास प्रस्ताव हारने की संभावना कम हैं। क्योंकि पिपेरेया की अपनी ही पार्टी ईसीआर ने पहले ही अविश्वास प्रस्ताव से खुद को अलग कर लिया है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि यह हमारी पहल नहीं है। प्रस्ताव को पारित कराने के लिए पूर्ण बहुमत यानि 720 में 361 वोटों की जरूरत होगी। 2024 में उर्सुला वॉन डेर लेयेन यूरोपीय आयोग की दूसरी बार अध्यक्ष बनीं थीं।
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टीका मामले में लगे यह आरोप
साल 2021 में यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने यूरोपीय आयोग से कोविड टीकों को लेकर समझौतों का पूरा विवरण मांगा था, लेकिन आयोग केवल कुछ अनुबंधों और दस्तावेजों तक आंशिक पहुंच प्रदान करने के लिए सहमत हुआ, जिन्हें संशोधित संस्करणों में ऑनलाइन रखा गया था। इसने यह बताने से भी इनकार कर दिया कि उसने अरबों खुराकों के लिए कितना भुगतान किया, यह तर्क देते हुए कि गोपनीयता कारणों से अनुबंधों को संरक्षित किया गया था। इस पर यूरोपीय संघ की अदालत ने भी कहा था कि यूरोपीय आयोग ने महामारी के दौरान दवा कंपनियों के साथ किए गए कोविड-19 वैक्सीन खरीद समझौतों के बारे में जनता को पर्याप्त जानकारी नहीं दी।
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