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Jaishankar: 'जब वो वक्त आएगा, तब देखेंगे', अमेरिकी सांसद के नए रूस विरोधी बिल पर बोले जयशंकर

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन Published by: नितिन गौतम Updated Thu, 03 Jul 2025 12:18 PM IST
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सार

भारत अपनी जरूरत के तेल का बड़ा हिस्सा रूस से ही खरीद रहा है। अब स्थिति ये है कि भारत जितना तेल खाड़ी देशों से खरीदता है, उससे ज्यादा अकेले रूस से खरीद रहा है। 
 

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एस जयशंकर, विदेश मंत्री - फोटो : पीटीआई
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भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर अमेरिका दौरे पर हैं। बुधवार को उनसे अमेरिकी सांसद लिंडसे ग्राहम के नए विधेयक को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास  और हमारे राजदूत लिंडसे ग्राहम के संपर्क में हैं, बाकी जब विधेयक पारित होगा तो उस वक्त देखा जाएगा कि क्या करना है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर चिंतित है और इस बारे में ग्राहम को भी समझाने की कोशिश हो रही है। 
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बिल को लेकर क्या है भारत की चिंता
गौरतलब है कि अमेरिका के सीनेटर लिंडसे ग्राहम रूस प्रतिबंध विधेयक ला रहे हैं, जिसमें रूस से तेल, गैस, यूरेनियम और अन्य उत्पाद खरीदने वाले देशों से अमेरिका में आने वाले सामान पर 500 प्रतिशत टैरिफ लगाने का प्रावधान है। अगर ऐसा होता है तो भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि जब से रूस यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, तब से भारत अपनी जरूरत के तेल का बड़ा हिस्सा रूस से ही खरीद रहा है। अब स्थिति ये है कि भारत जितना तेल खाड़ी देशों से खरीदता है, उससे ज्यादा अकेले रूस से खरीद रहा है। 
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ये भी पढ़ें- Operation Sindoor: 'भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा', अमेरिका में ऑपरेशन सिंदूर पर बोले जयशंकर

सीनेटर के संपर्क में हैं भारतीय राजदूत
जब डॉ. जयशंकर से लिंडसे ग्राहम के बिल को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि सीनेटर लिंडसे ग्राहम के बिल की बात है तो जो कुछ भी हो रहा है और ये हमारे हितों पर भी असर डाल सकता है, इसलिए हम लिंडसे ग्राहम के संपर्क में हैं। हमारे राजदूत उनसे बात कर रहे हैं। हमारे ऊर्जा सुरक्षा संबंधी चिंताओं की उन्हें जानकारी दे दी गई है। लिंडसे ग्राहम के इस बिल को सीनेट में 80 सीनेटर्स का समर्थन मिल चुका है। रूस यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए थे, लेकिन भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा और कूटनीति के जरिए सभी पक्षों को साधने में सफल रहा। हालांकि अब मुश्किल बढ़ती नजर आ रही है।

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