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Earthquake: म्यांमार में सुबह-सुबह 4.1 की तीव्रता से कांपी धरती, भूकंप के झटकों से दहशत में आए लोग
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, म्यांमार
Published by: शिव शुक्ला
Updated Thu, 03 Jul 2025 08:14 AM IST
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सार
म्यांमार मध्यम और बड़ी तीव्रता के भूकंपों के खतरों के प्रति संवेदनशील है। यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं। इससे पहले 1 जुलाई को रिक्टर स्केल पर 4.2 तीव्रता का एक और भूकंप 135 किलोमीटर की गहराई पर आया था। उससे पहले, इसी साल 28 मार्च को 7.7 तीव्रता के भूकंप ने म्यांमार में भीषण तबाही मचाई थी।

Earthquake
- फोटो : istock

विस्तार
म्यांमार में गुरुवार को सुबह-सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4.1 मापी गई। भूकंप के झटके इतने तेज थे कि लोग दहशत में आए गए और अपने घरों से बाहर आ गए। सड़कों पर लोगों के बीच अफरातफरी देखी गई। नेशनल सेंटर ऑफ सीस्मोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार, गुरूवार सुबह 6.10 बजे आए भूकंप का केंद्र 10 किमी की उथली गहराई पर था।
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नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) ने बताया भूकंप का केंद्र उथली गहराई पर था, जिससे यह आफ्टरशॉक के लिए अतिसंवेदनशील है।
एनसीएस के मुताबिक, उथले भूकंप आमतौर पर गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक खतरनाक होते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उथले भूकंपों से भूकंपीय तरंगों को सतह तक आने के लिए कम दूरी होती है, जिसके कारण जमीन में अधिक कंपन होता है और संभावित रूप से संरचनाओं को अधिक नुकसान होता है।
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बता दें कि म्यांमार मध्यम और बड़ी तीव्रता के भूकंपों के खतरों के प्रति संवेदनशील है। यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं। इससे पहले 1 जुलाई को रिक्टर स्केल पर 4.2 तीव्रता का एक और भूकंप 135 किलोमीटर की गहराई पर आया था। इसी साल 28 मार्च को 7.7 तीव्रता के भूकंप ने म्यांमार में भीषण तबाही मचाई थी। इस भूकंप में 3500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। भूकंप का केंद्र मेंडले और सेगेंग शहरों की सीमा पर जमीन के 10 किलोमीटर भीतर था। भूकंप के चलते बुनियादी ढांचे, सड़कें और रिहायशी इमारतों को भारी नुकसान हुआ। भूकंप के झटके न सिर्फ म्यांमार बल्कि पड़ोसी देशों में भी महसूस किए गए। थाईलैंड का चियांग मेई शहर में भी इस भूकंप के चलते काफी नुकसान हुआ।
जानें क्यों आता है भूकंप?
धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी होती हैं। इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिसे टेक्टोनिक प्लेट्स कहते हैं। ये टेक्टोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर कंपन करती रहती हैं और जब इस प्लेट में बहुत ज्यादा कंपन हो जाती हैं, तो भूकंप महसूस होता है।
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जानिए भूकंप के केंद्र और तीव्रता का क्या मतलब है?
भूकंप का केंद्र वह स्थान होता है जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से धरती हिलने लगती है। इस स्थान पर या इसके आसपास के क्षेत्रों में भूकंप का असर ज्यादा होता है। अगर रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है।
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