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तबाह कर देते हैं रेप के झूठे मामले...
Updated Thu, 14 Mar 2013 05:40 PM IST
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इंग्लैंड और वेल्स में एक महीने में दो व्यक्तियों पर बलात्कार के झूठे मामलों में अभियोग चलता है जिसकी वजह से पुलिस का समय भी बर्बाद हो रहा है।

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ये चौंकाने वाले आंकड़े क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस यानी सीपीएस ने दिए है। सीपीएस की पिछले 17 महीनों के दौरान इन मामलों पर तैयार की गई रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई हैं।
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दरअसल क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस या सीपीएस बिना किसी मंत्री का एक विभाग होता है जो ब्रिटेन की सरकार के अंतर्गत आता है। इस विभाग का काम इंग्लैंड और वेल्स में उन लोगों पर अभियोग चलाना होता है जिनके खिलाफ आपराधिक मामले होते हैं।
पहली बार सीपीएस ने इंग्लैंड और वेल्स से ये आंकड़े जुटाए हैं जो ये दर्शाता है कि ये मामले अब कितने आम हो गए हैं। सीपीएस के प्रमुख किअर स्टारमर ने इन मामलों को ''गंभीर लेकिन असाधारण'' बताया है।
झूठा आरोप
21 साल के जेसन पर अपनी पूर्व गर्लफ्रेंड का बलात्कार करने का आरोप लगा था। उनका कहना था, ''बलात्कार का आरोप लगने के बाद वे बिल्कुल टूट गए थे। वे बताते है कि मुझे दफ्तर के बाहर, अंदर लोग परेशान करते थे और ये अनुभव उनके लिए काफी डरावना था।''
सीपीएस के पास ऐसे 159 संदिग्ध मामले आए जिसमें से 35 पर अभियोग चलाया गया। इनमें से करीब आधे अभियुक्तों की उम्र 21 साल से कम थी और कुछ तो 16 साल की उम्र से भी कम थे।
रिपोर्ट और जानकारियां
इनमें से 92 फीसदी महिलाएं थी जिन पर मुकदमा चला और 98 फीसदी जिन लोगों पर बलात्कार के आरोप लगे, उनमें से ज्यादातर की उम्र 21 साल से ज्यादा थी।
इनमें से 84 फीसदी ऐसे थे जिन्होंने झूठे बलात्कार का आरोप लगाया और 'हमलावर' की पहचान करने का दावा किया तो वहीं एक मामले में एक महिला ने उस व्यक्ति पर आरोप लगाया जिसे उसने फेसबुक पर देखा था।
इनमें से जिन 18 फीसदी महिलाओं ने बलात्कार होने के झूठे दावे किए उन्हें 'मानसिक बीमारी' होने की बात सामने आई।
ऐसे भी फोन आए जिसमें ये कहा गया कि जिन लोगों पर बलात्कार करने के आरोप लगे थे उनका नाम तब तक न बताया जाए जब तक वो दोषी सिद्ध नहीं हो जाता लेकिन सरकार ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
महिलाएं भी दोषी
नॉटिंघमशायर पुलिस पिछले 18 महीनों में बलात्कार के झूठे आरोप लगाने के मामले में दो महिलाओं को दोषी ठहराने में सफल रही है।
इनमें से एक 20 साल की रोसी डोड थी जिसे दो साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। इस महिला ने तीन व्यक्तियों पर बलात्कार का आरोप लगाया था।
पुलिस का कहना है इस महिला ने बलात्कार का आरोप इसलिए लगाया था क्योंकि उसने एक ही रात में इन तीनों व्यक्तियों के साथ संबंध बनाए थे जिसे लेकर वो काफी शर्मिंदा थी।
बलात्कार के झूठे आरोपों में फंसे लोगों के लिए काम करने वाले समूहों का कहना है कि जब एक व्यक्ति पर लगा बलात्कार का आरोप झूठा साबित हो जाता है तो समस्या बस इतने भर से समाप्त नहीं हो जाती क्योंकि आपराधिक रिकॉर्ड में अभियुक्तों का नाम दर्ज हो जाता है और वो जब तक नहीं हटता तब तक संबंधित व्यक्ति उसे हटाने के लिए नहीं कहता और इसमें काफी महीने लग जाते हैं।
द एसोसिएशन ऑफ चीफ पुलिस ऑफिसर इस बात की पुष्टि करते है कि आरोप की जानकारी और तथ्यों के झूठे साबित होने के बावजूद वो पुलिस रिकॉर्ड में अगले छह महीनों तक उनके नाम दर्ज रखते हैं।
लेकिन उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि अगर कोई व्यक्ति इन लोगों की पृष्ठभूमि की जांच कर रहा होता है तो उन्हें इन व्यक्तियों के बारे में जानकारी नहीं दी जाती है।
बलात्कार
इंग्लैंड और वेल्स के रेप क्राइसिस विभाग में काम करने वाली डायने विटफील्ड कहती हैं अगर हम बलात्कार के झूठे मामलों में फंसे व्यक्तियों और सही में बलात्कार की शिकार हुई महिलाओं की संख्या में तुलना करेंगे तो इन महिलाओं की संख्या ज्यादा होगी।
उनका मानना है कि बलात्कार के झूठे मामले इतने आम नहीं है जितना लोग सोचते हैं। डायने कहती है, 'बलात्कार के झूठे आरोपों' और 'सबूतों के अभाव' में फर्क होता है। झूठे आरोपों के मामले रिपोर्ट किए गए मामलो के केवल पांच फीसदी है।
उनका कहना है कि युवा महिलाओ को ये समझना होगा कि उनके साथ अगर कोई घटना होती है और वो इसे बताने के लिए आगे आती है तो उनकी बातों पर यकीन किया जाएगा।