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दौरा: जर्मनी पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर,सिंगापुर के रक्षा मंत्री और अमेरिका के पूर्व रक्षा सचिव से की मुलाकात
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, म्यूनिख
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Sat, 19 Feb 2022 09:32 PM IST
सार
इन दिनों विदेश मंत्री एस जयशंकर जर्मनी के दौरे पर हैं.यहां शनिवार को उन्होंने सिंगापुर के रक्षा मंत्री एनजी इंग हेन और अमेरिका के पूर्व रक्षा सचिव जेम्स मैटिस से म्यूनिख में मुलाकात की.
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विदेश मंत्री एस जयशंकर
- फोटो : ANI
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विस्तार
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को सिंगापुर के रक्षा मंत्री एनजी इंग हेन और अमेरिका के पूर्व रक्षा सचिव जेम्स मैटिस से म्यूनिख में मुलाकात की. इस दौरान उनके बीच कई वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। गौरतलब है कि म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए वह शुक्रवार को जर्मनी पहुंच गए थे. पूर्व अमेरिकी रक्षा सचिव मैटिस से मुलाकात के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर उनके विचारों की सराहना की।
इस मुलाकात के संबंध में उन्होंने एक ट्वीट भी किया। जिसमें उन्होंने लिखा कि # MSC2022 में अमेरिका के पूर्व रक्षा सचिव जेम्स मैटिस के साथ मुलाकात अच्छी रही। मैं अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर उनके विचारों की सराहना करता हूं।
इस बीच उम्मीद जताई जा रही है कि म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन यूक्रेन को लेकर नाटो देशों और रूस के बीच बढ़ते तनाव पर व्यापक विचार-विमर्श करेगा।
विदेश मंत्री ने एस जयसंकर ने यहां सिंगापुर के रक्षा मंत्री एनजी इंग्लैंड से भी मुलाकात की. इस दौरान दोनों शीर्ष नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों और आसियान से संबंधित रक्षा सहयोग पर चर्चा हुई।
अपने जर्मनी दौरे के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में वह इंडो-पैसिफिक पर एक पैनल चर्चा में भाग लेंगे। साथ ही म्यूनिख में भारतीय वाणिज्य दूतावास और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित 'आजादी का अमृत महोत्सव' कार्यक्रम में शामिल होंगे।
जर्मनी दौरे के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर फ्रांस के दौरे पर रवाना होंगे। फ्रांस में वे कल यानी 20 फरवरी को अपने फ्रांसीसी समकक्ष ज्यां-यवेस ले ड्रियन के साथ मुलाकात करेंगे। इस दौरान दोनों शीर्ष नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी।
शनिवार को बैठक में हिस्सा लेने के बाद म्यूनिख में प्रेस को संबोधित करते हुए यूक्रेन संकट में नए शीत युद्ध जैसी स्थिति को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट किए। उन्होंने कहा कि यह बहुत अलग है। हम कहीं अधिक वैश्वीकृत, अंतर-मर्मज्ञ हैं.. स्थिति एक बहुत ही अलग तरह के दृष्टिकोण की मांग करती है। उन्होंने आगे कहा कि कूटनीति ही इसका उत्तर है। विदेश मंत्री के मुताबिक हमारा विचार है कि इस मुद्दे को केवल कूटनीतिक बातचीत से ही सुलझाया जा सकता है। विदेश मंत्री ने कहा कि सुलह के तरीकों पर गौर करना होगा।
वहीं इसके अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि इंडो-पैसिफिक में चुनौतियां यूरोप की तुलना में अलग हैं। पिछले 2 वर्षों में सबसे स्वागत योग्य विकास इंडो-पैसिफिक के लिए यूरोप की प्रतिबद्धता रही है, कुछ ऐसा जो हमारी स्थिरता और समृद्धि के लिए बहुत आवश्यक है।
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इस मुलाकात के संबंध में उन्होंने एक ट्वीट भी किया। जिसमें उन्होंने लिखा कि # MSC2022 में अमेरिका के पूर्व रक्षा सचिव जेम्स मैटिस के साथ मुलाकात अच्छी रही। मैं अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर उनके विचारों की सराहना करता हूं।
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इस बीच उम्मीद जताई जा रही है कि म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन यूक्रेन को लेकर नाटो देशों और रूस के बीच बढ़ते तनाव पर व्यापक विचार-विमर्श करेगा।
विदेश मंत्री ने एस जयसंकर ने यहां सिंगापुर के रक्षा मंत्री एनजी इंग्लैंड से भी मुलाकात की. इस दौरान दोनों शीर्ष नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों और आसियान से संबंधित रक्षा सहयोग पर चर्चा हुई।
अपने जर्मनी दौरे के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में वह इंडो-पैसिफिक पर एक पैनल चर्चा में भाग लेंगे। साथ ही म्यूनिख में भारतीय वाणिज्य दूतावास और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित 'आजादी का अमृत महोत्सव' कार्यक्रम में शामिल होंगे।
जर्मनी दौरे के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर फ्रांस के दौरे पर रवाना होंगे। फ्रांस में वे कल यानी 20 फरवरी को अपने फ्रांसीसी समकक्ष ज्यां-यवेस ले ड्रियन के साथ मुलाकात करेंगे। इस दौरान दोनों शीर्ष नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी।
शनिवार को बैठक में हिस्सा लेने के बाद म्यूनिख में प्रेस को संबोधित करते हुए यूक्रेन संकट में नए शीत युद्ध जैसी स्थिति को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट किए। उन्होंने कहा कि यह बहुत अलग है। हम कहीं अधिक वैश्वीकृत, अंतर-मर्मज्ञ हैं.. स्थिति एक बहुत ही अलग तरह के दृष्टिकोण की मांग करती है। उन्होंने आगे कहा कि कूटनीति ही इसका उत्तर है। विदेश मंत्री के मुताबिक हमारा विचार है कि इस मुद्दे को केवल कूटनीतिक बातचीत से ही सुलझाया जा सकता है। विदेश मंत्री ने कहा कि सुलह के तरीकों पर गौर करना होगा।
वहीं इसके अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि इंडो-पैसिफिक में चुनौतियां यूरोप की तुलना में अलग हैं। पिछले 2 वर्षों में सबसे स्वागत योग्य विकास इंडो-पैसिफिक के लिए यूरोप की प्रतिबद्धता रही है, कुछ ऐसा जो हमारी स्थिरता और समृद्धि के लिए बहुत आवश्यक है।