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China: छापे से लेकर देश छोड़ने पर रोक तक, विदेशी कारोबारियों के खिलाफ चीन उठा रहा ऐसे कदम, आखिर इसका असर क्या?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिवेंद्र तिवारी Updated Sat, 30 Sep 2023 06:13 PM IST
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सार

China: शंघाई चीन का सबसे बड़ा शहर और वैश्विक वित्तीय केंद्र है। हालांकि, इन दिनों यहां विदेशी व्यवसायियों की संख्या बहुत कम हो गई है। कहा जा रहा है कि चीनी सरकार बहुराष्ट्रीय अधिकारियों के आने-जाने पर कड़ी नजर रख रही है।

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चीन - फोटो : AMAR UJALA
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चीन से अब विदेशी व्यवसायियों का मोह भंग हो रहा है। इसका खुलासा हाल ही में चीन के सबसे बड़े वित्तीय केंद्र शंघाई में हुए सम्मेलन से हुआ है। पिछले वर्षों की तरह में इस सभा में विदेशी कारोबारी शामिल नहीं हुए। वजह की ओर इशारा करते हुए विदेशी व्यवसायियों ने दावा किया है कि उनके लिए कारोबार करना अब खतरे से खाली नहीं है। दरअसल, पिछले दिनों चीनी अधिकारियों द्वारा कई विदेशी व्यवसायों पर छापे मारे गए हैं। वहीं जापानी बैंक नोमुरा इंटरनेशनल के अधिकारी चार्ल्स वांग झोंघे को तो देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। 
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इस बीच हमें जानना चाहिए कि चीन में कारोबार को लेकर क्या हो रहा है? यहां विदेशी कारोबारियों के साथ क्या सुलूक हो रहा है? 

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China economy
चीन में कारोबार को लेकर क्या हो रहा है?
शंघाई चीन का सबसे बड़ा शहर और वैश्विक वित्तीय केंद्र है। हालांकि, इन दिनों यहां विदेशी व्यवसायियों की संख्या बहुत कम हो गई है। कहा जा रहा है कि चीनी सरकार बहुराष्ट्रीय अधिकारियों के आने-जाने पर कड़ी नजर रख रही है। इसलिए सभी की निगाहें 22 से 24 सितंबर तक शहर में आयोजित बंड शिखर सम्मेलन पर थीं। बता दें कि बंड शिखर सम्मेलन वैश्विक विचारधारा वाला आर्थिक और वित्तीय मंच है। 



पिछले वर्षों में इस फोरम में दुनियाभर से मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को शामिल किया जाता रहा है। चीन में कठोर कोरोना पाबंदियां हट चुकी हैं और खुद को कारोबार के लिए भी खोल दिया है। ऐसे में पहली बार हुई हालिया सभा में एक बार फिर से हाई प्रोफाइल भीड़ आकर्षित होने की उम्मीद थी। हालांकि, जैसा सोचा गया था, वैसा नहीं हुआ।  जीरो कोविड नीति खत्म होने के बाद हुई सभा राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए एक बड़ी निराशा रही। 
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...तो चीन से विदेशी कारोबारियों का मोह भंग क्यों हो रहा है? 
विदेशी निवेशकों का मानना है कि देश को कोरोना फ्री घोषित होने के बावजूद चीनी अर्थव्यवस्था चरमरा रही है और सीमा पार से आने वाला निवेश कमजोर हो गया है। द इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट है कि अधिकारियों द्वारा कई विदेशी व्यवसायों पर छापे मारे गए हैं। 25 सितंबर को ही एक रिपोर्ट में बताया गया था कि जापानी बैंक नोमुरा इंटरनेशनल में चीनी निवेश बैंकिंग के अध्यक्ष चार्ल्स वांग झोंघे को चीन छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही कई विदेशी निवेशक यात्राएं रद्द रहे हैं और इससे भी अधिक नुकसानदायक निवेश योजनाएं टाल रहे हैं।

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जीरो कोविड पॉलिसी (फाइल फोटो) - फोटो : PTI
जीरो कोविड पॉलिसी ने भी नुकसान पहुंच रहा?
हाल के समय में बीजिंग और शंघाई में लगातार प्रदर्शन देखने को मिले हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जीरो कोविड से होने वाली क्षति स्पष्ट रूप से दिख रही है। सरकार और विदेशी निवेशकों के बीच संचार बिलकुल बाधित है। चीनी अधिकारी विदेशों से आने वाले मेहमानों के साथ खुली चर्चा करने के कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं। 

पर्यटक भी चीन आने से कतरा रहे
शायद इसी का नतीजा है कि कुछ विदेशी लोग यहां आने से कतराते हैं। आंकड़ों की बात करें तो अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर देश आने और यहां से जाने वाले यात्रियों की संख्या में कमी आई है। यात्रियों की संख्या में 2019 की इसी अवधि की तुलना में साल की पहली छमाही में तीन-चौथाई से अधिक की गिरावट आई है। जुलाई के अंत तक यह आंकड़ा अभी भी 50 फीसदी से अधिक पर बना रहा। हाल के महीनों में पश्चिमी देशों से आने वाले पर्यटक चीन से लगभग पूरी तरह गायब हो गए हैं। 2019 की तुलना में इस वर्ष की दूसरी तिमाही में अमेरिका से सामूहिक यात्रा लगभग 99 फीसदी कम हो गई।

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चीन की अर्थव्यवस्था - फोटो : amarujala.com
देश में कारोबार का हाल क्या है?
चीन और बाहरी दुनिया के बीच व्यापारिक संपर्कों और नागरिक आदान-प्रदान की लगातार कमी हो रही है। नोमुरा की हालिया रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि इसका आने वाले वर्षों में चीन की आर्थिक विकास क्षमता पर अधिक गहरा प्रभाव पड़ सकता है। आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह पहले ही ध्वस्त हो चुका है। नोमुरा के अनुसार दूसरी तिमाही में यह 2021 की समान अवधि की तुलना में 94% कम $4.9 बिलियन था। डाटा प्रोवाइडर चबुक का मानना है कि वर्ष की पहली छमाही में विदेशी उद्यम पूंजी में केवल $4.4 बिलियन का प्रवाह चीन में हुआ, जो 2021 में लगभग $55 बिलियन से कम है।

आगे क्या होगा?
जो कंपनियां कठिन जीरो कोविड वर्षों के दौरान भी चीन में कारोबार करती रहीं, वो भी चीन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का पुनर्मूल्यांकन कर रही हैं। शंघाई में अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स ने 19 सितंबर को देश में मौजूदा अमेरिकी कंपनियों का एक सर्वे किया था। इस सर्वे के अनुसार, ये कंपनियां पिछले साल सिर्फ 68 फीसदी मुनाफे में थीं। केवल 52 फीसदी लोग सोचते हैं कि यह वर्ष बेहतर होगा। लगभग 40 फीसदी कंपनियों का कहना है कि वे निवेश कहीं और ले जा रही हैं या ऐसा करने की योजना बना रही हैं।
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