हमास का बड़ा संकेत: हथियार ‘फ्रीज’ करने पर बातचीत को तैयार, समझिए फिर भी कैसे और कठिन है दूसरे चरण की वार्ता?
गाजा सीजफायर के सबसे मुश्किल दूसरे चरण से पहले हमास ने बड़ा संकेत दिया है। हमास ने साफ-साफ कहा है कि वह अपने हथियारों को ‘फ्रीज’ या ‘स्टोर’ करने पर बातचीत को तैयार है। ऐसे में अब सवाल खड़ा होता है कि आखिर हमास के इस बात पर सहमति के बाद भी दूसरे चरण की वार्ता कठिन कैसे है? आइए यहां इस बात को समझते हैं
विस्तार
गाजा में जारी संघर्ष-विराम (सीजफायर) समझौते के दूसरे चरण से पहले हमास ने एक बड़ा संकेत दिया है। इसके तहत हमास ने इस बात पर जोर दिया है कि वह अपने हथियारों को 'फ्रीज' यानी इस्तेमाल न करने या 'स्टोर' यानी सुरक्षित जगह रखने पर चर्चा करने को तैयार है। यह बात हमास की राजनीतिक ब्यूरो के वरिष्ठ नेता बसम नईम ने दोहा (कतर) में कही, जहां संगठन का बड़ा नेतृत्व मौजूद है। नईम ने कहा कि हमास संघर्ष को बढ़ने से रोकने के लिए किसी भी व्यापक समाधान पर चर्चा के लिए तैयार है। यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका की मध्यस्थता में बने समझौते का अगला और सबसे पेचीदा चरण शुरू होने वाला है।
बता दें कि यह संघर्ष-विराम उस दो साल साल से ज्यादा समय तक चले इस्राइली सैन्य अभियान को रोककर लागू किया गया था, जिसे इस्राइल ने 7 अक्तूबर 2023 के हमास हमले के बाद शुरू किया था। उस हमले में 1,200 से अधिक लोग मारे गए थे और 250 से ज्यादा बंधक बनाए गए थे। इसके जवाब में इस्राइल की कार्रवाई में 70,000 से ज्यादा फलस्तीनी मारे गए और गाजा का बड़ा हिस्सा तबाह हो गया। पहले चरण में दोनों पक्षों ने बंधकों और कैदियों का आदान–प्रदान किया। अब केवल एक इस्राइल पुलिसकर्मी के अवशेष गाजा में बचे हैं।
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समझिए क्या है दूसरा चरण और मुश्किल मुद्दे?
अब बात अगर इस संघर्ष विराम के दूसरे तरण की करें तो समझौते का दूसरा चरण सबसे कठिन माना जा रहा है। इसमें कई बड़े मुद्दों पर सहमति बनानी होगी, जैसे कि गाजा में एक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बल की तैनाती, गाजा के संचालन के लिए एक तकनीकी (टेक्नोक्रेट) समिति का गठन, इस्राइली सेना की गाजा से वापसी और हमास का निर्शस्त्रीकरण (डिसआर्मामेंट)। ऐसे में इन सभी बिंदुओं की निगरानी एक अंतरराष्ट्रीय बोर्ड करेगा, जिसकी अध्यक्षता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास है।
हथियार छोड़ने पर क्या है हमास का रुख
मामले में इस्राइल की प्रमुख शर्त है कि हमास पूरी तरह हथियार छोड़ दे। देखा जाए तो यह सबसे विवादित मुद्दा है। अब ऐसे में इस मुद्दे पर नईम ने कहा कि हमास 'प्रतिरोध का अधिकार' रखता है, लेकिन यदि लंबे समय (5–10 वर्ष) की वास्तविक शांति-प्रक्रिया शुरू होती है, तो हथियारों को फ्रीज, स्टोर या रख देना संभव है। नईम ने इस बात पर भी जोर दिया कि पर यह सब 'फलस्तीनी गारंटी और सहमति' के तहत होगा। इस दौरान उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यह कोई सीधी आत्मसमर्पण प्रक्रिया नहीं होगी।
अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बल पर मतभेद
इसके साथ ही हमास का कई देशों जैसे इंडोनेशिया ने गाजा में सुरक्षा बल भेजने की इच्छा जताई है। लेकिन इसकी संरचना, कमान और जिम्मेदारियां अभी स्पष्ट नहीं हैं। इसपर हमास का कहना है कि यह बल केवल सीजफायर की निगरानी, सीमा पर तैनाती और उल्लंघनों की रिपोर्टिंग तक सीमित रहे। नईम ने कहा कि सुरक्षा बल को गाजा के अंदर कार्रवाई या बल प्रयोग का अधिकार नहीं होना चाहिए।
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गाजा के प्रशासन पर सहमति की कोशिश
हमास और फलस्तीनी प्राधिकरण (पीए) के बीच गाजा के दैनिक प्रशासन के लिए एक नई तकनीकी समिति बनाने में कुछ प्रगति हुई है। सूत्रों के अनुसार, इसका नेतृत्व वेस्ट बैंक के स्वास्थ्य मंत्री माजिद अबू रमजान कर सकते हैं, जो मूलतः गाजा के रहने वाले हैं।
किस बात को लेकर अभी भी जारी है आरोप-प्रत्यारोप?
गौरतलब है कि पहले चरण के दौरान दोनों पक्ष एक-दूसरे पर उल्लंघन का आरोप लगाते रहे। इस्राइल कहता है कि हमास ने बंधकों की रिहाई में देरी की। वहीं फलस्तीनी अधिकारियों का कहना है कि सीजफायर लागू होने के बाद भी 370 से अधिक फलस्तीनी इस्राइली हमलों में मारे गए। ऐसे में इस्राइल का दावा है कि गाजा के उत्तरी हिस्से में अब भी करीब 200 हमास लड़ाके छिपे हुए हैं। वहीं हमास का कहना है कि इन लड़ाकों से उनका संपर्क सीजफायर के समय से ही कटा हुआ है।
संघर्ष के शुरुआत की पूरी कहानी, इस वीडियो में:-
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