Lord Buddha: 29 साल बाद मंगोलिया वापस लौटे भगवान बुद्ध के अवशेष, राजधानी उलानबातार में उत्सव का माहौल
गदेन तेगचेनलिंग मठ के प्रशासनिक बोर्ड के सदस्य मुंकबातर बचुलुउन ने कहा, "यह इतिहास की सबसे दुर्लभ घटना है, मंगोलियाई लोगों के लिए यह देखने का सबसे कीमती अवसर है, इससे असीम आशीर्वाद प्राप्त करें।''

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बौद्ध भक्तों और मंगोलिया की राजधानी में लोगों ने सोमवार को केंद्रीय कानून व न्याय मंत्री किरेन रिजिजू के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल का भव्य स्वागत किया। यह दल भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के साथ यहां पहुंचा। भगवान बुद्ध के 22 में से 4 पवित्र अवशेष यहां बुद्ध पूर्णिमा समारोह के लिए भेजे गए हैं। इन्हें कपिलवस्तु अवशेष के रूप में जाना जाता है। ये अवशेष भारतीय वायुसेना के विमान में दो विशेष बुलेटप्रूफ ताबूतों में यहां लाए गए। पवित्र अवशेषों को 11 दिनों के लिए उलानबटान में गंदन तेगचेनलिंग मठ परिसर में बत्सगान मंदिर में दर्शनार्थ रखा जाएगा। दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय की देखरेख में इन अवशेषों को मंगोलिया की 11 दिनी यात्रा के दौरान राज्य अतिथि का दर्जा दिया गया है। 29 वर्ष बाद मंगोलिया लौटे इन अवशेषों को बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र अवशेषों में से एक माना जाता है।

Ulaanbaatar, Mongolia | Ganden Tegchenling Monastery gears up to display relics of Lord Buddha to be brought from India by a delegation led by Union min Kiren Rijiju on Monday pic.twitter.com/3bvBSL5A9b
विज्ञापन— ANI (@ANI) June 12, 2022विज्ञापन
भक्तों को आशीर्वाद लेने के लिए इन अवशेषों को 14 जून को वेसाक दिवस पर उपलब्ध कराया जाएगा। मंगोलिया के बौद्ध, भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को अनुमति देने के लिए भारत सरकार के आभारी हैं और इस आयोजन को दुर्लभ और कीमती बताते हैं।
गदेन तेगचेनलिंग मठ के प्रशासनिक बोर्ड के सदस्य मुंकबातर बचुलुउन ने कहा, "यह इतिहास की सबसे दुर्लभ घटना है, मंगोलियाई लोगों के लिए यह देखने का सबसे कीमती अवसर है, इससे असीम आशीर्वाद प्राप्त करें।'
उनका मानना है कि बौद्ध धर्म भारत और मंगोलिया दोनों को एक साथ लाता है। उन्होंने कहा, 2000 साल पहले बौद्ध धर्म को हमारे पूर्वजों ने सीधे भारत से सिल्क रूट के माध्यम से अपनाया था। आज भी कुछ निष्कर्ष हैं जो दावा करते हैं कि प्राचीन बौद्ध धर्म हमारे पूर्वजों के क्षेत्रों में फैल गया था। इसलिए बौद्ध धर्म हमें एक साथ लाया।"
बचुलुउन ने कहा, भारत और मंगोलिया भौगोलिक रूप से दूर हैं लेकिन आध्यात्मिकता और साझा विरासत के मामले में दोनों देश करीब हैं। हमारी सोच भारत को पहले बुद्ध और बौद्ध धर्म की पवित्र भूमि माना जाता है।
मंगोलिया में भारत के राजदूत एम.पी. सिंह ने कहा, ''बौद्ध धर्म की साझी विरासत ने हमें जोड़ा है और यह संबंध वास्तव में अब दिलों का संबंध बन गया है। औसतन, भारत मंगोलिया को अपने आध्यात्मिक पड़ोसी के रूप में देखता है और यह आध्यात्मिक संबंध भारत के लिए उसकी सद्भावना में तब्दील हो जाता है और हाल के दिनों में, खासतौर पर पिछले 7 वर्षों में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंगोलिया की ऐतिहासिक यात्रा के बाद से मंगोलिया के साथ यह संबंध आगे बढ़े हैं।"
राजदूत एम पी सिंह ने कहा कि भारत ने मंगोलिया के साथ राजनीतिक और आर्थिक संबंधों के अलावा बौद्ध धर्म से जुड़े संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया है। उन्होंने आगे कहा, "यह विरासत न केवल नेतृत्व के स्तर पर जुड़ी हुई है बल्कि औसतन मंगोलियाई भारत को एक ऐसे देश के रूप में देखता है जिसे हम "विश्व गुरु" या एक विश्व नेता कहते हैं।"