ऑनलाइन उत्पीड़न: अपमानजनक भाषा और गाली से परेशान हर पांचवी युवती ने छोड़ा सोशल मीडिया
- 71 देशों में काम करने वाली संस्था ने किया सर्वे
- भारत सहित 22 देशों में हुआ सर्वे
- 14 हजार लड़कियों ने लिया इसमें हिस्सा
- गाली और अपमानजनक भाषा रहे उत्पीड़न के सामान्य तरीके
- फेसबुक पर सबसे ज्यादा दुर्व्यवहार की घटनाएं हुईं
इन प्लेटफॉर्म्स पर हुआ सर्वाधिक दुर्व्यवहार
- फेसबुक
- इंस्टाग्राम
- व्हाट्सएप
- स्नैपचैट
- ट्विटर
- टिकटॉक
विस्तार
भारत में मोबाइल नेटवर्क का विस्तार होने और इंटरनेट की दरें कम होने के बाद मोबाइल क्रांति का दौर जारी है। इंटरनेट की तकनीक 4जी से 5जी की ओर शिफ्ट हो रही है। इस परिदृश्य में लोगों का इंटरनेट की वर्चुअल (आभासी) दुनिया में समय ज्यादा बीतने लगा है। लोग मोबाइल और इंटरनेट के जरिए अपने मनोरंजन की जरूरतों को पहले की तुलना में अब ज्यादा पूरी कर पाते हैं।
इस पर भी सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन गया है, जहां पर लोग हर दिन अपना एक बड़ा हिस्सा बीता देते हैं। राजनीतिक चर्चाओं से लेकर व्यक्तिगत अभिव्यक्ति के लिए सोशल मीडिया सबसे बड़ी जगह बनकर उभरा है। इस वर्चु्अल दुनिया में दोस्त और परिचितों की संख्या भी बहुत ज्यादा बढ़ गई है, जिन्हें हम व्यक्तिगत रूप से न तो जानते हैं और न ही कभी मिले हैं। हम ऐसे लोगों से भी टकराते हैं जिन्हें न तो हम जानते हैं और न ही वे हमारे 'फ्रेंड लिस्ट' में होते हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऐसी जगह बनती जा रही है जहां महिलाओं के प्रति ऑनलाइन दुर्व्यवहार और उत्पीड़न की घटनाओं में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह से हर पांच में से एक महिला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म छोड़ रही हैं।
71 देशों में काम करने वाली संस्था प्लान इंटरनेशनल के एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है। संस्था ने यह सर्वे भारत, अमेरिका और ब्राजील समेत 22 देशों में कराया है।
प्लान इंटरनेशनल ने इस अध्ययन में 15 से 25 वर्ष की 14,000 युवतिओं को शामिल किया। सर्वे में 58 फीसदी से ज्यादा लड़कियों ने माना है कि उन्हें ऑनलाइन दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। 22 फीसदी लड़कियों ने कहा है कि उन्हें शारीरिक हमलों को लेकर सामान्य तरीके में अपमानजनक भाषा और गाली का सामना करना पड़ा है।
41 फीसदी युवतियों ने कहा कि उद्देश्यपूर्ण शर्मिंदगी ने उन्हें प्रभावित किया। बॉडी शेमिंग और यौन हिंसा के खतरों के कारण 39 फीसदी महिलाओं ने सोशल मीडिया से दूरी बना ली। इसी तरह से जातीय अल्पसंख्यकों पर हमले, नस्लीय दुर्व्यवहार और एलजीबीटी समुदाय से जुड़ी युवतियों का उत्पीड़न बहुत ज्यादा था।
सर्वे में पाया गया है कि ऑनलाइन उत्पीड़न के कारण हर पांच में से एक युवती ने सोशल मीडिया का उपयोग बंद कर दिया या फिर कम कर दिया। सोशल मीडिया पर उत्पीड़न झेलने के बाद हर 10 महिलाओं में से एक ने सोशल मीडिया पर अपनी अभिव्यक्ति के तरीके को बदल दिया।
'महिलाओं की आजादी पर संकट'
संस्था की सीईओ ऐनी-बिर्गिट्टे अल्ब्रेक्टसेन के मुताबिक सोशल मीडिया पर यह उत्पीड़न शारीरिक नहीं, लेकिन यह महिलाओं की अभिव्यक्ति की आजादी के लिए खतरा होते हैं। फेसबुक और इंस्टाग्राम का कहना है कि वे ऑनलाइन दुर्व्यवहार से जुड़ी रिपोर्ट की निगरानी करते हैं। फिर परेशान करने वाली सामग्री की पहचान कर कार्रवाई करते हैं। हालांकि इस सर्वे में दुरुपयोग को रोकने में रिपोर्टिंग करने की तकनीक अप्रभावी रही।