हर्षद मेहता स्कैम: कहानी उस घोटाले की जिसने बदल डाली शेयर बाजार की दिशा
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अगर आप शेयर बाजार के बारे में जानकारी रखते हैं, तो आपने हर्षद मेहता का नाम जरूर सुना होगा। हर्षद मेहता ऐसे शख्स हैं जिन्होंने 1990 के दशक में देश का वित्तीय बाजार बुरी तरह से हिला दिया था।
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अगर आप शेयर बाजार के बारे में जानकारी रखते हैं, तो आपने हर्षद मेहता का नाम जरूर सुना होगा। हर्षद मेहता ऐसे शख्स हैं जिन्होंने 1990 के दशक में देश का वित्तीय बाजार बुरी तरह से हिला दिया था।
देश में इकोनॉमिक रिफॉर्म्स की शुरुआत साल 1991 में हुई थी। भारतीय अर्थव्यस्था के लिए साल 1990 से 1992 का समय बड़े बदलाव का वक्त था। लेकिन इस बीच एक ऐसा घोटाला सामने आया, जिसने शेयरों की खरीद-बिक्री की प्रकिया में ऐतिहासिक परिवर्तन किए। इस घोटाले के जिम्मेदार हर्षद मेहता थे। यह घोटाला करीब 4,000 करोड़ रुपये का था और इसके बाद ही सेबी को शेयर मार्केट में गड़बड़ी रोकने की ताकत दी गई।
घोटाले के मुख्य आरोपी हर्षद मेहता का 2002 में निधन हो गया। लेकिन 1992 के बहुचर्चित स्टॉक मार्केट स्कैम की यादें भी अब बहुत कम लोगों के जेहन में हैं।
कौन है हर्षद मेहता ?
- हर्षद मेहता का जन्म 29 जुलाई 1954 को पनेल मोटी, राजकोट गुजरात में हुआ था।
- उनका बचपन मुंबई के कांदिवली में गुजरा।
- उन्होंने होली क्रॉस बेरोन बाजार सेकेंडरी स्कूल से पढ़ाई की।
- लाजपत राय कॉलेज से मेहता ने बी.कॉम की पढ़ाई की।
- आठ सालों तक उन्होंने छोटी नौकरियां की।
- उनकी पहली नौकरी न्यू इंडिया अश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में बतौर सेल्स पर्सन की थी।
- फिर उन्होंने हरिजीवनदास नेमीदास सिक्योरिटीज नाम की ब्रोक्रेज फर्म में नौकरी ज्वॉइन कर ली।
- 1984 में खुद की ग्रो मोर रिसर्च एंड असेट मैनेजमेंट नाम की कंपनी शुरू की और बीएसई में बतौर ब्रोकर मेंबरशिप ली।
- मेहता ने मार्केट के हर पैंतरे प्रसन्न परिजीवनदास से सीखे।
- मेहता को 'बिग बुल' कहा जाता था क्योंकि उसने स्टॉक मार्केट में बुल रन शुरू किया था।
- 1990 में शेयर बाजार तेजी से बढ़ा जिसके लिए ब्रोकर मेहता को जिम्मेदार माना गया और उन्हें 'बिग बुल' का दर्जा दिया गया।
- अप्रैल 1992 में हुआ पैसों का खुलासा।
- मेहता बैंकिंग नियमों का फायदा उठाकर बैंकों को बिना बताए उनके करोड़ों रुपये शेयर मार्केट में लगाते थे।
- मेहता दो बैंकों के बीच बिचौलिया बनकर 15 दिन के लिए लोन लेकर बैंकों से पैसा उठाते थे और फिर मुनाफा कमाकर बैंकों को पैसा लौटा देते थे।
- इस यह बात जब सामने आई तो शेयर मार्केट में तेज गिरावट आनी शुरू हो गई।
- मेहता एक बैंक से फेक बीआर बनावाता था, जिसके बाद उसे दूसरे बैंक से भी आराम से पैसा मिल जाता था।
- खुलासा होने के बाद मेहता के ऊपर 72 क्रमिनर चार्ज लगाए गए और सिविल केस फाइल हुए।
- मेहता पर कई केस चल रहे थे, मगर उसे मात्र एक केस में दोषी पाया गया था।
- उसे दोषी पाते हुए उच्च न्यायालय ने पांच साल की सजा और 25000 रुपये का जुर्माना ठोका था।
- मेहता थाणे जेल में बंद था।
- 31 दिसंबर 2001 को देर रात उसे दर्द की शिकायत हुई, जिसके बाद उसे ठाणे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया।
- अस्पताल में ही उसकी मौत हो गई।
घोटाले के 25 साल बाद भी इसकी वसूली उनके परिवार से चल रही थी। कस्टोडियन ने मेहता की संपत्तियों को बेचकर 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि बैंकों व आयकर विभाग के नाम जारी कराई। 2017 में ही मेहता के पारिवारिक सदस्यों ने 614 करोड़ रुपये की रकम बैंक को दी।