उत्तर कोरिया की जेल में दी जाती हैं ऐसी यातनाएं, सोचकर ही दहल उठेगा दिल
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उत्तर कोरिया में कानून व्यवस्था कितनी लचर है इस बात का खुलासा सोमवार को आई एक रिपोर्ट में हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार, कानूनी प्रक्रिया से गुजरने वाले लोगों की स्थिति बेहद दयनीय है। खुलेआम मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है। यहां तक कि अपारदर्शी कानूनी प्रक्रिया के तहत लोगों को जेल में बंद कर दुर्व्यवहार और प्रताड़ित किया जाता है। पीटे जाने और तनाव की स्थिति का इस्तेमाल बंदियों को यातना देने के लिए होता है।
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उत्तर कोरिया में कानून व्यवस्था कितनी लचर है इस बात का खुलासा सोमवार को आई एक रिपोर्ट में हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार, कानूनी प्रक्रिया से गुजरने वाले लोगों की स्थिति बेहद दयनीय है। खुलेआम मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है। यहां तक कि अपारदर्शी कानूनी प्रक्रिया के तहत लोगों को जेल में बंद कर दुर्व्यवहार और प्रताड़ित किया जाता है। पीटे जाने और तनाव की स्थिति का इस्तेमाल बंदियों को यातना देने के लिए होता है।
इस रिपोर्ट के अनुसार हिरासत में रखे जाने के दौरान बंदियों को अत्याचार, अपमान और जबरदस्ती गुनाह कबूलने जैसी परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां स्थिति इतनी भयावह है कि लोग इन बंदियों को 'कम से कम एक जानवर' मानकर भी उचित व्यवहार नहीं करते।
यह रिपोर्ट अमेरिका की ह्यूमन राइट्स वॉच ने पेश की है। इसमें उत्तर कोरिया के पूर्व बंदियों और पूर्व अधिकारियों के दर्जनों साक्षात्कारों के आधार पर खुलासे किए गए हैं। इसमें कहा गया कि हिरासत के दौरान सामने आने वाली अमानवीय स्थितियों को अक्सर अत्याचार कहा जाता है।
बता दें कि परमाणु-हथियार संपन्न उत्तर कोरिया एक 'बंद' अर्थव्यवस्था वाला देश है। इसकी आपराधिक न्याय प्रणाली के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। यही वजह है कि संयुक्त राष्ट्र और उसके अन्य आलोचक देश उत्तर कोरिया में व्यापक तौर पर मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाते रहे हैं।
साक्षात्कार देने वाले कई लोगों ने बताया कि थोड़े समय के लिए हिरासत में रखे गए लोगों को छड़ी से पीटना या लात मारना प्रताड़ना का बेहद शुरूआती दौर होता है। एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा, नियमों के अनुसार कोई भी मारपीट नहीं होनी चाहिए, लेकिन हमें प्रारंभिक तौर पर जांच और प्रारंभिक चरणों के दौरान आरोपी के खुद गुनाह कबूले जाने की आवश्यकता होती है। ऐसे में आपको स्वीकारोक्ति पाने के लिए उन्हें मारना-पीटना होगा।
पूर्व बंदियों ने कहा कि उन्हें फर्श पर अकेले घुटने के बल या एक पैर पर दूसरा पैर रखकर बैठने के लिए मजबूर किया जाता था, ऐसा उन्हें दिन के 16 घंटे तक करना होता था। यहां तक कि जरा सी हरकत करने पर सजा दी जाती थी। यह सजा पिटाई के रूप में झेलनी होती थी। पूर्व बंदी ने कहा कि यह सजा हाथ, लाठी या चमड़े के बेल्ट से पिटाई करके दंड स्वरूप दी जाती थी। यहां तक कि एक बार तो मुझे एक हजार यार्ड क्षेत्र के चक्कर काटने को मजबूर किया गया था।
जूते पहनकर हाथों को रौंदा, दुष्कर्म किया
50 के दशक में कारोबारी रहीं किम सन यंग जो 2015 में उत्तर कोरिया भाग गई थीं, ने बताया कि एक बंदीगृह में पूछताछकर्ता ने उनके साथ दुष्कर्म किया था। एक अन्य पुलिस अधिकारी ने उससे पूछताछ करते हुए उनके कपड़ों को छूकर यौन उत्पीड़न किया, किम ने कहा, लेकिन वह उस समय 'विरोध करने के लिए शक्तिहीन' थीं।
यह रिपोर्ट प्योंगयांग में जारी अत्याचार और क्रूरता, अमानवीय और बंदीगृह में अपमानजनक व्यवहार को समाप्त करके प्रणाली को अंधेरे युग से बाहर लाने का आह्वान करती है। इसमें दक्षिण कोरिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से 'सार्वजनिक रूप से और निजी तौर पर उत्तर कोरियाई सरकार पर दबाव बनाने का आग्रह किया गया है।
पकड़े जाने के डर में जीते हैं हम
एडम्स ने कहा कि बंदीगृह और जांच प्रणाली 'मनमानी, हिंसक, क्रूर और अपमानजनक' थी। अधिकार समूह ने आठ पूर्व अधिकारियों और देश छोड़कर भागे 22 उत्तर कोरियाई लोगों का साक्षात्कार लिया। इन 22 में से 15 महिलाएं और सात पुरुष थे। यह सभी साल 2011 से देश के मौजूदा तानाशाह किम जोंग उन के सत्ता में आने के बाद से हिरासत और पूछताछ केंद्रों में थे।
बता दें कि उत्तर कोरिया पहले से ही संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकारों के हनन, यातानाएं दिए जाने और जेलों में हत्याएं किए जाने जैसे आरोप झेल रहा है। हालांकि प्योंगयांग का कहना है कि वह 'वास्तविक मानवाधिकारों' की रक्षा करता है और उसे बढ़ावा देता है।
उसका कहना है कि पश्चिम का दुनिया के बाकी हिस्सों में मानवाधिकार मानदंड स्थापित करने की कोशिश करना कोई औचित्य नहीं रखता है। वह अपनी साफ सुथरी समाजवादी व्यवस्था को कमजोर करने के मुद्दे और उस पर धब्बा लगाए जाने की कोशिश के तहत की जाने वाली अंतरराष्ट्रीय आलोचना की निंदा करता है।
जूं, बेडबग्स और पिस्सू भी..
बंदियों को नहाने की सुविधा, कंबल, कपड़े, साबुन नहीं मिलती और मासिक धर्म उत्पादों की कमी से भी जूझना होता है। पूर्व बंदियों और पुलिस अधिकारियों ने बतया कि बंदियों को जूं, बेडबग्स और पिस्सू के काटने जैसी समस्याओं से भी दो चार होना पड़ता है।
कई बंदियों ने कहा कि गार्ड या पूछताछकर्ता, अक्सर रिश्वत लेने के बाद ही अनौपचारिक रूप से परिवार के सदस्यों या दोस्तों को पूछताछ समाप्त होने के बाद भोजन या अन्य आवश्यक चीजें प्रदान करने की अनुमति देते हैं।