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Toshakhana Case: क्या 'सिस्टम' से तल्खी पड़ी इमरान खान को भारी? पाकिस्तानी आवाम ने खोल दी PAK सेना की पोल

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद Published by: शिवम गर्ग Updated Sun, 21 Dec 2025 09:42 AM IST
सार

Imran Khan Toshakhana Case: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को भ्रष्टाचार मामले में 17 साल की सजा मिलने के बाद पड़ोसी मुल्क में सियासी बहस तेज हो गई है। इस फैसले को लेकर आम लोगों और विशेषज्ञों के बीच ‘सिस्टम’ की भूमिका पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

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Pakistan: Did Imran Khan Clash With the System Lead to Toshakhana Case Conviction? Public Questions Pak Army
इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी - फोटो : पीटीआई
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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में 17-17 साल की सजा सुनाए जाने के बाद देश में राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज हो गई है। इस फैसले को लेकर जहां कुछ लोग इसे कानून के दायरे में सही ठहरा रहे हैं, वहीं बड़ी संख्या में नागरिक और विश्लेषक इसे राजनीतिक प्रतिशोध से जोड़कर देख रहे हैं।

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'सिस्टम के पसंदीदा होते, तो क्या यही सजा दी जाती?'
लाहौर के वरिष्ठ पत्रकार रहील मौविया का कहना है कि इस सजा के दो अहम पहलू हैं। उनके अनुसार, यदि फैसला केवल तोशाखाना मामले के कानूनी और तथ्यात्मक आधार पर है, तो सजा को जायज कहा जा सकता है। लेकिन अगर यह सजा इमरान खान के सिस्टम से टकराव और हालिया मतभेदों के कारण दी गई है, तो यह गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और उसके समर्थक यही सवाल उठा रहे हैं कि अगर इमरान खान सिस्टम के पसंदीदा होते, तो क्या यही सजा दी जाती?
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आम जनता में लोकतंत्र को लेकर चिंता
लाहौर निवासी जकी उल्लाह मुजाहिद ने इस पूरे घटनाक्रम को पाकिस्तान के लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह बताया। उनका कहना है 'इस तरह की कार्रवाइयों ने लोकतंत्र और संस्थाओं पर जनता का भरोसा कमजोर किया है। देश को आगे बढ़ाना है, तो हर संस्था को संविधान और कानून के दायरे में रहकर काम करना होगा।'

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न्यायपालिका पर उठे गंभीर सवाल
एक अन्य नागरिक हामिद रियाज डोगर ने न्यायपालिका की स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि लोगों का अब अदालतों के फैसलों पर भरोसा नहीं रहा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 9 मई के मामलों में कई लोगों को बिना मौके पर मौजूद हुए भी 10 साल की सजा दी गई। अब तोशाखाना-2 केस में 17 साल की सजा अदालतें कुछ भी कहें, लेकिन जनता का विश्वास खत्म हो चुका है।
 

Toshakhana Case Kya hai: तोशाखाना केस क्या है?
पाकिस्तान के कानून के अनुसार किसी विदेशी राज्य के गणमान्य व्यक्तियों से प्राप्त कोई भी उपहार स्टेट डिपॉजिटरी यानी तोशाखाना में रखना होता है। अगर राज्य का मुखिया उपहार को अपने पास रखना चाहता है तो उसके लिए उसे इसके मूल्य के बराबर राशि का भुगतान करना होगा। यह एक नीलामी की प्रक्रिया के जरिए तय किया जाता है। ये उपहार या तो तोशाखाना में जमा रहते हैं या नीलाम किए जा सकते हैं और इसके माध्यम से अर्जित धन को राष्ट्रीय खजाने में जमा किया जाता है। 



2018 में सत्ता में आए इमरान खान को आधिकारिक यात्राओं के दौरान करीब 14 करोड़ रुपये के 58 उपहार मिले थे। इन महंगे उपहारों को तोशाखाना में जमा किया गया था। बाद में इमरान खान ने इन्हें तोशखाने से सस्ते दाम पर खरीद लिया और फिर महंगे दाम पर बाजार में बेच दिया। इस पूरी प्रक्रिया के लिए उन्होंने सरकारी कानून में बदलाव भी किए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इमरान ने 2.15 करोड़ रुपये में इन गिफ्ट्स को तोशखाने से खरीदा था और इन्हें बेचकर 5.8 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा लिया। अदालत ने इसे भ्रष्टाचार मानते हुए सजा सुनाई। 

What is Toshakhana Case
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