Indus Waters Treaty: बूंद-बूंद के लिए तरस रहा पाकिस्तान, सिंधु जल संधि को लेकर पड़ोसी ने भारत से लगाई गुहार
Indus Waters Treaty: बूंद-बूंद के लिए तरस रहे पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि को लेकर भारत से वार्ता की गुहार लगाई है। इस बाबत पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने अपनी भारतीय समकक्ष देवश्री मुखर्जी को पत्र लिखा है।


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पहलगाम में आतंकी हमले और उसके बाद भारत के पाकिस्तान के खिलाफ लिए गए एक्शन से पाकिस्तान घुटनों पर आ गया है। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने जहां पाकिस्तान को सैन्य मोर्चे पर तबाह कर दिया वहीं, उससे पहले सिंधु जल समझौते को स्थगित करने के फैसले से पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसा दिया है। वहीं, अब सूत्रों ने बताया है कि पानी के लिए तरस रहे पाकिस्तान ने इस संधि को लेकर भारत से वार्ता करने की इच्छा जाहिर की है।
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पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने 23 अप्रैल को सिंधु जल समझौते (1960) को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने की घोषणा की। यह कदम पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने के जवाब में उठाया गया था। दोनों देशों के बीच चार युद्धों और दशकों से जारी सीमा पार आतंकवाद के बावजूद इस संधि को बरकरार रखा गया था। सिंधु नदी के जल पर पाकिस्तान की 70 फीसदी कृषि निर्भर करती है। कई शहरों के लिए पेयजल की आपूर्ति भी इस नदी से की जाती है।
भारत की जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देवाश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा को इस बाबत बीते माह पत्र भेजा था। मुखर्जी ने कहा था, संधि की शर्तों के उल्लंघन के अलावा पाकिस्तान ने संधि के तहत परिकल्पित वार्ता में शामिल होने के भारत के अनुरोध पर प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया है और इस प्रकार वह संधि का उल्लंघन कर रहा है। ऐसे में भारत सरकार ने निर्णय किया है कि सिंधु जल संधि, 1960 को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखा जाएगा।
भारत-पाकिस्तान के बीच चार दिन तक चले संघर्ष के बाद बीती 10 तारीख को इस पर विराम लग गया था। पाकिस्तान की ओर से घुटने टेके जाने के बाद भारत ने 10 तारीख को शाम पांच बजे से संघर्ष विराम का एलान किया। तब विदेश मंत्रालय ने बताया था कि संघर्ष विराम के लिए भारत अपनी शर्तों पर तैयार हुआ है। संघर्ष विराम के बीच सिंधु जल संधि का निलंबन जारी रहेगा।
सिंधु जल समझौता, 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित एक जल-बंटवारा समझौता है। इसमें विश्व बैंक ने मध्यस्थता की थी। इस समझौते का उद्देश्य सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के उपयोग को लेकर दोनों देशों के बीच विवादों को रोकना था। इस संधि के तहत, हिमालय के सिंधु नदी बेसिन की छह नदियों को दो भागों में बांटा गया है। पूर्वी नदियों ब्यास, रावी और सतलुज का पानी भारत को मिलता है जबकि पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का कंट्रोल पाकिस्तान के पास आया। समझौते के तहत भारत को लगभग 30 प्रतिशत और पाकिस्तान को 70 प्रतिशन पानी का हक मिला। इस समझौते में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि झेलम, चिनाब और सिंधु नदियों का पानी भारत को पाकिस्तान में जाने देना होगा।
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पाकिस्तान हो गया परेशान
सिंधु जल संधि को रोकने के भारत के कदम से पाकिस्तान परेशान हो गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान पहले से ही सूखे का संकट झेल रहा है। भारत की ओर पानी बंद कर देने से संकट और बढ़ गया। बीते दिनों पाकिस्तान के कानून और न्याय राज्य मंत्री अकील मलिक ने कहा था कि हम तीन अलग-अलग कानूनी विकल्पों की योजना पर काम कर रहे हैं। इस मामले को स्थायी मध्यस्थता न्यायालय या हेग में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय और विश्व बैंक में ले जाने पर विचार किया जा रहा है। लेकिन पाकिस्तान को तीनों जगह से राहत कम मिलने की उम्मीद है।