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Jaishankar: क्या भारत-PAK संघर्ष विराम के लिए अमेरिका को धन्यवाद देना चाहिए? जयशंकर के जवाब ने की बोलती बंद
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बर्लिन
Published by: नितिन गौतम
Updated Tue, 27 May 2025 09:22 AM IST
सार
ट्रंप प्रशासन ने भारत-पाकिस्तान के संघर्ष विराम का श्रेय लेने की कोशिश की। पाकिस्तान ने भी अमेरिका को इसके लिए धन्यवाद कहा, लेकिन भारत ने अमेरिका की संघर्ष विराम में कोई भी भूमिका होने से साफ इनकार किया।
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डॉ. एस जयशंकर, विदेश मंत्री
- फोटो : ANI
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विस्तार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने का दावा किया था। ट्रंप के इस दावे को भारत सरकार कई बार खारिज कर चुकी है, लेकिन इसके बावजूद बार-बार वहीं सवाल पूछा जा रहा है। भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर इन दिनों जर्मनी के दौरे पर हैं। जर्मनी में भी उनसे यही सवाल किया गया, जिस पर विदेश मंत्री जयशंकर के जवाब ने पत्रकार की बोलती बंद कर दी।
डॉ. जयशंकर ने की बोलती बंद
दरअसल जर्मनी के एक अखबार के पत्रकार ने डॉ. जयशंकर से सवाल किया कि 'क्या दुनिया को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के लिए अमेरिका को धन्यवाद देना चाहिए?' इस पर विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने कहा कि 'संघर्ष विराम के लिए भारत और पाकिस्तान के सैन्य कमांडर्स के बीच सीधा संपर्क हुआ था और उसी में संघर्ष विराम पर सहमति बनी थी। उससे पहले हमने प्रभावी तरीके से पाकिस्तान के मुख्य एयरबेस और एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाया था। इसलिए संघर्ष विराम के लिए मुझे किसे धन्यवाद देना चाहिए? मुझे लगता है कि भारतीय सेना को, क्योंकि ये भारतीय सेना द्वारा की गई कार्रवाई ही थी, जिसके चलते पाकिस्तान ये कहने को मजबूर हुआ कि हम लड़ाई रोकने के लिए तैयार हैं।'
ये भी पढ़ें- Kuwait: 'ये बेवकूफ जोकर भारत से मुकाबला करना चाहते हैं...', ओवैसी ने गलत तस्वीर को लेकर पाकिस्तान पर कसा तंज
पहलगाम आतंकी हमले के बाद छिड़ा संघर्ष
बीती 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या कर दी थी। इसके जवाब में भारत ने 6-7 मई की मध्य रात्रि पाकिस्तान में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया। इसके बाद पाकिस्तान ने आतंकियों के समर्थन में भारत के कई शहरों और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन भारत ने उन हमलों को नाकाम कर दिया। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान कई एयरबेस को निशाना बनाकर और उसके एयर डिफेंस को तबाह कर उसे घुटनों पर ला दिया। जिसके बाद पाकिस्तान की सेना के कमांडर्स ने भारतीय समकक्षों से बात की, जिसमें दोनों पक्षों में संघर्ष विराम पर सहमति बन गई। हालांकि ट्रंप प्रशासन ने भारत-पाकिस्तान के संघर्ष विराम का श्रेय लेने की कोशिश की। पाकिस्तान ने भी अमेरिका को इसके लिए धन्यवाद कहा, लेकिन भारत ने अमेरिका की संघर्ष विराम में कोई भी भूमिका होने से साफ इनकार किया।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति और विदेश मंत्री ने बात की, लेकिन....
विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले एक इंटरव्यू में बता चुके हैं कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत से बात की थी, लेकिन उनकी भूमिका महज संघर्ष पर चिंता जताने तक थी। जयशंकर ने कहा कि 'हमने सभी से स्पष्ट शब्दों में कह दिया था कि पाकिस्तान अगर लड़ाई रोकना चाहता है तो उसे खुद हमें बताना होगा। हम उनसे सुनना चाहते हैं। इसके बाद उनके जनरलों ने हमारे जनरल को फोन किया, जिसके बाद संघर्ष विराम हुआ।'
ये भी पढ़ें- All Party Delegation: 'अगर उधर से गोली आएगी तो हम गोला फेंकेंगे'; पाकिस्तान को बेनकाब कर रहे भारतीय शिष्टमंडल
'क्या परमाणु युद्ध के मुहाने पर थे दोनों देश?'
जर्मन अखबार के पत्रकार ने भारतीय विदेश मंत्री से परमाणु युद्ध को लेकर भी सवाल किया, जिस पर विदेश मंत्री ने भी हैरानी जताई। दरअसल पत्रकार ने पूछा कि 'भारत और पाकिस्तान संघर्ष के दौरान दुनिया परमाणु युद्ध से कितनी दूर थी?' इस पर विदेश मंत्री ने कहा कि 'बहुत, बहुत दूर थी। मैं सच बताऊं तो मैं इस सवाल से ही हैरान हूं। हमने आतंकी ठिकानों को सटीकता से तबाह किया और किसी नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचाया गया। इस दौरान ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया कि संघर्ष बढ़े। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने हम पर हमला किया, लेकिन हमने उन्हें दिखाया कि हम क्या कर सकते हैं और हमने उनका एयर डिफेंस सिस्टम तबाह कर दिया। उनकी मांग पर गोलीबारी रोकी गई, लेकिन इस दौरान कभी भी परमाणु हमले की कोई बात नहीं थी। ऐसा नैरेटिव है कि अगर हमारे इलाके में कुछ भी होगा तो उसे सीधे परमाणु युद्ध से जोड़ दिया जाता है, ये बात मुझे बेहद परेशान करती है क्योंकि इससे आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।' इसके बाद विदेश मंत्री ने अपने चिर-परिचित अंदाज में पश्चिम को आईना दिखाते हुए कहा कि 'अगर परमाणु युद्ध का कहीं खतरा है तो वो आपके हिस्से में है, क्योंकि यहां बहुत कुछ घटित हो रहा है।'
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डॉ. जयशंकर ने की बोलती बंद
दरअसल जर्मनी के एक अखबार के पत्रकार ने डॉ. जयशंकर से सवाल किया कि 'क्या दुनिया को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के लिए अमेरिका को धन्यवाद देना चाहिए?' इस पर विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने कहा कि 'संघर्ष विराम के लिए भारत और पाकिस्तान के सैन्य कमांडर्स के बीच सीधा संपर्क हुआ था और उसी में संघर्ष विराम पर सहमति बनी थी। उससे पहले हमने प्रभावी तरीके से पाकिस्तान के मुख्य एयरबेस और एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाया था। इसलिए संघर्ष विराम के लिए मुझे किसे धन्यवाद देना चाहिए? मुझे लगता है कि भारतीय सेना को, क्योंकि ये भारतीय सेना द्वारा की गई कार्रवाई ही थी, जिसके चलते पाकिस्तान ये कहने को मजबूर हुआ कि हम लड़ाई रोकने के लिए तैयार हैं।'
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पहलगाम आतंकी हमले के बाद छिड़ा संघर्ष
बीती 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या कर दी थी। इसके जवाब में भारत ने 6-7 मई की मध्य रात्रि पाकिस्तान में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया। इसके बाद पाकिस्तान ने आतंकियों के समर्थन में भारत के कई शहरों और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन भारत ने उन हमलों को नाकाम कर दिया। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान कई एयरबेस को निशाना बनाकर और उसके एयर डिफेंस को तबाह कर उसे घुटनों पर ला दिया। जिसके बाद पाकिस्तान की सेना के कमांडर्स ने भारतीय समकक्षों से बात की, जिसमें दोनों पक्षों में संघर्ष विराम पर सहमति बन गई। हालांकि ट्रंप प्रशासन ने भारत-पाकिस्तान के संघर्ष विराम का श्रेय लेने की कोशिश की। पाकिस्तान ने भी अमेरिका को इसके लिए धन्यवाद कहा, लेकिन भारत ने अमेरिका की संघर्ष विराम में कोई भी भूमिका होने से साफ इनकार किया।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति और विदेश मंत्री ने बात की, लेकिन....
विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले एक इंटरव्यू में बता चुके हैं कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत से बात की थी, लेकिन उनकी भूमिका महज संघर्ष पर चिंता जताने तक थी। जयशंकर ने कहा कि 'हमने सभी से स्पष्ट शब्दों में कह दिया था कि पाकिस्तान अगर लड़ाई रोकना चाहता है तो उसे खुद हमें बताना होगा। हम उनसे सुनना चाहते हैं। इसके बाद उनके जनरलों ने हमारे जनरल को फोन किया, जिसके बाद संघर्ष विराम हुआ।'
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'क्या परमाणु युद्ध के मुहाने पर थे दोनों देश?'
जर्मन अखबार के पत्रकार ने भारतीय विदेश मंत्री से परमाणु युद्ध को लेकर भी सवाल किया, जिस पर विदेश मंत्री ने भी हैरानी जताई। दरअसल पत्रकार ने पूछा कि 'भारत और पाकिस्तान संघर्ष के दौरान दुनिया परमाणु युद्ध से कितनी दूर थी?' इस पर विदेश मंत्री ने कहा कि 'बहुत, बहुत दूर थी। मैं सच बताऊं तो मैं इस सवाल से ही हैरान हूं। हमने आतंकी ठिकानों को सटीकता से तबाह किया और किसी नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचाया गया। इस दौरान ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया कि संघर्ष बढ़े। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने हम पर हमला किया, लेकिन हमने उन्हें दिखाया कि हम क्या कर सकते हैं और हमने उनका एयर डिफेंस सिस्टम तबाह कर दिया। उनकी मांग पर गोलीबारी रोकी गई, लेकिन इस दौरान कभी भी परमाणु हमले की कोई बात नहीं थी। ऐसा नैरेटिव है कि अगर हमारे इलाके में कुछ भी होगा तो उसे सीधे परमाणु युद्ध से जोड़ दिया जाता है, ये बात मुझे बेहद परेशान करती है क्योंकि इससे आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।' इसके बाद विदेश मंत्री ने अपने चिर-परिचित अंदाज में पश्चिम को आईना दिखाते हुए कहा कि 'अगर परमाणु युद्ध का कहीं खतरा है तो वो आपके हिस्से में है, क्योंकि यहां बहुत कुछ घटित हो रहा है।'
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