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चीनी विदेश मंत्री से मिले जयशंकर, कहा- आपसी मतभेद विवाद का कारण नहीं बनना चाहिए
विनोद अग्निहोत्री, बीजिंग
Published by: शिल्पा ठाकुर
Updated Mon, 12 Aug 2019 08:13 PM IST
सार
- चीन की तीन दिवसीय यात्रा पर है विदेश मंत्री एस जयशंकर।
- चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे की तैयारियों को अंतिम रूप देने सहित कई मुद्दों पर बातचीत की संभावना।
- साल के अंत में भारत आएंगे चीन के राष्ट्रपति।
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एस जयशंकर और वांग यी
- फोटो : ANI
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विस्तार
चीन की तीन दिवसीय अहम यात्रा पर बीजिंग पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया अनिश्चितता की स्थिति का सामना कर रही है तब भारत-चीन संबंधों को स्थिरता का परिचायक होना चाहिए। जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति वांग क्विशान से झोंग्ननहाई से उनके आवासीय परिसर में मुलाकात की। बाद में उन्होंने विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक की, जिसके बाद एक प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक हुई।
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राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भरोसेमंद समझे जाने वाले वांग के साथ मुलाकात के दौरान अपनी शुरुआती टिप्पणी में जयशंकर ने कहा, ‘हम दो साल पहले अस्ताना में एक आम सहमति पर पहुंचे थे कि ऐसे समय में जब दुनिया में पहले से अधिक अनिश्चितता है, हमारे संबंध स्थिरता के परिचायक होने चाहिए।’
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी के बीच हुई शिखर बैठक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं, उस वुहान शिखर सम्मेलन के बाद यहां आ कर आज बहुत खुश हूं, जहां वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर हमारे नेताओं के बीच आम सहमति और व्यापक हुई थी।’
जयशंकर ने कहा, ‘चीन में पुन: आना बहुत खुशी की बात है और मैं अपने पिछले वर्षों को बड़े उत्साह के साथ याद करता हूं। मैं बहुत खुश हूं कि मेरे कार्यकाल की शुरुआत में ही मुझे यहां आने और हमारे दो नेताओं के बीच अनौपचारिक शिखर सम्मेलन की तैयारी करने का अवसर मिला, जिसे हम शीघ्र ही देखने की उम्मीद करते हैं।’
जयशंकर का स्वागत करते हुए, उपराष्ट्रपति वांग ने कहा, ‘मुझे यह भी पता है कि आप चीन में सबसे लंबे समय तक रहने वाले भारतीय राजदूत हैं और आपने हमारे दोनों देशों के संबंधों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढ़ाएगी।
बाद में, जयशंकर और विदेश मंत्री वांग यी ने सांस्कृतिक और दोनों देशों के लोगों के आपसी संपर्क पर उच्च-स्तरीय तंत्र की दूसरी बैठक की सह-अध्यक्षता की। पहली बैठक पिछले साल नई दिल्ली में हुई थी।
भारत ने कहा है कि दोनों देशों के बीच मतभेदों को विवाद में नहीं बदलना चाहिए। वहीं चीन ने कहा है कि हमें संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र का पालन करते हुए हर देश की संप्रभुता और भौगोलिक सीमाओं का सम्मान करना चाहिए और एक विशेष प्रतिनिधि मैकेनिस्म के जरिए सीमा विवाद के समाधान की दिशा में बढ़ना होगा जिससे जल्दी ही इसका कोई हल निकल सके। यह बात चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से विदेश मंत्री स्तर की बातचीत के बाद उच्च स्तरीय भारत चीन मीडिया फोरम को संबोधित करते हुए कही।
इसके पहले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच कुछ क्षेत्रों में मतभेद हो सकते हैं पर उनको विवाद में नहीं बदलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज चीनी विदेश मंत्री के साथ बातचीत में दोनों देशों के बीच आर्थिक, रणनीतिक, सांस्कृतिक क्षेत्र में परस्पर सहयोग और ज्यादा बढ़ाने के लिए चार समझौते हुए। विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देश एक दूसरे की चिंताओं को समझते हुए परस्पर सहयोग की दिशा में काम कर रहे हैं। भारतीय और चीनी विदेश मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच नागरिक संबंधों की दिशा में ज्यादा से ज्यादा काम करने की जरूरत बताई।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद जयशंकर चीन का दौरा करने वाले पहले भारतीय मंत्री हैं। गौरतलब है कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भारतीय विदेश मंत्री की यह पहली चीन यात्रा है जबकि लद्दाख को केंद्र शासित क्षेत्र बनाने पर चीन ने अपनी चिंता जाहिर की है। हालांकि विदेश मंत्री का ये दौरा भारत के कश्मीर में उठाए गए कदम से एक महीने पहले प्रस्तावित था।