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India Development: '2047 तक विकसित भारत बनने के लिए विज्ञान-शोध पर और निवेश जरूरी, US में बोले केंद्रीय सचिव
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Mon, 15 Jan 2024 06:42 PM IST
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सार
2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए विज्ञान-प्रौद्योगिकी और शोध पर निवेश बढ़ाना समय की मांग है। ये कहना है विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव अभय करंदीगर का। उन्होंने PANIIT कार्यक्रम में यह टिप्पणी की। अमेरिका में इसका आयोजन 12 जनवरी से 14 जनवरी तक हुआ था।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव अभय करंदीकर (फाइल)
- फोटो : social media
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विस्तार
विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने लिए रिसर्च और निवेश को बढ़ावा देना जरूरी है। केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में शामिल शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि श्रमिकों के कौशल को निखारने की जरूरत है, इससे कार्यबल की गुणवत्ता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि रिसर्च और डेवलपमेंट में भी निवेश बढ़ाना समय की मांग है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव अभय करंदीगर ने यह टिप्पणी अमेरिका में की। वॉशिंगटन में पैनआईआईटी 2024 के मौके पर करंदीकर ने प्रशिक्षण हासिल कर चुके कामगारों की कमी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग बढ़ाने की जरूरत है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ इंटरव्यू में करंदीकर ने निजी क्षेत्र सहित विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़ी इकाइयों में निवेश का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अनुसंधान एवं विकास (R&D) को प्रोत्साहित करने के लिए भी और निवेश बेहद जरूरी है। अभी जितने पैसे लगाए जा रहे हैं, इसमें उल्लेखनीय वृद्धि की जरूरत है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का जिक्र करते हुए करंदीकर ने कहा कि वैश्विक औसत से तुलना करने पर भारत में शोध पर काफी कम पैसे खर्च किए जाते हैं। अगर देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के अपने लक्ष्य को हासिल करना है तो तस्वीर बदलनी होगी। निवेश बढ़ाना ही होगा।
उन्होंने कहा कि हमारे उद्योग और निजी क्षेत्र को शिक्षा जगत के साथ मिलकर काम करना होगा। करंदीकर ने कहा, उद्योग जगत के लोग अगर शिक्षा जगत से जुड़कर सहयोग करें, निजी क्षेत्र अनुसंधान और विकास पर खर्च करें तो चुनौतियों का बेहतर मुकाबला किया जा सकता है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इसलिए अगले 25 वर्षों में प्रौद्योगिकी और नवाचार पर फोकस जरूरी है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर इन दो क्षेत्रों को प्रमुख भूमिका निभानी होगी।
करंदीकर ने कोविड-19 महामारी का जिक्र करते हुए कहा, कोरोना संक्रमण के कठिन दौर के बाद भारत में इनोवेशन बढ़ा है। भारत में कोरोना टीके विकसित किए गए। अब हम टीकों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक हैं। भारत में वेंटिलेटर जैसे कई मेडटेक उपकरण भी विकसित किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा, भारत को एक बहुत मजबूत मेडटेक इनोवेशन इकोसिस्टम विकसित करने की जरूरत है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से मंजर पूरी तरह बदल जाएंगे। भारत के पास दो कारणों से बहुत बड़ा मौका है। उन्होंने कहा, डेटा सेट के दृष्टिकोण से हमारी जनसंख्या बेहद कारगर साबित होगी। कोई भी अन्य देश इतनी बड़ी संख्या में डेटा जेनरेट नहीं कर सकता। AI की सफलता डेटा पर ही निर्भर होगी, ऐसे में यह भारत के लिए फायदेमंद साबित होगा।

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उन्होंने कहा कि हमारे उद्योग और निजी क्षेत्र को शिक्षा जगत के साथ मिलकर काम करना होगा। करंदीकर ने कहा, उद्योग जगत के लोग अगर शिक्षा जगत से जुड़कर सहयोग करें, निजी क्षेत्र अनुसंधान और विकास पर खर्च करें तो चुनौतियों का बेहतर मुकाबला किया जा सकता है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इसलिए अगले 25 वर्षों में प्रौद्योगिकी और नवाचार पर फोकस जरूरी है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर इन दो क्षेत्रों को प्रमुख भूमिका निभानी होगी।
करंदीकर ने कोविड-19 महामारी का जिक्र करते हुए कहा, कोरोना संक्रमण के कठिन दौर के बाद भारत में इनोवेशन बढ़ा है। भारत में कोरोना टीके विकसित किए गए। अब हम टीकों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक हैं। भारत में वेंटिलेटर जैसे कई मेडटेक उपकरण भी विकसित किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा, भारत को एक बहुत मजबूत मेडटेक इनोवेशन इकोसिस्टम विकसित करने की जरूरत है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से मंजर पूरी तरह बदल जाएंगे। भारत के पास दो कारणों से बहुत बड़ा मौका है। उन्होंने कहा, डेटा सेट के दृष्टिकोण से हमारी जनसंख्या बेहद कारगर साबित होगी। कोई भी अन्य देश इतनी बड़ी संख्या में डेटा जेनरेट नहीं कर सकता। AI की सफलता डेटा पर ही निर्भर होगी, ऐसे में यह भारत के लिए फायदेमंद साबित होगा।