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Hindi Diwas 2025: रूस में बढ़ी हिंदी सीखने की दिलचस्पी, सरकार ने संस्थानों की संख्या बढ़ाने का किया एलान

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: शिवम गर्ग Updated Sun, 14 Sep 2025 07:54 PM IST
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सार

Russia Hindi Education: रूस में हिंदी भाषा की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। सरकार ने अधिक संस्थानों में हिंदी सिखाने की घोषणा की है। युवा पीढ़ी भारत की संस्कृति और आधुनिक पहचान को समझने में गहरी रुचि दिखा रही है।

Hindi Diwas 2025: Growing Interest in Hindi in Russia, Govt Expands Number of Teaching Institutions
हिंदी दिवस 2025 - फोटो : Amar Ujala Graphics
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Russia Hindi Language: सोवियत संघ के टूटने के करीब तीन दशक बाद रूस में छात्रों के बीच हिंदी सीखने की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है। इस बढ़ती मांग को देखते हुए रूसी सरकार ने हिंदी पढ़ाने वाले संस्थानों की संख्या बढ़ाने की घोषणा की है।

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रूस के शिक्षा एवं विज्ञान उपमंत्री कॉन्स्टांटिन मोगिलेव्स्की ने कहा कि "हम चाहते हैं कि हमारे और ज्यादा छात्र हिंदी सीखें। भारत आज दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है और वहां के लोग अब अंग्रेजी के बजाय दैनिक जीवन में हिंदी का उपयोग बढ़ा रहे हैं। ऐसे में हमें भी हिंदी और अन्य पूर्वी भाषाएं सीखनी होंगी।"

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कई विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है

रूस के शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों में हिंदी सीखने की बढ़ती मांग को देखते हुए और अधिक शैक्षणिक संस्थानों में इसे शुरू करने की योजना बनाई है। फिलहाल मॉस्को में एमजीआईएमओ स्कूल ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस, रूसी स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूमैनिटीज (RSUH), मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी के एशियाई और अफ्रीकी अध्ययन संस्थान और मॉस्को स्टेट लिंग्विस्टिक यूनिवर्सिटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। वहीं, सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी और कज़ान फेडरल यूनिवर्सिटी में भी हिंदी शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।

सोवियत संघ के बाद बंद हुआ पुराना हिंदी स्कूल

सोवियत संघ टूटने के बाद मॉस्को का सबसे पुराना हिंदी बोर्डिंग स्कूल बंद कर दिया गया था। उस समय रेडियो मॉस्को ने हिंदी प्रसारण बंद कर दिया था और रूसी लेखकों की हिंदी अनुवादित किताबें छापने वाले "प्रोग्रेस" और "राडुगा" पब्लिशिंग हाउस भी बंद हो गए थे।

युवा पीढ़ी में भारत को जानने की चाह

RSUH की इंदिरा गजीयेवा के अनुसार, “रूसी मीडिया अक्सर भारत को पश्चिमी नजरिए से दिखाता है, लेकिन नई पीढ़ी आधुनिक भारत और उसकी प्राचीन सभ्यता को गहराई से समझने में दिलचस्पी दिखा रही है।”

हिंदी-रूसी मुहावरा शब्दकोश का विमोचन

हाल ही में आयोजित मास्को इंटरनेशनल बुक फेयर में भारत “गेस्ट ऑफ ऑनर कंट्री” रहा। इस दौरान “हिंदी-रूसी मुहावरा शब्दकोश” का विमोचन किया गया, जिसमें करीब 2000 हिंदी मुहावरे शामिल हैं। इस शब्दकोश को कई भारतीय विद्वानों और अनुवादकों ने मिलकर तैयार किया है।

एक संकलक प्रगति टिपनेसे ने बताया, “यह शब्दकोश द्विभाषी है और इसे ऐसे छात्रों के लिए बनाया गया है जिनकी भाषा और संस्कृति हमारी परंपराओं से अलग है। इसमें स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कौन-सा मुहावरा कब और कैसे इस्तेमाल करना है।”

उन्होंने यह भी कहा कि रूसी संस्थानों में इस शब्दकोश को लेकर काफी उत्साह है और आईसीसीआर (भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद) इसे उपलब्ध कराने में मदद करने पर विचार कर रही है।

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