श्रीलंका हमला: पुलिस प्रमुख ने 10 दिन पहले ही दी थी आत्मघाती हमले की चेतावनी
श्रीलंका में रविवार को हुए आठ बम धमाकों से पड़ोसी देश दहल गया। धमाकों में हुई मौतों का आंकड़ा 215 पहुंच गया है, जबकि 500 से ज्यादा लोग घायल हो गये। मरने वालों में 35 विदेशी लोग भी शामिल हैं। हमले में अभी तक किसी भारतीय के घायल होने या मरने के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, धमाके से दस दिन पहले 11 अप्रैल को एक विदेशी खुफिया एजेंसी के हवाले से श्रीलंका के पुलिस प्रमुख पुजुथ जयसुंदर ने देश के प्रमुख चर्चों पर हमले को लेकर अलर्ट जारी किया था।
इसमें कहा गया था कि आत्मघाती हमलावरों ने प्रमुख चर्चों पर हमला करने की साजिश रची है। विदेशी खुफिया एजेंसी ने रिपोर्ट दी थी कि एनटीजे (नेशनल तोहिद जमात) आत्मघाती हमलों को अंजाम दे सकता है। इतना ही नहीं, चर्चों के साथ-साथ कोलंबो में भारतीय उच्चायोग भी आतंकियों के निशाने पर था। बता दें कि एनटीजे श्रीलंका का कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन है जिसका नाम पिछले साल ही कई बौद्ध प्रतिमाओं के साथ बर्बरता करने में जोड़ा गया था।
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गौरतलब है कि रविवार को हुए आठ बम धमाकों ने श्रीलंका को हिला दिया। तीन चर्च, तीन पांच सितारा होटलों और एक गेस्ट हाउस में हुए इन धमाकों की अब तक किसी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन शक की सुई नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) पर है, जो इस्लामिक स्टेट (आईएस) का मॉड्यूल माना जाता है। पुलिस का कहना है कि गेस्ट हाउस और होटल द सिनामोन ग्रांड में हुआ हमला आत्मघाती था। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अगले आदेश तक श्रीलंका में शाम छह बजे से सुबह छह बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया है। साथ ही सोशल मीडिया को अस्थायी तौर पर बैन कर दिया गया है।
पुलिस प्रवक्ता रूआन गुनासेकरा ने बताया कि पहला विस्फोट कोलंबो के सेंट एंथोनी और इसके बाद नेगेंबो के सेंट सेबेस्टियन चर्च में हुआ। कुछ देर बाद पूर्वी शहर बट्टिकलोआ के एक चर्च में विस्फोट हुआ। चर्च के अलावा कोलंबो के पांच सितारा होटलों शंगरीला, द सिनामोन ग्रांड और द किंग्सबरी को भी निशाना बनाया गया। धमाकों के बाद पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। इसके अलावा तमाम एयरपोर्ट, सार्वजनिक प्रतिष्ठानों और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। एहतियात के तौर पर मंगलवार तक स्कूल और कालेजों को भी बंद रखा गया है।
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10 साल पहले...लिट्टे हमले में 120 की हुई थी मौत
जून, 2008 में कोलंबो में यात्रियों से दो भरी बसों में हुए बम धमाकों में 22 लोग मारेे गए थे और 100 से ज्यादा जख्मी हुए थे। इसके बाद कई दिनों तक कोलंबो में बम हमले हुए थे, जिनमें आम नागरिकों को निशाना बनाया गया था। अगले साल ट्रेन और बसों में हुए धमाकों में 120 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
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