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श्रीलंका में धमाकों के बाद खौफ में मुस्लिम समुदाय, डर से घर से नहीं निकल रहे
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला
Published by: अमर शर्मा
Updated Thu, 25 Apr 2019 04:01 AM IST
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श्रीलंका में बम धमाकों के बाद रोती हुई एक महिला
- फोटो : PTI
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श्रीलंका में ईस्टर के दिन हुए बम धमाकों के बाद राजधानी कोलंबो में नौकरी करने वाले मोहम्मद हसन शायद ही घर से बाहर कदम रखा है। हसन को इस बात का डर सता रहा है कि उन पर हमला हो सकता है क्योंकि वह मुस्लिम हैं।
41 वर्षीय हसन एक प्रिंटिंग प्रेस में नौकरी करते हैं। लेकिन उनके परिवारवाले उनसे घर में ही रहने की पुरजोर गुजारिश की है। हसन ने डेमाटागोडा स्थित एक मस्जिद के बाहर कहा, "उन्हें इस बात की चिंता है कि अगर मैं बाहर गया तो क्या मैं जिंदा वापस लौट पाऊंगा।"
ईस्टर के मौके पर श्रीलंका में हुए सिलसिलेवार धमाकों में कम से कम 359 लोगों की मौत हो गई है। इन विस्फोटों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट समूह ने ली है।
इन मौतों से श्रीलंकाई लोग भयभीत हो गए हैं। मुस्लिम समूहों ने इन मौतों की निंदा की गई है। लेकिन समुदाय के कई लोगों को खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं।
जरीना बेगम (60) ने बताया कि विस्फोट की घटना के बाद से वह शायद ही सो पाई हैं। मस्जिद के बाहर रोते हुए जरीना ने कहा, "मुझे पता है कि मुस्लिम समुदाय से लोग खफा हैं।" उन्होंने बताया, "इन धमाकों में मां की गोद में बैठे नवजात भी मारे गए थे।"
उन्होंने कहा, "मैंने इस बात की कल्पना तक नहीं थी कि इन लोगों (हमलावरों) के दिलों में इतनी नफरत थी।" बेगम ने कहा, "हम अपने घरों में ही हैं। हमें बाहर जाने से डर लग रहा है।"
श्रीलंका की कुल दो करोड़ 10 लाख आबादी में जातीयता और धर्मों का मिश्रण है और सिंहली बौद्ध बहुसंख्यकों का वर्चस्व है।
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41 वर्षीय हसन एक प्रिंटिंग प्रेस में नौकरी करते हैं। लेकिन उनके परिवारवाले उनसे घर में ही रहने की पुरजोर गुजारिश की है। हसन ने डेमाटागोडा स्थित एक मस्जिद के बाहर कहा, "उन्हें इस बात की चिंता है कि अगर मैं बाहर गया तो क्या मैं जिंदा वापस लौट पाऊंगा।"
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ईस्टर के मौके पर श्रीलंका में हुए सिलसिलेवार धमाकों में कम से कम 359 लोगों की मौत हो गई है। इन विस्फोटों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट समूह ने ली है।
इन मौतों से श्रीलंकाई लोग भयभीत हो गए हैं। मुस्लिम समूहों ने इन मौतों की निंदा की गई है। लेकिन समुदाय के कई लोगों को खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं।
जरीना बेगम (60) ने बताया कि विस्फोट की घटना के बाद से वह शायद ही सो पाई हैं। मस्जिद के बाहर रोते हुए जरीना ने कहा, "मुझे पता है कि मुस्लिम समुदाय से लोग खफा हैं।" उन्होंने बताया, "इन धमाकों में मां की गोद में बैठे नवजात भी मारे गए थे।"
उन्होंने कहा, "मैंने इस बात की कल्पना तक नहीं थी कि इन लोगों (हमलावरों) के दिलों में इतनी नफरत थी।" बेगम ने कहा, "हम अपने घरों में ही हैं। हमें बाहर जाने से डर लग रहा है।"
श्रीलंका की कुल दो करोड़ 10 लाख आबादी में जातीयता और धर्मों का मिश्रण है और सिंहली बौद्ध बहुसंख्यकों का वर्चस्व है।