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Thailand Politics: थाईलैंड में और गहराया सियासी संकट, सत्ताधारी पार्टी ने नए चुनाव की मांग की; जानें सब कुछ
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बैंकॉक
Published by: पवन पांडेय
Updated Wed, 03 Sep 2025 06:23 PM IST
सार
थाईलैंड में जारी राजनीतिक उठापटक के बाद फिलहाल कार्यवाहक सरकार शासन में है। वहीं सत्ताधारी दल ने नए चुनाव की मांग की है, जबकि कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथाम वेचायचाई ने चेतावनी दी कि अगर संकट लंबा खिंचा तो देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है। उन्होंने कहा, 'हमें सत्ता वापस जनता को देनी चाहिए और उन्हें फैसला करने देना चाहिए।'
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पैतोंगटार्न शिनावात्रा, फेउ थाई पार्टी की नेता
- फोटो : ANI
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विस्तार
थाईलैंड में राजनीतिक संकट और गहराता जा रहा है। देश पिछले हफ्ते से कार्यवाहक सरकार के तहत चल रहा है। बुधवार को इस संकट को सुलझाने के लिए दो अलग-अलग कदम उठे। सत्ताधारी फ्यू थाई पार्टी, जो फिलहाल कार्यवाहक सरकार चला रही है, ने संसद भंग करने और नए चुनाव कराने के लिए राजा से अनुरोध किया है। वहीं, मुख्य विपक्षी पीपल्स पार्टी ने घोषणा की कि वह भूमजैथाई पार्टी के नेता अनुतिन चारनविराकुल को अगला प्रधानमंत्री बनाने के लिए समर्थन देगी।
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समर्थन के लिए क्या है विपक्ष की शर्त?
हालांकि, विपक्ष का समर्थन कुछ शर्तों पर आधारित है। अनुतिन चारनविराकुल को लिखित समझौते में वादा करना होगा कि नई सरकार बनने के चार महीने के भीतर संसद भंग कर दी जाएगी और आम चुनाव कराए जाएंगे। इसके अलावा, नई सरकार को जनमत संग्रह कराकर नया संविधान बनाने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। विपक्ष लंबे समय से मौजूदा सैन्य शासन के दौर में बने संविधान में बदलाव चाहता है।
शिनावात्रा को पीएम पद से हटाने के बाद थाईलैंड में उथल-पुथल
थाईलैंड में राजनीतिक उथल-पुथल तब बढ़ी जब पिछले हफ्ते संवैधानिक अदालत ने प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा को पद से हटा दिया। अदालत का कहना था कि उन्होंने कंबोडिया के सीनेट अध्यक्ष हुन सेन से सीमा विवाद के दौरान फोन पर बातचीत कर नैतिकता कानूनों का उल्लंघन किया। इस विवाद में जुलाई में पांच दिन तक हिंसक संघर्ष हुआ था।
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2023 के चुनाव के बाद से राजनीतिक उठपटक
2023 के चुनाव में पीपल्स पार्टी ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थीं, लेकिन सेना समर्थित सीनेटरों ने उनके उम्मीदवार को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया। इसके बाद फ्यू थाई पार्टी के नेता स्रेठा थाविसिन प्रधानमंत्री बने, लेकिन एक साल बाद उन्हें भी नैतिक उल्लंघन के मामले में हटाया गया। स्रेठा के बाद पैतोंगटार्न आईं, लेकिन एक साल में ही उन्हें भी पद छोड़ना पड़ा। इस बीच, भूमजैथाई पार्टी ने जून में हुए कंबोडिया विवाद के बाद पैतोंगटार्न की गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिससे सरकार अल्पमत में आ गई और राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ गई।
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समर्थन के लिए क्या है विपक्ष की शर्त?
हालांकि, विपक्ष का समर्थन कुछ शर्तों पर आधारित है। अनुतिन चारनविराकुल को लिखित समझौते में वादा करना होगा कि नई सरकार बनने के चार महीने के भीतर संसद भंग कर दी जाएगी और आम चुनाव कराए जाएंगे। इसके अलावा, नई सरकार को जनमत संग्रह कराकर नया संविधान बनाने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। विपक्ष लंबे समय से मौजूदा सैन्य शासन के दौर में बने संविधान में बदलाव चाहता है।
शिनावात्रा को पीएम पद से हटाने के बाद थाईलैंड में उथल-पुथल
थाईलैंड में राजनीतिक उथल-पुथल तब बढ़ी जब पिछले हफ्ते संवैधानिक अदालत ने प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा को पद से हटा दिया। अदालत का कहना था कि उन्होंने कंबोडिया के सीनेट अध्यक्ष हुन सेन से सीमा विवाद के दौरान फोन पर बातचीत कर नैतिकता कानूनों का उल्लंघन किया। इस विवाद में जुलाई में पांच दिन तक हिंसक संघर्ष हुआ था।
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2023 के चुनाव के बाद से राजनीतिक उठपटक
2023 के चुनाव में पीपल्स पार्टी ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थीं, लेकिन सेना समर्थित सीनेटरों ने उनके उम्मीदवार को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया। इसके बाद फ्यू थाई पार्टी के नेता स्रेठा थाविसिन प्रधानमंत्री बने, लेकिन एक साल बाद उन्हें भी नैतिक उल्लंघन के मामले में हटाया गया। स्रेठा के बाद पैतोंगटार्न आईं, लेकिन एक साल में ही उन्हें भी पद छोड़ना पड़ा। इस बीच, भूमजैथाई पार्टी ने जून में हुए कंबोडिया विवाद के बाद पैतोंगटार्न की गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिससे सरकार अल्पमत में आ गई और राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ गई।