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Epstein Files: एक बदनाम यौन तस्कर, जिसकी फाइलों में दर्ज हैं कई गहरे राज; जानिए एपस्टीन मामले की पूरी टाइमलाइन
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन
Published by: नितिन गौतम
Updated Sat, 20 Dec 2025 08:11 AM IST
सार
जेफ्री एपस्टीन मामले में न्याय विभाग ने कई दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं, जिनमें कई बड़े नेताओं और कारोबारियों के नाम हैं, जिसे लेकर हंगामा हो गया है। आइए जानते हैं कैसे इस मामले का खुलासा हुआ है और अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ।
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जेफ्री एपस्टीन।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
जेफ्री एपस्टीन एक ऐसा नाम, जो आज पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। जेफ्री एपस्टीन की साल 2019 में ही जेल की कोठरी में मौत हो गई थी, लेकिन अभी भी वह कई सफेदपोश अरबपतियों और शाही लोगों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। दरअसल जेफ्री एपस्टीन से जुड़े दस्तावेज अमेरिकी सरकार द्वारा सार्वजनिक किए जा रहे हैं और उन दस्तावेजों में दुनिया के कई नामचीन लोगों के नाम और तस्वीरें हैं, जिन्हें लेकर खूब विवाद हो रहा है। तो आइए जानते हैं कि इस एपस्टीन मामले की शुरुआत कहां से हुई और कैसे एपस्टीन और उसके बदनाम मेंशन की कहानी दुनिया के सामने आई।
जांच की शुरुआत
मार्च 2005: पहली बार मार्च 2005 में जेफ्री एपस्टीन पर एक 14 साल की लड़की से छेड़छाड़ का आरोप लगा था। पीड़िता के माता-पिता की शिकायत पर फ्लोरिडा के पाम बीच स्थित इलाके की पुलिस ने मामला दर्ज किया था। आरोप था कि एपस्टीन ने अपने मेंशन में नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ की। बाद में कई नाबालिग लड़कियों, जिनमें अनेक हाई-स्कूल छात्राएं थीं, ने भी पुलिस को बताया कि एपस्टीन उन्हें यौन मसाज के लिए पैसे देता था।
मई 2006: पाम बीच पुलिस ने एपस्टीन पर नाबालिग से अवैध यौन संबंध के कई आरोपों में मुकदमा चलाने की मांग की, लेकिन काउंटी के शीर्ष अभियोजक स्टेट अटॉर्नी बैरी क्रिशर ने असामान्य कदम उठाते हुए मामला ग्रैंड जूरी को सौंप दिया।
जुलाई 2006: ग्रैंड जूरी द्वारा नाबालिग पीड़िताओं को वेश्यावृत्ति में धकेलने के आरोप में अभियोग तय होने के बाद एपस्टीन की गिरफ्तारी हुई। हालांकि एपस्टीन पर जो आरोप लगे, वे बेहद कमजोर थे और स्टेट अटॉर्नी पर एपस्टीन को विशेष रियायत देने का आरोप लगाया। हालांकि एपस्टीन के वकीलों ने गुप्त डील के जरिए उसे संघीय मुकदमे से बचा लिया और पीड़िता के आरोपों को अविश्वसनीय माना गया।
गुप्त समझौते के चलते हुई कम सजा
जून 2008: एपस्टीन ने 18 वर्ष से कम उम्र की पीड़िताओं को वेश्यावृत्ति के लिए उकसाने के आरोपों को स्वीकार किया। जिसके बाद उसे 18 महीने की जेल की सजा हुई। एपस्टीन ने अपनी अधिकांश सजा वर्क-रिलीज कार्यक्रम में काटी, जिसमें उसे दिन में जेल से बाहर जाने की अनुमति थी।
मई 2009: एपस्टीन की एक अन्य पीड़िता, वर्जीनिया रॉबर्ट्स गिफ्रे ने मुकदमा दायर कर आरोप लगाया कि एपस्टीन और उसकी साथी मैक्सवेल ने उसे राजघरानों के सदस्यों, राजनेताओं, शिक्षाविदों, कारोबारियों से यौन संबंधों बनाने के लिए मजबूर किया।
जुलाई 2009: एपस्टीन जेल से रिहा हुआ।
2 मार्च 2011: डेली मेल ने गिफ्रे का साक्षात्कार प्रकाशित किया, जिसमें उसने 17 वर्ष की उम्र में एपस्टीन के साथ लंदन यात्रा और उस समय प्रिंस एंड्रयू के साथ रात गुजारने की बात का खुलासा किया। प्रिंस के साथ गिफ्रे की तस्वीर सामने आने से शाही परिवार को काफी फजीहत झेलनी पड़ी। बाद में एफबीआई ने गिफ्रे से पूछताछ की।
30 दिसंबर 2014: गिफ्रे के वकीलों ने अदालत में दायर दस्तावेजों में दावा किया कि उसके विदेशी राष्ट्राध्यक्षों और वैश्विक नेताओं से भी यौन संबंध हुए। हालांकि सभी ने आरोपों से इनकार किया।
ये भी पढ़ें- एपस्टीन फाइल्स में खुलासा: लड़कियों के साथ नहाते दिखे क्लिंटन, ट्रंप की फोटो बेहद कम; तीन लाख दस्तावेज जारी
2019 में फिर हुई एपस्टीन की गिरफ्तारी
6 जुलाई 2019: न्यूयॉर्क में यौन तस्करी के आरोपों में एपस्टीन को फिर से गिरफ्तार किया गया।
10 अगस्त 2019: न्यूयॉर्क की जेल में एपस्टीन ने आत्महत्या कर ली।
2 जुलाई 2020: न्यूयॉर्क के संघीय अभियोजकों ने एपस्टीन की दोस्त गिसेल मैक्सवेल पर यौन अपराधों के आरोप लगाए। मैक्सवेल पर आरोप लगा कि उसने पीड़िताओं की भर्ती और शोषण में मदद की।
30 दिसंबर 2021: एक महीने चले मुकदमे के बाद जूरी ने मैक्सवेल को यौन तस्करी और अन्य अपराधों में दोषी ठहराया।
28 जून 2022: मैक्सवेल को 20 साल की सजा सुनाई गई।
जनवरी 2024: संबंधित मुकदमे में और अदालत रिकॉर्ड सार्वजनिक होने के बाद एपस्टीन मामले में फिर से लोगों का ध्यान खींचा। इस मामले में अंतरराष्ट्रीय यौन तस्करी नेटवर्क से जुड़ी थ्योरीज को हवा मिली।
20 जनवरी 2025: डोनाल्ड ट्रंप, जो वर्षों तक एपस्टीन के दोस्त और पड़ोसी रहे, दोबारा राष्ट्रपति बने। 2024 के चुनाव अभियान में उन्होंने एपस्टीन से जुड़ी और सरकारी फाइलें सार्वजनिक करने की बात कही।
25 अप्रैल 2025: एपस्टीन मामले का खुलासा करने वाली गिफ्रे की मौत हो गई।
15 जुलाई 2025: प्रतिनिधि रो खन्ना और थॉमस मैसी ने एपस्टीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट पेश किया।
12 नवंबर 2025: अमेरिकी कांग्रेस की एक समिति ने एपस्टीन और अन्य के बीच ई-मेल पत्राचार का बड़ा संग्रह जारी किया, जिसमें प्रिंस एंड्रयू, ट्रंप के सहयोगी स्टीव बैनन, पूर्व ट्रेजरी सचिव लैरी समर्स और लिंक्डइन के संस्थापक रीड हॉफमैन शामिल हैं।
18 नवंबर 2025: कांग्रेस ने एपस्टीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट पारित किया। अगले दिन ट्रंप ने इसे कानून बना दिया।
19 दिसंबर 2025: न्याय विभाग ने रिकॉर्ड जारी करने की प्रक्रिया शुरू की।
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जांच की शुरुआत
मार्च 2005: पहली बार मार्च 2005 में जेफ्री एपस्टीन पर एक 14 साल की लड़की से छेड़छाड़ का आरोप लगा था। पीड़िता के माता-पिता की शिकायत पर फ्लोरिडा के पाम बीच स्थित इलाके की पुलिस ने मामला दर्ज किया था। आरोप था कि एपस्टीन ने अपने मेंशन में नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ की। बाद में कई नाबालिग लड़कियों, जिनमें अनेक हाई-स्कूल छात्राएं थीं, ने भी पुलिस को बताया कि एपस्टीन उन्हें यौन मसाज के लिए पैसे देता था।
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मई 2006: पाम बीच पुलिस ने एपस्टीन पर नाबालिग से अवैध यौन संबंध के कई आरोपों में मुकदमा चलाने की मांग की, लेकिन काउंटी के शीर्ष अभियोजक स्टेट अटॉर्नी बैरी क्रिशर ने असामान्य कदम उठाते हुए मामला ग्रैंड जूरी को सौंप दिया।
जुलाई 2006: ग्रैंड जूरी द्वारा नाबालिग पीड़िताओं को वेश्यावृत्ति में धकेलने के आरोप में अभियोग तय होने के बाद एपस्टीन की गिरफ्तारी हुई। हालांकि एपस्टीन पर जो आरोप लगे, वे बेहद कमजोर थे और स्टेट अटॉर्नी पर एपस्टीन को विशेष रियायत देने का आरोप लगाया। हालांकि एपस्टीन के वकीलों ने गुप्त डील के जरिए उसे संघीय मुकदमे से बचा लिया और पीड़िता के आरोपों को अविश्वसनीय माना गया।
गुप्त समझौते के चलते हुई कम सजा
जून 2008: एपस्टीन ने 18 वर्ष से कम उम्र की पीड़िताओं को वेश्यावृत्ति के लिए उकसाने के आरोपों को स्वीकार किया। जिसके बाद उसे 18 महीने की जेल की सजा हुई। एपस्टीन ने अपनी अधिकांश सजा वर्क-रिलीज कार्यक्रम में काटी, जिसमें उसे दिन में जेल से बाहर जाने की अनुमति थी।
मई 2009: एपस्टीन की एक अन्य पीड़िता, वर्जीनिया रॉबर्ट्स गिफ्रे ने मुकदमा दायर कर आरोप लगाया कि एपस्टीन और उसकी साथी मैक्सवेल ने उसे राजघरानों के सदस्यों, राजनेताओं, शिक्षाविदों, कारोबारियों से यौन संबंधों बनाने के लिए मजबूर किया।
जुलाई 2009: एपस्टीन जेल से रिहा हुआ।
2 मार्च 2011: डेली मेल ने गिफ्रे का साक्षात्कार प्रकाशित किया, जिसमें उसने 17 वर्ष की उम्र में एपस्टीन के साथ लंदन यात्रा और उस समय प्रिंस एंड्रयू के साथ रात गुजारने की बात का खुलासा किया। प्रिंस के साथ गिफ्रे की तस्वीर सामने आने से शाही परिवार को काफी फजीहत झेलनी पड़ी। बाद में एफबीआई ने गिफ्रे से पूछताछ की।
30 दिसंबर 2014: गिफ्रे के वकीलों ने अदालत में दायर दस्तावेजों में दावा किया कि उसके विदेशी राष्ट्राध्यक्षों और वैश्विक नेताओं से भी यौन संबंध हुए। हालांकि सभी ने आरोपों से इनकार किया।
ये भी पढ़ें- एपस्टीन फाइल्स में खुलासा: लड़कियों के साथ नहाते दिखे क्लिंटन, ट्रंप की फोटो बेहद कम; तीन लाख दस्तावेज जारी
2019 में फिर हुई एपस्टीन की गिरफ्तारी
6 जुलाई 2019: न्यूयॉर्क में यौन तस्करी के आरोपों में एपस्टीन को फिर से गिरफ्तार किया गया।
10 अगस्त 2019: न्यूयॉर्क की जेल में एपस्टीन ने आत्महत्या कर ली।
2 जुलाई 2020: न्यूयॉर्क के संघीय अभियोजकों ने एपस्टीन की दोस्त गिसेल मैक्सवेल पर यौन अपराधों के आरोप लगाए। मैक्सवेल पर आरोप लगा कि उसने पीड़िताओं की भर्ती और शोषण में मदद की।
30 दिसंबर 2021: एक महीने चले मुकदमे के बाद जूरी ने मैक्सवेल को यौन तस्करी और अन्य अपराधों में दोषी ठहराया।
28 जून 2022: मैक्सवेल को 20 साल की सजा सुनाई गई।
जनवरी 2024: संबंधित मुकदमे में और अदालत रिकॉर्ड सार्वजनिक होने के बाद एपस्टीन मामले में फिर से लोगों का ध्यान खींचा। इस मामले में अंतरराष्ट्रीय यौन तस्करी नेटवर्क से जुड़ी थ्योरीज को हवा मिली।
20 जनवरी 2025: डोनाल्ड ट्रंप, जो वर्षों तक एपस्टीन के दोस्त और पड़ोसी रहे, दोबारा राष्ट्रपति बने। 2024 के चुनाव अभियान में उन्होंने एपस्टीन से जुड़ी और सरकारी फाइलें सार्वजनिक करने की बात कही।
25 अप्रैल 2025: एपस्टीन मामले का खुलासा करने वाली गिफ्रे की मौत हो गई।
15 जुलाई 2025: प्रतिनिधि रो खन्ना और थॉमस मैसी ने एपस्टीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट पेश किया।
12 नवंबर 2025: अमेरिकी कांग्रेस की एक समिति ने एपस्टीन और अन्य के बीच ई-मेल पत्राचार का बड़ा संग्रह जारी किया, जिसमें प्रिंस एंड्रयू, ट्रंप के सहयोगी स्टीव बैनन, पूर्व ट्रेजरी सचिव लैरी समर्स और लिंक्डइन के संस्थापक रीड हॉफमैन शामिल हैं।
18 नवंबर 2025: कांग्रेस ने एपस्टीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट पारित किया। अगले दिन ट्रंप ने इसे कानून बना दिया।
19 दिसंबर 2025: न्याय विभाग ने रिकॉर्ड जारी करने की प्रक्रिया शुरू की।