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US: अदालत से ट्रंप प्रशासन को झटका, आदेश- जेल भेजे गए वेनेजुएला के कैदियों को मिले अपील का अधिकार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन
Published by: नितिन गौतम
Updated Tue, 23 Dec 2025 08:07 AM IST
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सार
अमेरिका में ट्रंप सरकार को एक बार फिर अदालत ने झटका दिया है। दरअसल ट्रंप सरकार ने कुछ माह पहले अपनी अप्रवासन नीति के तहत वेनेजुएला के आपराधिक इतिहास वाले लोगों को जेल भेज दिया था। अब अदालत ने कहा है कि उन्हें भी अपील का अधिकार है और जज ने दो हफ्ते के भीतर सरकार से इसकी योजना पेश करने को कहा है।
judge court हथोड़ा
- फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
अमेरिका की एक संघीय अदालत के जज ने ट्रंप प्रशासन को झटका देते हुए आदेश दिया है कि अल सल्वाडोर की जेल भेजे गए वेनेजुएला के कैदियों को भी कानूनी अपील का अधिकार मिलना चाहिए। जज ने कहा कि या तो कैदियों को अदालती सुनवाई की सुविधा मिले या फिर उन्हें अमेरिका वापस लाया जाए। अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज जेम्स बोसबर्ग ने ट्रंप सरकार को उन लोगों के लिए दो हफ्ते के अंदर एक योजना बनाने का आदेश दिया, जिन्हें बाद में अल सल्वाडोर से कैदियों की अदला-बदली में वेनेजुएला वापस भेज दिया गया था।
जज ने आदेश में क्या कहा
बोसबर्ग ने आदेश में लिखा, 'याचिकाकर्ताओं को उस तरह से नहीं हटाया जाना चाहिए था, जिस तरह से उन्हें हटाया गया, बिना किसी नोटिस के और उन्हें विरोध करने का कोई मौका भी नहीं दिया गया, जो उनके कानूनी अधिकारों का साफ उल्लंघन है।' ट्रंप प्रशासन की अप्रवासन विरोधी कार्रवाई में यह मामला एक बड़ा कानूनी मुद्दा बन गया है। इसकी शुरुआत मार्च में हुई, जब ट्रंप सरकार ने 18वीं सदी के युद्धकालीन कानून का इस्तेमाल करते हुए वेनेजुएला के आपराधिक गुटों के सदस्य होने के आरोप में कुछ अप्रवासियों को टेरेरिज्म कन्फाइनमेंट सेंटर नाम की जेल में भेज दिया गया था।
ये भी पढ़ें- US: शिनजियांग में मानवाधिकार उल्लंघन उजागर करने वाले चीनी नागरिक की निर्वासन योजना रद्द; अमेरिका का बड़ा फैसला
जज के फैसले के बाद ट्रंप प्रशासन के फैसले को चुनौती दे सकेंगे निर्वासित किए गए लोग
जुलाई में अमेरिका के साथ कैदियों की अदला-बदली में 200 से ज़्यादा प्रवासियों को वेनेजुएला वापस भेज दिया गया था। डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा फेडरल बेंच में नियुक्त किए गए जज बोसबर्ग का यह फैसला, निर्वासित किए गए लोगों को इस आरोप को चुनौती देने का रास्ता खोलता है कि वे ट्रेन डी अरागुआ गैंग के सदस्य हैं और एलियन एनिमीज एक्ट के तहत उन्हें अमेरिका से निकाला जा सकता है। प्रवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाले ACLU के वकील ली गेलर्नट ने कहा, 'यह महत्वपूर्ण फैसला साफ करता है कि ट्रंप प्रशासन बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के लोगों को किसी बदनाम विदेशी जेल में नहीं भेज सकता और बस बच नहीं सकता।'
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जज ने आदेश में क्या कहा
बोसबर्ग ने आदेश में लिखा, 'याचिकाकर्ताओं को उस तरह से नहीं हटाया जाना चाहिए था, जिस तरह से उन्हें हटाया गया, बिना किसी नोटिस के और उन्हें विरोध करने का कोई मौका भी नहीं दिया गया, जो उनके कानूनी अधिकारों का साफ उल्लंघन है।' ट्रंप प्रशासन की अप्रवासन विरोधी कार्रवाई में यह मामला एक बड़ा कानूनी मुद्दा बन गया है। इसकी शुरुआत मार्च में हुई, जब ट्रंप सरकार ने 18वीं सदी के युद्धकालीन कानून का इस्तेमाल करते हुए वेनेजुएला के आपराधिक गुटों के सदस्य होने के आरोप में कुछ अप्रवासियों को टेरेरिज्म कन्फाइनमेंट सेंटर नाम की जेल में भेज दिया गया था।
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जज के फैसले के बाद ट्रंप प्रशासन के फैसले को चुनौती दे सकेंगे निर्वासित किए गए लोग
जुलाई में अमेरिका के साथ कैदियों की अदला-बदली में 200 से ज़्यादा प्रवासियों को वेनेजुएला वापस भेज दिया गया था। डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा फेडरल बेंच में नियुक्त किए गए जज बोसबर्ग का यह फैसला, निर्वासित किए गए लोगों को इस आरोप को चुनौती देने का रास्ता खोलता है कि वे ट्रेन डी अरागुआ गैंग के सदस्य हैं और एलियन एनिमीज एक्ट के तहत उन्हें अमेरिका से निकाला जा सकता है। प्रवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाले ACLU के वकील ली गेलर्नट ने कहा, 'यह महत्वपूर्ण फैसला साफ करता है कि ट्रंप प्रशासन बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के लोगों को किसी बदनाम विदेशी जेल में नहीं भेज सकता और बस बच नहीं सकता।'