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घर में घिरते जस्टिन ट्रूडो: पहले कनाडा के लोगों ने 55 वर्षों में सबसे खराब पीएम कहा, अब आई एक और बुरी खबर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवेंद्र तिवारी
Updated Sat, 23 Sep 2023 05:02 PM IST
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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो।
- फोटो :
AMAR UJALA
विस्तार
आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर आरोप लगाकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो फंसते नजर आ रहे हैं। कनाडा के सहयोगी 'फाइव आइज' (अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) देशों से भी अब उन्हें इस मामले में समर्थन नहीं मिल रहा है। अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन के एक पूर्व अधिकारी ने तो यहां तक कह दिया कि ट्रूडो बिना सोचे समझे भारत पर आरोप लगा रहे हैं और इसमें वह फंस गए हैं।ट्रूडो के घर में भी सबकुछ अच्छा नहीं चल रहा है। हालिया सर्वे में पता चला है कि आज चुनाव हो तो उनकी सरकार गिर जाएगी। इस बीच हमें जानना चाहिए कि आखिर भारत पर आरोप लगाकर ट्रूडो कैसे घिर गए? उनको लेकर हालिया सर्वे क्या कहता है? ट्रूडो की लोकप्रियता क्यों घट रही? आखिर ट्रूडो सरकार किन मोर्चों में फेल हो रही है?

भारत और कनाडा के बीच जारी तनाव
- फोटो :
AMAR UJALA
भारत पर आरोप लगाकर ट्रूडो कैसे घिर गए?
दरअसल, 18 जून 2023 को कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के ठीक तीन महीने बाद 18 सितंबर को निज्जर की हत्या को लेकर कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने वहां की संसद में भारत पर आरोप लगा दिए। हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय ने ट्रूडो के दावों को बेतुका और पूर्वाग्रह से प्रेरित बताते हुए इन्हें सिरे से खारिज कर दिया।
हालांकि, भारत पर आरोप लगाकर अब कनाडा के पीएम जस्टिस ट्रूडो फंसते नजर आ रहे हैं। जस्टिन ट्रूडो अपने आरोपों के पक्ष में कोई सबूत पेश नहीं कर पाए हैं, वहीं भारत ने जिस तरह से कनाडा के आरोपों पर कड़ा रुख अख्तियार किया है। दूसरी ओर कनाडा के सहयोगी 'फाइव आइज' (अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) देशों से भी उन्हें समर्थन नहीं मिल रहा है। इसी बीच अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने जस्टिन ट्रूडो की तीखी आलोचना की है और आरोप लगाया है कि ट्रूडो बिना सोचे समझे भारत पर आरोप लगा रहे हैं और इसमें वह फंस गए हैं।
दरअसल, 18 जून 2023 को कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के ठीक तीन महीने बाद 18 सितंबर को निज्जर की हत्या को लेकर कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने वहां की संसद में भारत पर आरोप लगा दिए। हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय ने ट्रूडो के दावों को बेतुका और पूर्वाग्रह से प्रेरित बताते हुए इन्हें सिरे से खारिज कर दिया।
हालांकि, भारत पर आरोप लगाकर अब कनाडा के पीएम जस्टिस ट्रूडो फंसते नजर आ रहे हैं। जस्टिन ट्रूडो अपने आरोपों के पक्ष में कोई सबूत पेश नहीं कर पाए हैं, वहीं भारत ने जिस तरह से कनाडा के आरोपों पर कड़ा रुख अख्तियार किया है। दूसरी ओर कनाडा के सहयोगी 'फाइव आइज' (अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) देशों से भी उन्हें समर्थन नहीं मिल रहा है। इसी बीच अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने जस्टिन ट्रूडो की तीखी आलोचना की है और आरोप लगाया है कि ट्रूडो बिना सोचे समझे भारत पर आरोप लगा रहे हैं और इसमें वह फंस गए हैं।

भारत और कनाडा के बीच जारी तनाव
- फोटो :
AMAR UJALA
'चुनाव के चलते ट्रूडो लगा रहे भारत पर आरोप'
पेंटागन के पूर्व अधिकारी और अमेरिकन एंटरप्राइजेज इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो माइकल रुबिन ने विवाद पर कहा कि 'मुझे नहीं लगता कि कनाडा के सहयोगी देश जस्टिन ट्रूडो की थ्योरी से सहमत हैं। जब जमाल खाशोगी की इस्तांबुल में हत्या हुई थी तो उस वक्त तुर्किए ने कई अहम सबूत दिए थे, जिसके चलते सऊदी अरब की दुनियाभर में आलोचना हुई थी। लेकिन जस्टिन ट्रूडो बिना सोचे समझे आरोप लगा रहे हैं और वह अब तक कोई सबूत पेश नहीं कर सके हैं। जब ट्रू़डो कहते हैं कि उन पर विश्वास कीजिए तो कोई भी उन पर विश्वास नहीं करता। यह सबकुछ चुनाव प्रचार के लिए हो रहा है, जिसमें ट्रूडो हारते दिख रहे हैं। यही वजह है कि अमेरिका समेत फाइव आइज देश इस मुद्दे पर कनाडा का साथ नहीं दे रहे हैं।'
पेंटागन के पूर्व अधिकारी और अमेरिकन एंटरप्राइजेज इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो माइकल रुबिन ने विवाद पर कहा कि 'मुझे नहीं लगता कि कनाडा के सहयोगी देश जस्टिन ट्रूडो की थ्योरी से सहमत हैं। जब जमाल खाशोगी की इस्तांबुल में हत्या हुई थी तो उस वक्त तुर्किए ने कई अहम सबूत दिए थे, जिसके चलते सऊदी अरब की दुनियाभर में आलोचना हुई थी। लेकिन जस्टिन ट्रूडो बिना सोचे समझे आरोप लगा रहे हैं और वह अब तक कोई सबूत पेश नहीं कर सके हैं। जब ट्रू़डो कहते हैं कि उन पर विश्वास कीजिए तो कोई भी उन पर विश्वास नहीं करता। यह सबकुछ चुनाव प्रचार के लिए हो रहा है, जिसमें ट्रूडो हारते दिख रहे हैं। यही वजह है कि अमेरिका समेत फाइव आइज देश इस मुद्दे पर कनाडा का साथ नहीं दे रहे हैं।'

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो।
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global news
घर में क्यों घिर गए ट्रूडो?
जहां भारत पर आरोप लगाकर ट्रूडो दुनिया में अलग-थलग दिखाई पद रहे हैं तो घर में भी उनका कद घट रहा है। हाल ही में कनाडाई अखबार ग्लोबल न्यूज के लिए इप्सोस नामक एजेंसी ने पोल कराया है जिसमें पता चला कि कनाडा के पीएम ट्रूडो की लोकप्रियता घट रही है।
कनाडा के 40 फीसदी लोग विपक्षी नेता पियरे पोइलिवरे (कंजर्वेटिव पार्टी) को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। वहीं 31 प्रतिशत लोगों ने ही जस्टिन ट्रूडो (लिबरल पार्टी) को वोट देने की बात कहते हैं। पोइलिवरे व्यक्तिगत रूप से ट्रूडो की तुलना में अधिक लोकप्रिय हैं। यदि अभी चुनाव होते हैं, तो ट्रूडो के नेतृत्व वाली लिबरल सरकार को हटाकर कंजर्वेटिव बहुमत वाली सरकार बना सकती है। कनाडा में चुनाव साल 2025 की शरद ऋतु में होने हैं।
जहां भारत पर आरोप लगाकर ट्रूडो दुनिया में अलग-थलग दिखाई पद रहे हैं तो घर में भी उनका कद घट रहा है। हाल ही में कनाडाई अखबार ग्लोबल न्यूज के लिए इप्सोस नामक एजेंसी ने पोल कराया है जिसमें पता चला कि कनाडा के पीएम ट्रूडो की लोकप्रियता घट रही है।
कनाडा के 40 फीसदी लोग विपक्षी नेता पियरे पोइलिवरे (कंजर्वेटिव पार्टी) को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। वहीं 31 प्रतिशत लोगों ने ही जस्टिन ट्रूडो (लिबरल पार्टी) को वोट देने की बात कहते हैं। पोइलिवरे व्यक्तिगत रूप से ट्रूडो की तुलना में अधिक लोकप्रिय हैं। यदि अभी चुनाव होते हैं, तो ट्रूडो के नेतृत्व वाली लिबरल सरकार को हटाकर कंजर्वेटिव बहुमत वाली सरकार बना सकती है। कनाडा में चुनाव साल 2025 की शरद ऋतु में होने हैं।

प्रधानमंत्री ट्रूडो और पियरे पोइलिवरे
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SOCIAL MEDIA
पहले लोगों ने ट्रूडो को 55 वर्षों में सबसे खराब पीएम कहा
ट्रूडो के लिए यह पिछले सितंबर की संख्या से भारी गिरावट है। हालांकि, यह एकमात्र सर्वे नहीं है जो दिखाता है कि कनाडा में ट्रूडो की लोकप्रियता कम हो रही है। इससे पहले अगस्त में एंगस रीड इंस्टीट्यूट नामक एनजीओ के सर्वे में उनके विरोधी पियरे पोइलिवरे को आगे दिखाया गया था। सर्वे में कहा गया था कि 38 फीसदी कनाडाई पोइलिवरे के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी का समर्थन में हैं। वहीं, जुलाई में हुए के सर्वेक्षण में कहा गया कि 30 प्रतिशत कनाडा के लोगों ने ट्रूडो को पिछले 55 वर्षों में सबसे खराब प्रधानमंत्री करार दिया था।
ट्रूडो के लिए यह पिछले सितंबर की संख्या से भारी गिरावट है। हालांकि, यह एकमात्र सर्वे नहीं है जो दिखाता है कि कनाडा में ट्रूडो की लोकप्रियता कम हो रही है। इससे पहले अगस्त में एंगस रीड इंस्टीट्यूट नामक एनजीओ के सर्वे में उनके विरोधी पियरे पोइलिवरे को आगे दिखाया गया था। सर्वे में कहा गया था कि 38 फीसदी कनाडाई पोइलिवरे के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी का समर्थन में हैं। वहीं, जुलाई में हुए के सर्वेक्षण में कहा गया कि 30 प्रतिशत कनाडा के लोगों ने ट्रूडो को पिछले 55 वर्षों में सबसे खराब प्रधानमंत्री करार दिया था।

कनाडा
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global news
किन मोर्चों में फेल हो रही ट्रूडो सरकार?
इप्सोस के सीईओ डैरेल ब्रिकर ने कहा, 'जब आप इस बात पर गौर करते हैं कि कनाडाई इस समय ऐसा क्यों महसूस कर रहे हैं, तो वहां देश की दिशा के प्रति वास्तविक असंतोष है। विशेष रूप से जब यह उन बड़े मुद्दों से जुड़ा हुआ है जो उनके व्यक्तिगत हित में हैं। इनमें आवासन की लागत, आवास तक पहुंच और मुद्रास्फीति जैसी समस्याएं शामिल हैं।'
अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य देखभाल और आवास से संबंधित कनाडा के मुख्य मुद्दों पर पाया गया कि अधिकांश कनाडाई सोचते हैं कि पोइलिवरे के पास तीनों क्षेत्रों में ज्यादा अच्छी योजनाएं हैं।
इप्सोस के सीईओ डैरेल ब्रिकर ने कहा, 'जब आप इस बात पर गौर करते हैं कि कनाडाई इस समय ऐसा क्यों महसूस कर रहे हैं, तो वहां देश की दिशा के प्रति वास्तविक असंतोष है। विशेष रूप से जब यह उन बड़े मुद्दों से जुड़ा हुआ है जो उनके व्यक्तिगत हित में हैं। इनमें आवासन की लागत, आवास तक पहुंच और मुद्रास्फीति जैसी समस्याएं शामिल हैं।'
अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य देखभाल और आवास से संबंधित कनाडा के मुख्य मुद्दों पर पाया गया कि अधिकांश कनाडाई सोचते हैं कि पोइलिवरे के पास तीनों क्षेत्रों में ज्यादा अच्छी योजनाएं हैं।