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लॉकडाउन के बाद आएंगे छोटी कारों के 'अच्छे दिन', सपनों की कार नहीं एंट्री लेवल भी चलेगी...

हरेंद्र चौधरी, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Harendra Chaudhary Updated Fri, 08 May 2020 01:04 PM IST
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Amar Ujala Exclusive: Customers will prefer low cost entry level hatchback cars of maruti suzuki and Hyundai after lockdown, due to low cost emi
Hyundai Santro Car Delivery - फोटो : Hyundai Social Media

लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद कुछ ऑटोमोबाइल कंपनियों के डीलर्स ने अपने शोरूम्स खोले। लेकिन शोरूम खोलते ही उनका लॉकडाउन के साइड इफेक्ट्स से सामना हो गया। लॉकडाउन के चलते जॉब की अनिश्चितता से ग्राहकों का भरोसा डांवाडोल हो गया है और उन्होंने अपनी बुकिंग्स कैंसिल करवाना शुरू कर दिया। वहीं ग्राहकों की इस घबराहट की वजह ज्यादा ईएमआई के बोझ को माना जा रहा है। दूसरी तरफ, ग्राहकों के इस रुख से कुछ डीलरों में मायूसी है तो बाकी कुछ बेहद खुश हैं क्योंकि उन्हें भरोसा है कि ग्राहक कम ईएमआई वाली गाड़ियों की तरफ रुख करेगा।

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लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद कुछ ऑटोमोबाइल कंपनियों के डीलर्स ने अपने शोरूम्स खोले। लेकिन शोरूम खोलते ही उनका लॉकडाउन के साइड इफेक्ट्स से सामना हो गया। लॉकडाउन के चलते जॉब की अनिश्चितता से ग्राहकों का भरोसा डांवाडोल हो गया है और उन्होंने अपनी बुकिंग्स कैंसिल करवाना शुरू कर दिया। वहीं ग्राहकों की इस घबराहट की वजह ज्यादा ईएमआई के बोझ को माना जा रहा है। दूसरी तरफ, ग्राहकों के इस रुख से कुछ डीलरों में मायूसी है तो बाकी कुछ बेहद खुश हैं क्योंकि उन्हें भरोसा है कि ग्राहक कम ईएमआई वाली गाड़ियों की तरफ रुख करेगा।

ईएमआई पड़ रही भारी

ग्राहकों का सोचना है कि लॉकडाउन के चलते वैसे ही हर सेक्टर में नौकरियों पर संकट के बादल छा गए हैं, अर्थयव्यवस्था सबसे निचले स्तर पर है, लॉकडाउन आगे बढ़ाने को लेकर स्थिति अभी असमंजस में हैं। जिसके चलते लॉकडाउन से पहले जिन ग्राहकों ने गाड़ियों की बुकिंग कराई थी वे आगे ईएमआई के बोझ तले नहीं दबना चाहते। खासतौर पर वह ज्यादा ईएमआई देने के मूड में नहीं हैं। इसलिए वे कम बजट की कारों की तरफ रुख करेंगे। ऐसा नहीं है कि ग्राहक लॉकडाउन के बाद गाड़ी खरीदने के फैसले को आगे के लिए टाल देंगे, बल्कि वे संक्रमण की संभावना को देखते हुए प्राइवेट वाहन खरीदने पर जोर देंगे।

अपनी गाड़ी चाहिए

हाल ही में कार्स 24 की एक सर्वे रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि संक्रमण के डर से लोग किराये की कार खरीदने की बजाय निजी कार को प्राथमिकता देंगे। जिसकी सबसे बड़ी वजह सोशल डिस्टेंसिंग है। पोस्ट लॉकडाउन में भी लोग सोशल डिस्टेंसिंग और इन्फेक्शन के बारे में कुछ ज्यादा ही सचेत रहेंगे। सर्वे में शामिल 46 फीसदी लोगों का कहना था कि खुद और परिवार की भलाई के लिए वह ओला-ऊबर लेने की बजाय अपनी कार में चलना पसंद करेंगे। वहीं ग्राहकों की इस सोच की वजह से बसों और मेट्रो में भी लोग कम सफर करना पसंद करेंगे।

पुरानी कारों का रुख

साथ ही 50 फीसदी लोगों का यह भी कहना था कि लॉकडाउन के चलते उनकी आमदनी भी घटी है, जिसके चलते वह वैसी कार नहीं खरीद पाएंगे जैसी वे चाहते थे, वहीं बजट घटने के चलते या तो वे यूज्ड कार का रुख करेंगे। वहीं 22.5 फीसदी का कहना था कि वे कम बजट पुरानी कार खरीदने की बजाय नई कार को प्राथमिकता देंगे। सर्वे में मेट्रो शहरों में रहने वाले 42 फीसदी लोगों का कहना है कि अब कार खरीदने का सही समय आ गया है। 53 फीसदी का कहना था कि परिवार और स्वयं की सुरक्षा के चलते संक्रमण से बचने के लिए वे अगले 6 महीने में एक कार खरीद लेंगे।

मारुति-ह्यूंदै की बल्ले-बल्ले

वहीं ग्राहकों के इस फैसले से देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनिया मारुति और ह्यूंदै दोनों खुश हैं। उन्हें भरोसा है कि ग्राहक के इस फैसले से छोटी हैचबैक कारों की दिन बहुरने वाले हैं। लॉकडाउन पीरियड में जीरो बिक्री से परेशान ऑटो कंपनियों के लिए यह वाकई राहत भरी खबर है क्योंकि लोग सेडान या बड़ी एसयूवी खरीदने की बजाय छोटी कारें खरीदने को प्राथमिकता देंगे। ऑटो सेक्टर से जुड़े एक एक्सपर्ट का कहना है कि ग्राहक सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए भरोसेमंड ब्रांड्स मारुति और ह्यूंदै की कारों की तरफ जा सकते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि लॉकडाउन के बाद ऑटो सेक्टर को फर्स्ट टाइम बायर्स की संख्या में 10 से 15 फीसदी का इजाफा देखने को मिल सकता है, जो फिलहाल तकरीबन 40 फीसदी है। फिलहाल मारुति सुजुकी और ह्यूंदै मोटर दोनों स्मॉल पैसेंजर कार मार्केट की बादशाह हैं।

ईएमआई 10 हजार से कम

ऑटो एक्सपर्ट का कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के चलते निंजी कारों की मांग बढ़ सकती है। लेकिन सैलरी कट, जॉब खोने का डर ग्राहकों को बड़ी जिम्मेदारी लेने से रोक रहा है। बोनस में कटौती और इस साल इंक्रीमेंट नहीं मिलने की संभावना से ग्राहक या तो कार खरीदने के फैसले को टालेंगे या छोटी कारों को प्राथमिकता देंगे। वहीं जो ग्राहक छोटी कारों की तरफ रुख करेंगे उनकी कोशिश होगी कि ईएमआई 10 हजार से कम हो। वहीं आरबीआई की रेपो रेट में कटौती का फायदा भी उन्हें मिलेगा।
 

छोटी कारों की मेंटेनेंस भी कम  

जहां मारुति सुजुकी ऑल्टो, वैगन आर, सिलेरियो, एस-प्रेसो जैसी छोटी कारें बनाती है, वहीं ह्यूंदै सैंट्रो और ग्रैंड आई10 जैसी छोटी कारों की निर्माता है। ऑटो एक्सपर्ट्स का कहना है कि छोटी कारें न केवल सस्ती होती हैं, बल्कि कॉम्पैक्ट सेडान और कॉम्पैक्ट एसयूवी के मुकाबले इनकी मेंटेनेंस भी कम है। फर्स्ट टाइम कार बायर्स को यह बात लुभा सकती है। साल 2020 में मारुति ने अभी तक 4.67 लाख कारें बेची हैं, जबकि पिछले साल इसी दौरान यह आंकड़ा 14.14 लाख यूनिट था। जबकि पिछले साल ह्यूंदै की कुल बिक्री 4.85 लाख यूनिट की थी, जिसमें सैंट्रो और ग्रैंड आई10 की संख्या 1.15 लाख यूनिट थी।
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