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EV Crash Test: एआरएआई ने इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए आयोजित किया क्रैश टेस्ट, रिपोर्ट में खुलासा

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Mon, 20 May 2024 05:49 PM IST
सार

ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) ने कथित तौर पर अपने पुणे फेसिलिटी में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलरों पर तीन क्रैश टेस्टों की एक सीरीज पूरी कर ली है। जो भारत में बढ़ते इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट के लिए सुरक्षा मानकों को स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

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ARAI conducts crash tests on electric two-wheelers at its Pune facility claims Report
Electric Scooter - फोटो : Freepik
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विस्तार
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इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) ने अपनी इको-फ्रेंडली प्रकृति और चलाने के कम खर्च के कारण तेजी से लोकप्रियता हासिल की है। हालांकि, हाल ही में इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लगने की घटनाओं ने सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। मीडिया रिपोर्ट का दावा है कि इन चिंताओं को दूर करने के लिए, ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) ने कथित तौर पर अपने पुणे फेसिलिटी में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलरों पर तीन क्रैश टेस्टों की एक सीरीज पूरी कर ली है। जो भारत में बढ़ते इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट के लिए सुरक्षा मानकों को स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
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एआरएआई की यह पहल विश्व स्तर पर पहली बार किया गया हो सकता है। क्योंकि इस समय दोपहिया वाहनों के लिए कोई अनिवार्य क्रैश टेस्ट नियम नहीं हैं। चुनिंदा ग्राहकों के लिए किए गए टेस्ट में मानक उद्योग बेंचमार्क का पालन किया गया। और विस्तृत क्रैश डेटा इकट्ठा करने के लिए एक्सेलेरोमीटर और हाई-स्पीड कैमरों का इस्तेमाल किया गया।
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बैन एंड कंपनी और ब्लूम वेंचर्स की एक शोध रिपोर्ट बताती है कि इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बाजार की पैठ मौजूदा 5 प्रतिशत के स्तर से बढ़कर 2030 तक लगभग 45 प्रतिशत तक हो सकती है। हालांकि, यह बढ़ोतरी OEM (ओरिजिनल इक्यूप्मेंट मैन्युफेक्चरर) द्वारा मिड-सेगमेंट स्कूटर विकसित करने और इनोवेटिव एंट्री-लेवल मोटरसाइकिल लाने की कोशिशों पर निर्भर करती है।

बिक्री मात्रा और पैठ का स्तर बढ़ाने से निस्संदित रूप से इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर को अपनाने में तेजी आएगी। लेकिन राइडर की सुरक्षा के बारे में धारणाएं ही प्रमुख कारक बनी हुई हैं। एआरएआई के पुणे फेसिलिटी में किए गए टेस्ट में एक स्टैंडर्ड रिजिड बैरियर और एक साइड पोल शामिल था। हालांकि एआरएआई ने गोपनीयता समझौतों का हवाला देते हुए उन कंपनियों की पहचान का खुलासा करने से इनकार कर दिया, जिन्होंने टेस्ट का अनुरोध किया था।

इस पहल को भारत में अनिवार्य इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर क्रैश टेस्ट के संभावित दमदार शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। जो इस तेजी से बढ़ते बाजार क्षेत्र के लिए सुरक्षा मानकों को काफी बढ़ा सकता है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब हाल के वर्षों में आग लगने की कई घटनाओं के बाद भारतीय इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर उद्योग अपने सुरक्षा मानकों को मजबूत कर रहा है।

इन घटनाओं ने वाहन और यात्री सुरक्षा के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। जिससे भारत सरकार को नए बैटरी सुरक्षा मानदंडों को लागू करने के लिए प्रेरित किया गया है। इन नियमों ने कई अविश्वसनीय निर्माताओं को हटा दिया है, जो अपने इलेक्ट्रिक टू-व्हीलरों में सस्ती, खराब बनी बैटरी और कंपोनेंट्स का इस्तेमाल करते थे।
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