सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Automobiles News ›   china bans zero mileage used cars know how it effects auto industry and customers

Zero Mileage Cars: क्या होती हैं 'जीरो-माइलेज' वाली कारें, चीन इनसे क्यों है परेशान?

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नीतीश कुमार Updated Tue, 12 Aug 2025 07:11 PM IST
सार

Zero Mileage Car Ban In China: चीन अपनी ऑटो इंडस्ट्री में ‘जीरो-माइलेज यूज्ड कार’ की बिक्री पर बैन लगाने की तैयारी में है। जानिए 'जीरो-माइलेज' कारें क्या होती हैं और चीना इन्हें बैन करने की तैयारी क्यों कर रहा है।
 

विज्ञापन
china bans zero mileage used cars know how it effects auto industry and customers
चीन में बिना ग्राहक के बिकती है कारें - फोटो : AI
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

चीन की ऑटो इंडस्ट्री में जल्द ही एक बड़े बदलाव की संभावना है। देश का इंडस्ट्री एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय छह महीने के भीतर पहली रजिस्ट्रेशन वाली गाड़ियों की री-सेल पर बैन लगाने की तैयारी कर रहा है। इसका सीधा असर उन गाड़ियों पर पड़ेगा जिन्हें ‘जीरो-माइलेज यूज्ड कार’ कहा जाता है।
Trending Videos


क्या होती हैं ‘जीरो-माइलेज यूज्ड कार’?
दरअसल, कार कंपनियों पर बिक्री बढ़ाने का भारी दबाव होता है। कई बार कंपनियां डिमांड से ज्यादा कारें बना डालती हैं जिसके चलते उनका स्टॉक काफी बढ़ जाता है। वहीं, मार्केट में कारों की डिमांड प्रोडक्शन के मुताबिक न होने के कारण इन्हें बेचने में काफी दिक्कतें आती हैं। ऐसे में कंपनियां अपना सेल्स टार्गेट पूरा करने के लिए इन कारों को बिना खरीदार के ही रजिस्ट्रेशन और बीमा करा देती हैं और सेकेंड हैंड कार मार्केट में सस्ती कीमत में बेच देती हैं। पेपर पर फर्स्ट हैंड और चला हुआ न होने के वजह से इन्हें 'जीरो माइलेज' कार कहा जाता है।
विज्ञापन
विज्ञापन


आखिर में ये कारें शोरूम के मुकाबले काफी कम कीमत पर ग्राहकों को मिल जाती हैं। यह प्रैक्टिस चीन में लंबे समय से चल रही है, खासकर तब से जब वहां प्रतिस्पर्धा के चलते कीमतों में भारी कटौती और ओवरसप्लाई का दौर शुरू हुआ।

china bans zero mileage used cars know how it effects auto industry and customers
सेल्स टार्गेट पूरी करने की जद्दोजहद - फोटो : AI
समस्या कहां है?
जब बिना खरीदार वाली कारें “बेची हुई” दिखा दी जाती हैं, तो असल बाजार मांग का पता नहीं चलता। इससे कंपनी का प्रदर्शन गलत तरीके से बेहतर दिख सकता है, जो निवेशकों और उद्योग डेटा को गुमराह करता है। बाद में इन गाड़ियों को खरीदने वाले ग्राहकों के लिए वारंटी कवरेज पहले ही शुरू हो चुका होता है, क्योंकि वारंटी पहली रजिस्ट्रेशन से गिनी जाती है। साथ ही, इन कारों का रीसेल वैल्यू भी कम हो जाता है।

कुछ निर्माता इस तरीके से सरकारी सब्सिडी भी हासिल कर लेते हैं, खासकर नई ऊर्जा वाहनों (NEVs) के लिए, जिनकी सब्सिडी बिक्री संख्या पर आधारित होती है। वहीं, कुछ गाड़ियां “यूज्ड” दिखाकर उन देशों में भेज दी जाती हैं जहां सेकेंड-हैंड कारों के इंपोर्ट नियम आसान हैं।

क्या हो रहे हैं उपाय?
Auto Review के अनुसार, चीन ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ने सुझाव दिया है कि सेकेंड-हैंड कार एक्सपोर्ट को रेगुलेट करने के लिए कोडिंग सिस्टम लागू किया जाए। इसके अलावा, चेरि और BYD जैसी कंपनियां उन डीलरों पर जुर्माना लगाने की योजना बना रही हैं जो असली खरीदार से पहले ही गाड़ी का लाइसेंस बनवा देते हैं। अगर ये कदम लागू होते हैं, तो यह इस प्रैक्टिस के खिलाफ पहला राष्ट्रीय स्तर का सरकारी एक्शन होगा।
विज्ञापन
विज्ञापन
सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें ऑटोमोबाइल समाचार से जुड़ी ब्रेकिंग अपडेट। ऑटोमोबाइल जगत की अन्य खबरें जैसे लेटेस्ट कार न्यूज़, लेटेस्ट बाइक न्यूज़, सभी कार रिव्यू और बाइक रिव्यू आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़
 
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें अमर उजाला हिंदी न्यूज़ APP अपने मोबाइल पर।
Amar Ujala Android Hindi News APP Amar Ujala iOS Hindi News APP
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed