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Semiconductor Chip: सेमिकंडक्टर चिप प्लांट लगाने के लिए सरकार देगी परियोजना लागत का 50 फीसदी
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Tue, 28 Dec 2021 11:07 AM IST
सार
सेमीकंडक्टर फैक्ट्रियां लगाने की इच्छुक कंपनियों को सरकार परियोजना लागत का 50 फीसदी तक देगी।सेमीकंडक्टर मैन्युफेक्चरिंग इंडस्ट्री को 6 साल तक सरकारी सहायता मिलेगी।
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Semiconductor Chip
- फोटो : Pixabay
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विस्तार
भारत सरकार ने देश में सेमिकंडक्टर चिप निर्माण को बढ़ावा देने के लिए पिछले हफ्ते 76,000 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना की घोषणा की। रिपोर्ट के मुताबिक, सेमीकंडक्टर फैक्ट्रियां लगाने की इच्छुक कंपनियों को सरकार परियोजना लागत का 50 फीसदी तक देगी।
सरकार 28 nm तक के चिप्स बनाने की प्लांट लगाने की लागत का 50 प्रतिशत तक, 28 nm से 45 nm के चिप्स के लिए 40 प्रतिशत तक और 45 nm से 65 nm के चिप्स के लिए 30 प्रतिशत तक वहन करेगी। भारत में चिप मैन्युफेक्चरिंग प्लांट लगाने की इच्छुक कंपनियों को न्यूनतम 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी का निवेश करना होगा। आवेदकों का कम से कम 7,500 करोड़ रुपये का राजस्व होना आवश्यक है। ।
सेमीकंडक्टर मैन्युफेक्चरिंग इंडस्ट्री को 6 साल तक सरकारी सहायता मिलेगी। हालांकि, वास्तविक वित्तीय सहायता की अवधि को बढ़ाया जा सकता है। यदि सरकार इक्विटी के जरिए वित्तीय मदद करती है, तो इसका हिस्सा कुल परियोजना इक्विटी के 49 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगा।
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सरकार 28 nm तक के चिप्स बनाने की प्लांट लगाने की लागत का 50 प्रतिशत तक, 28 nm से 45 nm के चिप्स के लिए 40 प्रतिशत तक और 45 nm से 65 nm के चिप्स के लिए 30 प्रतिशत तक वहन करेगी। भारत में चिप मैन्युफेक्चरिंग प्लांट लगाने की इच्छुक कंपनियों को न्यूनतम 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी का निवेश करना होगा। आवेदकों का कम से कम 7,500 करोड़ रुपये का राजस्व होना आवश्यक है। ।
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सेमीकंडक्टर मैन्युफेक्चरिंग इंडस्ट्री को 6 साल तक सरकारी सहायता मिलेगी। हालांकि, वास्तविक वित्तीय सहायता की अवधि को बढ़ाया जा सकता है। यदि सरकार इक्विटी के जरिए वित्तीय मदद करती है, तो इसका हिस्सा कुल परियोजना इक्विटी के 49 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगा।
सेमीकंडक्टर चिप
- फोटो : pixabay
सरकार ने पिछले हफ्ते देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले बोर्ड उत्पादन के लिए एक उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी है। चिप निर्माण उद्योग के लिए एक संपूर्ण इकोसिस्टम विकसित करने और भविष्य में किसी भी कमी से बचने के लिए, सरकार जनवरी से प्रोत्साहन योजनाओं के तहत आवेदन लेना शुरू कर देगी।
Microchip
सरकार द्वारा एप्रूव की गई पीएलआई योजना में अगले पांच से छह वर्षों में देश में सेमीकंडक्टर निर्माण में 76,000 करोड़ रुपये के निवेश की परिकल्पना की गई है। जबकि सरकार ने पहले ही योजना को अधिसूचित कर दिया है, उसे उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों के भीतर कंपाउंड सेमीकंडक्टर यूनिट्स, और डिजाइन और पैकेजिंग कंपनियों को मंजूरी मिल जाएगी।
सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक इंटरव्यू में कहा, "अगले 2-3 वर्षों में, हम देख रहे हैं कि कम से कम 10-12 सेमिकंडक्टर का उत्पादन शुरू हो जाएंगे।" उन्होंने कहा कि कम से कम 50-60 डिजाइनिंग कंपनियों ने समय सीमा में उत्पादों को डिजाइन करना शुरू कर दिया होगा।
सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक इंटरव्यू में कहा, "अगले 2-3 वर्षों में, हम देख रहे हैं कि कम से कम 10-12 सेमिकंडक्टर का उत्पादन शुरू हो जाएंगे।" उन्होंने कहा कि कम से कम 50-60 डिजाइनिंग कंपनियों ने समय सीमा में उत्पादों को डिजाइन करना शुरू कर दिया होगा।
प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : iStock
देश में चिप निर्माण के लिए पीएलआई योजना ऐसे समय में आई है जब दुनिया भर के ऑटो उद्योग को पुर्जों की कमी के कारण उत्पादन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस कदम से देश के ऑटो सेक्टर को काफी मदद मिलने की उम्मीद है। महामारी के बाद चिप की मांग आसमान तक पहुंच गई है, क्योंकि कंज्यूमर टेक उत्पादों की मांग में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई।
प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : iStock
पिछले साल लॉकडाउन के तहत लगे प्रतिबंधों से आवाजाही लगभग बंद हो गई थी। जिससे दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में कंज्यूमर टेक उत्पादों की खपत बढ़ गई और निर्माताओं से चिप्स की मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है। चिप निर्माताओं ने भी अपनी उत्पादन क्षमता को उसी के मुताबिक स्थानांतरित कर दिया। बाद में जब ऑटो उद्योग ने फिर से कामकाज शुरू किया और माइक्रोचिप्स की मांग में काफी इजाफा हुआ, तो एक बड़ा संकट पैदा हुआ क्योंकि चिप निर्माता मांग को पूरा करने में नाकाम थे।