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Lamborghini: फरारी के ताने से जन्मी स्पोर्ट्स कार कंपनी, किसान के बेटे ने ऐसे लिया अपमान का बदला
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Mon, 26 May 2025 02:11 PM IST
सार
Lamborghini Vs Ferrari: आज हमारी जबान पर जिस कंपनी का नाम उसकी शानदार स्पोर्ट्स कारों के लिए आता है, वह कार नहीं बल्कि खेतों में चलने वाला ट्रैक्टर बनाती थी। जानिए एक अपमान से कैसे जन्मी दुनिया की सबसे लोकप्रिय स्पोर्ट्स कार कंपनी।
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लेम्बोर्गिनी
- फोटो : AI
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विस्तार
‘लेम्बोर्गिनी’ का नाम सुनते ही दिमाग में एक बेहद स्टाइलिश दिखने वाली स्पोर्ट्स कार की तस्वीर बन जाती है। लेम्बोर्गिनी दुनिया की सबसे प्रसिद्ध कार कंपनियों में से एक है और दुनिया भर में अपनी तेज तर्रार सुपर कारों के लिए जानी जाती है। हालांकि, लेम्बोर्गिनी हमेशा से ही वैसी नहीं थी जिस रूप में आज वह जानी जाती है। इस कंपनी के अस्तित्व में आने की कहानी बड़ी दिलचस्प है और एक इंजीनियर की कारों के प्रति जुनून से से भरी हुई है।
1963 में शुरू हुई थी कंपनी
फारुशियो लेम्बोर्गिनी ने 1963 में इटली के सेंट-अगाता बोलोनीज में लेम्बोर्गिनी की स्थापना एक कार कंपनी के रूप में की थी। फारुशियो सुपर कारों के शौकीन थे और उस दौर में महंगी लग्जरी गाड़ियों को रखने का शौक रखते थे। लेकिन लेम्बोर्गिनी को एक स्पोर्ट्स कार ब्रांड के रूप में खड़ा करने की कहानी उनके शौक से नहीं, बल्कि एक शख्स द्वारा किए गए अपमान का बदला लेने की भावना से जुड़ा है।
कार नहीं… ये बनाती थी कंपनी
आज हमारी जुबान पर जिस कंपनी का नाम उसकी शानदार स्पोर्ट्स कारों के लिए आता है, वह कार नहीं बल्कि खेतों में चलने वाला ट्रैक्टर बनाती थी। दरअसल, 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद, इटली में मित्र देशों ने कई सैनिक वाहन और उपकरण पीछे छोड़ दिए थे। वैसे तो फारुशियो लेम्बोर्गिनी एक किसान के बेटे थे, लेकिन उनकी रुची हमेशा से ही मशीनों में थी। युद्ध के दौरान वह इटली की सेना से जुड़े और मैकेनिक बनकर कई लड़ाकू विमानों और वाहनों की मरम्मत कर सेना की मदद की।
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1963 में शुरू हुई थी कंपनी
फारुशियो लेम्बोर्गिनी ने 1963 में इटली के सेंट-अगाता बोलोनीज में लेम्बोर्गिनी की स्थापना एक कार कंपनी के रूप में की थी। फारुशियो सुपर कारों के शौकीन थे और उस दौर में महंगी लग्जरी गाड़ियों को रखने का शौक रखते थे। लेकिन लेम्बोर्गिनी को एक स्पोर्ट्स कार ब्रांड के रूप में खड़ा करने की कहानी उनके शौक से नहीं, बल्कि एक शख्स द्वारा किए गए अपमान का बदला लेने की भावना से जुड़ा है।
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कार नहीं… ये बनाती थी कंपनी
आज हमारी जुबान पर जिस कंपनी का नाम उसकी शानदार स्पोर्ट्स कारों के लिए आता है, वह कार नहीं बल्कि खेतों में चलने वाला ट्रैक्टर बनाती थी। दरअसल, 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद, इटली में मित्र देशों ने कई सैनिक वाहन और उपकरण पीछे छोड़ दिए थे। वैसे तो फारुशियो लेम्बोर्गिनी एक किसान के बेटे थे, लेकिन उनकी रुची हमेशा से ही मशीनों में थी। युद्ध के दौरान वह इटली की सेना से जुड़े और मैकेनिक बनकर कई लड़ाकू विमानों और वाहनों की मरम्मत कर सेना की मदद की।
फारुशियो ने रखी लेम्बोर्गिनी की नींव
- फोटो : Ai
फारुशियो के जीवन में एक बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने युद्ध के बाद बेकार पड़े वाहनों से ट्रैक्टर बनाने का कारोबार शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी फैक्ट्री में बने दमदार ट्रैक्टर इटली में मशहूर हो गए और उनकी डिमांड इतनी बढ़ गई कि ट्रैक्टर बनाने के लिए उन्हें एक नया प्लांट खोलना पड़ा और कई नए कामगारों की भर्ती करनी पड़ी। कुछ सालों में ही उनका ये काम एक बड़ी कंपनी का रूप के चुका था।
अपमान का बदला 'कार कंपनी'
बताते चलें कि फारुशियो को स्पोर्ट्स कारों का शौक था। उनके पास एक जगुआर, एक मासेराती, एक टॉप-एंड मर्सिडीज और दो फरारी कारें थीं। सभी कारें अच्छी चलती थीं, लेकिन फरारी की कार का खराब क्लच उन्हें बार-बार परेशान कर रहा था, जिस वजह से उन्हें कार को ठीक करवाने के लिए फरारी की फैक्ट्री जाना पड़ता था। कई बार फैक्ट्री जाते-जाते वह परेशान हो चुके थे फिर भी कार की समस्या ठीक नहीं हुई।
जब कार की गड़बड़ी ठीक नहीं हुई तो उन्होंने इसकी जांच अपने ट्रैक्टर के मैकेनिकों से करवाई। इसमें पता चला कि फरारी में असल में पुराने ट्रैक्टर के क्लच का इस्तेमाल किया जा रहा है जो कार कार के लिए ठीक नहीं है. फरारी इस क्लच को ठीक करने के लिए 1000 लीयर वसूलती थी, जबकि लेम्बोर्गिनी की फैक्ट्री में इसे केवल 10 लीयर में ही ठीक कर दिया जाता था।
इस बात से नाराज फारुशियो लेम्बोर्गिनी खुद फरारी के मालिक एंजो फरारी से मिलने चले गए और अपनी आपबीती सुनाई। हालांकि, फारुशियो की बात सुनकर एंजो फरारी भड़क उठे और उनपर चिल्लाते हुए कहा कि समस्या कार में नहीं, ड्राइवर में है। उन्होंने लेम्बोर्गिनी से कहा कि वह ट्रैक्टर बनाते हैं इसलिए उन्हें कार की समझ नहीं है।
अपमान का बदला 'कार कंपनी'
बताते चलें कि फारुशियो को स्पोर्ट्स कारों का शौक था। उनके पास एक जगुआर, एक मासेराती, एक टॉप-एंड मर्सिडीज और दो फरारी कारें थीं। सभी कारें अच्छी चलती थीं, लेकिन फरारी की कार का खराब क्लच उन्हें बार-बार परेशान कर रहा था, जिस वजह से उन्हें कार को ठीक करवाने के लिए फरारी की फैक्ट्री जाना पड़ता था। कई बार फैक्ट्री जाते-जाते वह परेशान हो चुके थे फिर भी कार की समस्या ठीक नहीं हुई।
जब कार की गड़बड़ी ठीक नहीं हुई तो उन्होंने इसकी जांच अपने ट्रैक्टर के मैकेनिकों से करवाई। इसमें पता चला कि फरारी में असल में पुराने ट्रैक्टर के क्लच का इस्तेमाल किया जा रहा है जो कार कार के लिए ठीक नहीं है. फरारी इस क्लच को ठीक करने के लिए 1000 लीयर वसूलती थी, जबकि लेम्बोर्गिनी की फैक्ट्री में इसे केवल 10 लीयर में ही ठीक कर दिया जाता था।
इस बात से नाराज फारुशियो लेम्बोर्गिनी खुद फरारी के मालिक एंजो फरारी से मिलने चले गए और अपनी आपबीती सुनाई। हालांकि, फारुशियो की बात सुनकर एंजो फरारी भड़क उठे और उनपर चिल्लाते हुए कहा कि समस्या कार में नहीं, ड्राइवर में है। उन्होंने लेम्बोर्गिनी से कहा कि वह ट्रैक्टर बनाते हैं इसलिए उन्हें कार की समझ नहीं है।
Lamborghini 350 GT
- फोटो : AI
बनाई खुद की स्पोर्ट्स कार
इस अपमान ने फारुशियो लेम्बोर्गिनी को खुद अपनी स्पोर्ट्स कार बनाने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद उन्होंने एक कारखाना बनाया, फरारी के कुछ इंजीनियरों को काम पर रखा और एक शानदार हाई स्पीड कार तैयार की जो 240 किलोमीटर प्रति घंटा की टॉप स्पीड पर चल सकती थी।
लेम्बोर्गिनी ने अपने कारखाने में बनी पहली कार का नाम Lamborghini 350 GT दिया था। लेम्बोर्गिनी ने अपनी नई कार के लोगो (Logo) के रूप में अपनी राशि- टारस को चुना जो कि एक बैल था। इसे ‘रेजिंग बुल’ भी कहा जाता है। लेम्बोर्गिनी के शुरू होने के बाद दोनों ब्रांड्स की स्पोर्ट्स कारें दशकों से एक दूसरे को हर मामले में टक्कर देती आ रही हैं।
इस अपमान ने फारुशियो लेम्बोर्गिनी को खुद अपनी स्पोर्ट्स कार बनाने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद उन्होंने एक कारखाना बनाया, फरारी के कुछ इंजीनियरों को काम पर रखा और एक शानदार हाई स्पीड कार तैयार की जो 240 किलोमीटर प्रति घंटा की टॉप स्पीड पर चल सकती थी।
लेम्बोर्गिनी ने अपने कारखाने में बनी पहली कार का नाम Lamborghini 350 GT दिया था। लेम्बोर्गिनी ने अपनी नई कार के लोगो (Logo) के रूप में अपनी राशि- टारस को चुना जो कि एक बैल था। इसे ‘रेजिंग बुल’ भी कहा जाता है। लेम्बोर्गिनी के शुरू होने के बाद दोनों ब्रांड्स की स्पोर्ट्स कारें दशकों से एक दूसरे को हर मामले में टक्कर देती आ रही हैं।