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Small Cars: मारुति चेयरमैन ने कहा- छोटी कारों की मांग बढ़ाने के लिए 12 लाख रुपये तक की टैक्स छूट पर्याप्त नहीं

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Fri, 25 Apr 2025 09:16 PM IST
सार

मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर सी भार्गव ने संदेह जताया है कि 2025-26 के केंद्रीय बजट में 12 लाख रुपये तक की सालाना आय पर दी गई आयकर राहत भारत में छोटी कारों की मांग को फिर से बढ़ाने में सक्षम होगी।

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Maruti Suzuki India Chairman R C Bhargava says Tax Relief Not Enough to Boost Small Car Demand
Maruti Suzuki India Chairman R C Bhargava - फोटो : PTI
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विस्तार
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मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर सी भार्गव ने संदेह जताया है कि 2025-26 के केंद्रीय बजट में 12 लाख रुपये तक की सालाना आय पर दी गई आयकर राहत भारत में छोटी कारों की मांग को फिर से बढ़ाने में सक्षम होगी। कंपनी की चौथी तिमाही की अर्निंग कॉल के दौरान बोलते हुए, भार्गव ने कहा कि यह राहत कम कीमत वाले वाहन सेगमेंट में खरीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त नहीं है, जो उद्योग के व्यापक विकास के लिए जरूरी है। 
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कार खरीदने की बढ़ती लागत और कम आय
भार्गव ने बताया कि भारत में केवल 12 प्रतिशत परिवार ही सालाना 12 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं, जबकि बाकी 88 प्रतिशत इस सीमा से नीचे हैं। जिसके कारण ज्यादातर लोग 10 लाख रुपये और उससे अधिक कीमत वाली कारें खरीदने में असमर्थ हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एंट्री-लेवल की गाड़ियों की लागत में लगभग 90,000 रुपये प्रति यूनिट की बढ़ोतरी संभावित खरीदारों, खासकर कम आय वाले समूहों, को हतोत्साहित कर रही है।

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Maruti Suzuki India Chairman R C Bhargava says Tax Relief Not Enough to Boost Small Car Demand
Maruti Suzuki WagonR - फोटो : Maruti Suzuki
टैक्स राहत का सीमित प्रभाव
सरकार की टैक्स राहत का जिक्र करते हुए, भार्गव ने तर्क दिया कि यह लाभ कार खरीदने के फैसले को प्रभावित करने के लिए बहुत छोटा है। उन्होंने कहा, "लोग वास्तव में कितना पैसा बचाएंगे? ज्यादातर लोगों की अन्य वित्तीय प्राथमिकताएं होती हैं, और यह संभावना नहीं है कि वे अपनी टैक्स बचत को कार खरीदने में खर्च करेंगे।" उन्होंने आगे कहा कि इस साल छोटी कारों की बिक्री में लगभग 9 प्रतिशत की गिरावट इस किफायतीपन के संकट को दर्शाती है।

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आर्थिक असमानता और छोटा बाजार
आर्थिक असमानताओं पर रोशनी डालते हुए, भार्गव ने बताया कि भारत के 300 मिलियन परिवारों में से 200 मिलियन परिवार सालाना 6,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 5 लाख रुपये) से कम कमाते हैं। यह आर्थिक वास्तविकता 10 लाख रुपये से अधिक कीमत वाली कारों के लिए सीमित बाजार को रेखांकित करती है। उन्होंने सवाल उठाया, "अगर 88 प्रतिशत परिवार इन वाहनों को नहीं खरीद सकते, तो हम उच्च वृद्धि की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?"

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Maruti Suzuki India Chairman R C Bhargava says Tax Relief Not Enough to Boost Small Car Demand
Maruti Suzuki Jimny SUV - फोटो : Maruti Suzuki
एसयूवी की मांग का भ्रम
भार्गव ने इस धारणा को भी चुनौती दी कि भारत का कार बाजार बदलती आकांक्षाओं के कारण महंगी एसयूवी की ओर बढ़ रहा है। उनके अनुसार, असल समस्या यह है कि लोग अब छोटी कारें भी नहीं खरीद सकते। उन्होंने सरकार से अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। और यह सुझाव दिया कि कम कर संरचना और लागत बढ़ाने वाले नियमों को कम करना छोटी कार सेगमेंट में मांग को पुनर्जीवित करने के लिए आवश्यक है।

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निर्यात पर बढ़ता ध्यान
घरेलू मांग के कमजोर रहने की उम्मीद के साथ, मारुति इस वित्तीय वर्ष में निर्यात पर अधिक निर्भर करने की योजना बना रही है। पिछले साल, कंपनी ने रिकॉर्ड 3.22 लाख यूनिट निर्यात किए और अब निर्यात को 20 प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। भार्गव ने पुष्टि की कि मारुति की इलेक्ट्रिक एसयूवी, ई-विटारा, सितंबर से बिक्री के लिए उपलब्ध होगी, जिसमें 70,000 यूनिट में से अधिकांश विदेशी बाजारों के लिए होंगी। उन्होंने इस साल के आखिर में एक नई एसयूवी लॉन्च की भी घोषणा की।

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Maruti Suzuki India Chairman R C Bhargava says Tax Relief Not Enough to Boost Small Car Demand
Maruti Suzuki Celerio - फोटो : Maruti Suzuki
पूंजीगत व्यय और सुरक्षा उपाय
पूंजीगत व्यय के बारे में, मारुति ने 8,000-9,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं, जिसमें खरखोदा संयंत्र में निरंतर विकास शामिल है। कंपनी सभी नए मॉडलों में छह एयरबैग लगाने की योजना बना रही है, जो सरकार के सुरक्षा प्रयासों के अनुरूप है। इसके अलावा, मारुति इस साल 7 लाख सीएनजी कारें बेचने का लक्ष्य रख रही है और छोटे मॉडलों के लिए हाइब्रिड पावरट्रेन की खोज कर रही है।

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शहरी बुनियादी ढांचे की जरूरत
भार्गव ने बेहतर शहरी बुनियादी ढांचे की जरूरत पर जोर दिया। यह बताते हुए कि खराब नियोजन के कारण ईंधन की बर्बादी, प्रदूषण और उत्पादकता का नुकसान होता है। वैश्विक व्यापार की अनिश्चितताओं के बावजूद, उन्होंने मारुति की प्रतिस्पर्धात्मकता पर भरोसा जताया, भले ही आयात बाधाएं कम हो जाएं। वे आशावादी हैं कि कंपनी 2031 तक 50 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी हासिल कर लेगी। 

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