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NCLT: एनसीएलटी ने सुजुकी मोटर गुजरात व मारुति सुजुकी इंडिया के विलय को दी हरी झंडी, जानें कब होगी शुरुआत

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: जागृति Updated Mon, 10 Nov 2025 01:37 PM IST
सार

NCLT: राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरण (एनसीएलटी) ने सुजुकी मोटर गुजरात के उसकी मूल कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के साथ विलय को हरी झंडी दे दी है। उम्मीद है कि यह योजना समूह की संरचना को सरल बनाएगी, निर्णय प्रक्रिया को तेज करेगी और परिचालन क्षमता को बढ़ाएगी।

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एनसीएलटी - फोटो : nclt.gov.in
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भारत के ऑटो सेक्टर में एक अहम कॉर्पोरेट घटनाक्रम सामने आया है। राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण ने सुजुकी मोटर गुजरात प्राइवेट लिमिटेड और मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के बीच प्रस्तावित विलय योजना को मंजूरी दे दी है। यह विलय 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा।

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एनसीएलटी की दो सदस्यीय पीठ अध्यक्ष रामलिंगम सुधाकर और सदस्य रवींद्र चतुर्वेदी ने आदेश पारित करते हुए कहा कि यह योजना सभी हितधारकों, शेयरधारकों व कर्मचारियों के लिए लाभकारी है और इसके क्रियान्वयन में कोई बाधा नहीं है। एनसीएलटी ने स्पष्ट किया कि योजना के लागू होने पर सुजुकी मोटर गुजरात का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। वह कंपनी रजिस्ट्रार के पास आदेश की प्रति दाखिल करने के बाद परिसमापन प्रक्रिया भंग मानी जाएगी।

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कंपनी की याचिका में कहा गया है कि इस विलय से समूह संरचना सरल होगी और दोहराव खत्म होगा। निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज होगी और संसाधनों और प्रबंधन क्षमताओं का बेहतर उपयोग संभव होगा। क्रॉस-फंक्शनल लर्निंग व कॉस्ट ऑप्टिमाइजेशन को बढ़ावा मिलेगा। कर्मचारियो का स्थानांतरण बिना किसी नुकसान के मारुति सुजुकी इंडिया में होगा।

एनसीएलटी ने यह भी बताया कि आयकर विभाग, आरबीआई, सेबी, बीएसई, एनएसई और अन्य वैधानिक निकायों ने इस योजना पर कोई आपत्ति नहीं जताई। 31 जुलाई 2025 तक आपत्ति दर्ज करने की अवधि समाप्त हो चुकी थी। पहला मोशन ऑर्डर 10 जून 2925 को पारित हुआ था। जिसमें शेयरधारकों की बैठकों से छूट दी गई थी। अब यह योजना कंपनी अधिनियम की धारा 230 से 232 के तहत अंतिम रूप में स्वीकृत हो चुकी है।

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जापानी पैरेंट कंपनी का नियंत्रण:

मारुति सुजुकी की पैरेंट कंपनी सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन (जापान) के पास 31 मार्च 2025 तक कंपनी की 58.28 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यह विलय सुजुकी समूह की भारत में दीर्घकालिक निर्माण रणनीति का हिस्सा माना जाता है। जिससे मेक इन इंडिया और ईवी ट्रांजिशन को भी मजबूती मिल सकती है।

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