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New Car: नई कार खरीदी है? ये गलती मत करना वरना इंजन हो जाएगा खराब, जानें क्या है 'रन-इन' का सही तरीका?

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सुयश पांडेय Updated Sat, 20 Dec 2025 02:00 PM IST
सार

नई कार खरीदने के बाद शुरुआती कुछ हजार किलोमीटर का सही इस्तेमाल इंजन की उम्र, माइलेज और परफॉर्मेंस तय करता है। इस लेख में हमने ‘रन-इन’ का महत्व समझाया है साथ ही जरूरी नियम भी बताएं हैं। 

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New Car Run-In Guide: Why the First 2,500 km Decide Your Car’s Long-Term Performance
नई कार खरीदी है तो इन 'रन-इन' पीरियड का ध्यान रखें (सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : istock
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विस्तार
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नई कार खरीदने की खुशी अलग ही होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शोरूम से निकलने के बाद शुरुआती कुछ हजार किलोमीटर यह तय करते हैं कि आपकी कार अगले 10 साल तक कैसा प्रदर्शन करेगी? आप अपनी नई कार के इंजन के साथ शुरुआत में कैसा व्यवहार करते हैं, इसका सीधा असर उसकी लंबी उम्र, परफॉरमेंस और माइलेज पर पड़ता है। इस प्रक्रिया को 'Run-In' (रन-इन) कहा जाता है। अगर इसे सही तरीके से न किया जाए, तो भविष्य में इंजन को नुकसान हो सकता है। यहां हम कार निर्माताओं और विशेषज्ञों की राय के आधार पर आपको रन-इन का सही तरीका बता रहे हैं।
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रन-इन (Run-In) आखिर क्यों जरूरी है?

नई कार के इंजन के अंदर कई मूविंग पार्ट्स होते हैं- जैसे पिस्टन रिंग्स, बियरिंग्स और सिलिंडर। फैक्ट्री से निकलने के बाद इन्हें एक-दूसरे के साथ पूरी तरह सेट होने के लिए थोड़े समय और घर्षण की जरूरत होती है। सिर्फ इंजन ही नहीं, यह प्रक्रिया ट्रांसमिशन, नए टायर्स और ब्रेक पैड्स के लिए भी उतनी ही जरूरी है। सही रन-इन से इंजन स्मूथ चलता है और तेल की खपत भी बेहतर होती है। 
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अपनी नई कार को बेहतरीन कंडीशन में रखने के लिए इन 4 नियमों का पालन करें-

1. शुरुआती 2,500 किलोमीटर का नियम

एक आदर्श रन-इन पीरियड लगभग 2,500 किलोमीटर का होता है। गाड़ी स्टार्ट करने के बाद इंजन को थोड़ा वार्म-अप होने दें। ठंडे इंजन पर कभी भी ज्यादा लोड न डालें। 2,500 किमी पूरे होने के बाद ही आप अपनी कार की पूरी क्षमता का आनंद लें।

2. RPM लिमिट का रखें खास ध्यान

इंजन के प्रकार (पेट्रोल या डीजल) के हिसाब से आपको एक्सीलरेटर पर संयम रखना होगा। पेट्रोल इंजन के लिए पहले 1,000 किमी तक 2,500 RPM (रेवोल्यूशन पर मिनट) से ऊपर न जाएं। अगले 1,500 किमी तक 3,000 RPM तक चलाएं और 2,500 किमी तक धीरे-धीरे RPM बढ़ाएं। डीजल इंजन के लिए पहले 1,000 किमी के लिए 2,200 RPM तक सीमित रखें। अगले 1,500 किमी के लिए 2,500-2,800 RPM तक रखें। उसके बाद धीरे-धीरे मैक्सिमम RPM तक जाएं।

3. ड्राइविंग का तरीका (Driving Style)

रन-इन का मुख्य उद्देश्य इंजन को अलग-अलग RPM रेंज में चलाना है। हाईवे पर एक ही स्पीड पर लगातार गाड़ी न चलाएं। बंपर-टू-बंपर ट्रैफिक में ज्यादा देर तक रेंगने से बचें। अपनी स्पीड और गियर बदलते रहें। इंजन को अलग-अलग लोड और स्पीड का अनुभव कराएं ताकि पार्ट्स हर स्थिति के लिए तैयार हो सकें।

4. इंजन ऑयल (Engine Oil) का मंत्र

इंजन की सेहत के लिए ऑयल सबसे जरूरी हैकोशिश करें कि पहले 1,000 किमी के बाद इंजन ऑयल बदल दें। नए इंजन के चलने पर धातु के बहुत बारीक कण ऑयल में आ जाते हैं, जिन्हें समय रहते निकालना इंजन की सेहत के लिए अच्छा है। पहले 10,000 किमी तक सिंथेटिक ऑयल का इस्तेमाल न करें। यह बहुत ज्यादा चिकना होता है, जिससे इंजन के पुर्जों के आपस में सेट होने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। शुरुआत में सामान्य मिनरल ऑयल ही सबसे बेहतर है।
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