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Vehicle Pollution: कैसे पहचानें कि आपका वाहन BS-VI है या नहीं, BS-6 और BS-4 में क्या है बड़ा अंतर

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Fri, 19 Dec 2025 06:40 PM IST
सार

दिल्ली में वायु प्रदूषण लंबे समय से गंभीर समस्या रहा है, इसी वजह से यहां उत्सर्जन मानकों को देश के बाकी हिस्सों से पहले लागू किया गया। पुराने वाहन आधुनिक तकनीक से लैस नहीं होते और इसलिए वे कहीं अधिक हानिकारक प्रदूषक छोड़ते हैं।

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What is difference between BS-6 and BS-4, How to identify if your vehicle is BS-VI or not
Delhi Traffic - फोटो : PTI
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विस्तार
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दिल्ली में खराब होती हवा की गुणवत्ता को देखते हुए सरकार ने वाहन प्रदूषण पर सख्ती बढ़ा दी है। नए नियम लागू होने के बाद भारत स्टेज (BS) उत्सर्जन मानकों को लेकर वाहन चालकों के बीच भ्रम की स्थिति भी सामने आई है। सरकार ने दिल्ली के बाहर पंजीकृत गैर-BS-VI निजी वाहनों के राजधानी में प्रवेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही, शहर के पेट्रोल पंपों पर अब केवल उन्हीं वाहनों को ईंधन दिया जाएगा जिनके पास वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र यानी PUCC होगा।
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नियमों का उल्लंघन करने पर गैर-अनुपालक वाहनों को दिल्ली में प्रवेश से रोका जाएगा और 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है, जबकि BS-VI वाहन भी बिना वैध PUCC के पकड़े जाने पर 10,000 रुपये तक का दंड झेल सकते हैं। इस सख्ती का मकसद पुराने और अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करना है।
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कैसे पहचानें कि आपका वाहन BS-VI है या नहीं
किसी भी वाहन की BS अनुपालना की जानकारी उसके रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) में दर्ज होती है। RC में स्पष्ट रूप से उल्लेख होता है कि वाहन किस उत्सर्जन मानक के तहत प्रमाणित है। आम तौर पर 1 अप्रैल 2020 या उसके बाद पंजीकृत सभी वाहन BS-VI मानकों के अनुरूप होते हैं, क्योंकि इसी तारीख से यह नियम पूरे देश में अनिवार्य हुआ।

इसके अलावा, वाहन निर्माता अक्सर ओनर मैनुअल में BS-VI अनुपालना का जिक्र करते हैं और कुछ मामलों में इंजन या फ्यूल टैंक के पास स्टिकर भी लगाया जाता है। अधिकृत डीलरशिप और सर्विस सेंटर भी वाहन के रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर यह जानकारी दे सकते हैं। वाहन मालिक चाहें तो सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के VAHAN पोर्टल पर जाकर भी नंबर प्लेट डालकर अपने वाहन का उत्सर्जन विवरण देख सकते हैं।

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Traffic jam after rain in Delhi - फोटो : PTI
पुराने वाहनों के लिए क्या नियम लागू होते हैं
अप्रैल 2020 से पहले खरीदे गए वाहन आमतौर पर BS-IV मानकों के अनुरूप होते हैं, लेकिन उन्हें BS-VI नहीं माना जाता। वहीं 2005 से 2010 के बीच खरीदे गए वाहन BS-III श्रेणी में आते हैं और 2001 से 2005 के बीच के वाहन BS-II मानकों के तहत पंजीकृत होते हैं। इससे पहले के वाहन और भी पुराने उत्सर्जन मानकों का पालन करते हैं, जो आज के संदर्भ में अधिक प्रदूषणकारी माने जाते हैं।

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क्या हैं भारत स्टेज उत्सर्जन मानक
भारत स्टेज उत्सर्जन मानक, मोटर वाहनों से निकलने वाले प्रदूषकों को नियंत्रित करने के लिए तय किए गए राष्ट्रीय नियम हैं। इन मानकों के तहत कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर जैसी हानिकारक गैसों की अधिकतम सीमा निर्धारित की जाती है। ये नियम यूरोपीय उत्सर्जन मानकों पर आधारित हैं और देश में बिकने वाले सभी नए वाहनों पर लागू होते हैं। हर नए BS चरण के साथ उत्सर्जन सीमाएं और सख्त होती जाती हैं। जिससे वाहन निर्माताओं को स्वच्छ तकनीक और बेहतर एग्जॉस्ट सिस्टम अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

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Delhi Traffic - फोटो : PTI
दिल्ली में अलग-अलग BS मानकों वाले वाहन क्यों चलते हैं
दिल्ली में वायु प्रदूषण लंबे समय से गंभीर समस्या रहा है, इसी वजह से यहां उत्सर्जन मानकों को देश के बाकी हिस्सों से पहले लागू किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, राजधानी में BS-II मानक 2001 में, BS-III 2005 में और BS-IV 2010 में लागू किए गए थे, जो राष्ट्रीय स्तर पर लागू होने से कई साल पहले थे। BS-VI मानक भी दिल्ली-एनसीआर में देश के अन्य हिस्सों से पहले लागू किए गए। हालांकि, रोजाना बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से वाहन दिल्ली में प्रवेश करते हैं, जिससे यहां अलग-अलग BS मानकों वाले वाहन सड़कों पर दिखाई देते हैं।

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पुराने वाहन ज्यादा प्रदूषण क्यों फैलाते हैं
पुराने वाहन आधुनिक तकनीक से लैस नहीं होते और इसलिए वे कहीं अधिक हानिकारक प्रदूषक छोड़ते हैं। खासकर डीजल वाहन नाइट्रोजन ऑक्साइड और बारीक कणों का ज्यादा उत्सर्जन करते हैं। जो स्मॉग बढ़ाने के साथ सांस और हृदय संबंधी बीमारियों का कारण बनते हैं। इसके अलावा, पुराने इंजन वाष्पशील कार्बनिक यौगिक भी छोड़ते हैं, जो वातावरण में प्रतिक्रिया करके प्रदूषण को और गंभीर बना देते हैं। डीजल से निकलने वाला ब्लैक कार्बन न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि जलवायु परिवर्तन में भी योगदान देता है।

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Delhi Traffic Police - फोटो : PTI
BS-VI और BS-IV में क्या बड़ा अंतर है
BS-VI मानकों के तहत उत्सर्जन सीमाएं BS-IV की तुलना में काफी सख्त हैं। पेट्रोल वाहनों में नाइट्रोजन ऑक्साइड की सीमा लगभग 25 प्रतिशत कम कर दी गई है, जबकि डीजल वाहनों के लिए इसमें करीब 68 प्रतिशत की कटौती की गई है। पार्टिकुलेट मैटर के उत्सर्जन में भी लगभग 82 प्रतिशत तक की कमी अनिवार्य की गई है। इसके अलावा BS-VI वाहनों में कम सल्फर वाला स्वच्छ ईंधन इस्तेमाल होता है, जिससे एडवांस्ड उत्सर्जन नियंत्रण तकनीक बेहतर ढंग से काम कर पाती है। BS-VI के तहत परीक्षण प्रक्रिया भी वास्तविक सड़क परिस्थितियों के ज्यादा करीब रखी गई है, जिससे प्रदूषण नियंत्रण ज्यादा प्रभावी हो सके।

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