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Nissan-Renault: रेनो में हिस्सेदारी घटाएगी निसान, दो दशक पुराने रिश्तों में ढील, जानें क्या है वजह
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Mon, 16 Jun 2025 03:49 PM IST
सार
Nissan Motor (निसान मोटर) के सीईओ इवान एस्पिनोसा ने हाल ही में बताया कि कंपनी फ्रेंच ऑटो कंपनी Renault (रेनो) में अपनी हिस्सेदारी कम करने की योजना बना रही है।
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- फोटो : Nissan
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विस्तार
Nissan Motor (निसान मोटर) के सीईओ इवान एस्पिनोसा ने हाल ही में बताया कि कंपनी फ्रेंच ऑटो कंपनी Renault (रेनो) में अपनी हिस्सेदारी कम करने की योजना बना रही है। जापान के निक्केई बिजनेस अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, निसान यह कदम मौजूदा कारोबारी चुनौतियों के बीच नए वाहनों के विकास के लिए फंड जुटाने के मकसद से उठा रहा है।
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आपसी हिस्सेदारी घटाने पर पहले ही बनी थी सहमति
निसान और रेनो ने मार्च 2025 में ही एक समझौते के तहत अपनी आपसी न्यूनतम हिस्सेदारी को 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने का फैसला किया था। इस समझौते के मुताबिक, दोनों कंपनियां अपनी हिस्सेदारी बेचने से पहले एक-दूसरे से तालमेल बिठाएंगी। और इसमें "राइट ऑफ फर्स्ट रिफ्यूजल" यानी पहली खरीद का अधिकार भी शामिल है।
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निसान और रेनो ने मार्च 2025 में ही एक समझौते के तहत अपनी आपसी न्यूनतम हिस्सेदारी को 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने का फैसला किया था। इस समझौते के मुताबिक, दोनों कंपनियां अपनी हिस्सेदारी बेचने से पहले एक-दूसरे से तालमेल बिठाएंगी। और इसमें "राइट ऑफ फर्स्ट रिफ्यूजल" यानी पहली खरीद का अधिकार भी शामिल है।
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5% हिस्सेदारी बेचकर जुटेंगे 100 अरब येन
निक्केई की रिपोर्ट के अनुसार, अगर निसान अपनी 5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचता है। तो मौजूदा शेयर मूल्य के हिसाब से कंपनी को करीब 100 अरब येन (लगभग 640 मिलियन डॉलर) मिल सकते हैं। निसान फिलहाल रेनो में 15 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। यह रकम कंपनी अपनी नई गाड़ियों के विकास में लगाएगी।
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निक्केई की रिपोर्ट के अनुसार, अगर निसान अपनी 5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचता है। तो मौजूदा शेयर मूल्य के हिसाब से कंपनी को करीब 100 अरब येन (लगभग 640 मिलियन डॉलर) मिल सकते हैं। निसान फिलहाल रेनो में 15 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। यह रकम कंपनी अपनी नई गाड़ियों के विकास में लगाएगी।
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दो दशक पुराने रिश्तों में ढील
इस फैसले को निसान और रेनो के बीच पिछले दो दशकों से चले आ रहे गहरे संबंधों में एक और ढील के तौर पर देखा जा रहा है। रेनो की भी निसान में हिस्सेदारी है, जो फिलहाल एक फ्रेंच ट्रस्ट के तहत रखी गई है। 2023 में जब दोनों कंपनियों ने अपने गठबंधन की शर्तों को दोबारा तय किया था। तभी से रेनो धीरे-धीरे निसान में अपनी हिस्सेदारी घटा रही है ताकि दोनों कंपनियों को बराबरी का दर्जा दिया जा सके।
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इस फैसले को निसान और रेनो के बीच पिछले दो दशकों से चले आ रहे गहरे संबंधों में एक और ढील के तौर पर देखा जा रहा है। रेनो की भी निसान में हिस्सेदारी है, जो फिलहाल एक फ्रेंच ट्रस्ट के तहत रखी गई है। 2023 में जब दोनों कंपनियों ने अपने गठबंधन की शर्तों को दोबारा तय किया था। तभी से रेनो धीरे-धीरे निसान में अपनी हिस्सेदारी घटा रही है ताकि दोनों कंपनियों को बराबरी का दर्जा दिया जा सके।
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रेनो के सीईओ भी दे रहे हैं इस्तीफा
इस खबर के साथ-साथ एक और बड़ा बदलाव रेनो की तरफ से सामने आया है। कंपनी ने रविवार को बताया कि उसके सीईओ लुका डे मेओ अब ऑटो इंडस्ट्री को छोड़कर किसी दूसरे क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कंपनी से जा रहे हैं।
इवान एस्पिनोसा ने इंटरव्यू में साफ कहा, "हम अपनी क्रॉस-शेयरहोल्डिंग घटा रहे हैं ताकि हम नए वाहनों में निवेश कर सकें।" यह बयान दिखाता है कि अब दोनों कंपनियां रणनीतिक स्तर पर स्वतंत्र होकर आगे बढ़ना चाहती हैं।
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इवान एस्पिनोसा ने इंटरव्यू में साफ कहा, "हम अपनी क्रॉस-शेयरहोल्डिंग घटा रहे हैं ताकि हम नए वाहनों में निवेश कर सकें।" यह बयान दिखाता है कि अब दोनों कंपनियां रणनीतिक स्तर पर स्वतंत्र होकर आगे बढ़ना चाहती हैं।
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