इन शानदार कारों के विज्ञापनों को देख कर आपको भी याद आएगा अपना बचपन
विज्ञापनों की दुनिया बड़ी ही रंगीली है, जहां क्रिएटिविटी के लिए हमेशा स्पेस होता है। किसी भी प्रोडक्ट को बुलंदियों तक पहुंचाने में विज्ञापन का अहम रोल होता है। हालांकि आज के वक्त में लोगों तक पहुंचने के लिए तमाम तरह के माध्यम हैं, लेकिन एक वक्त था जब माध्यम बेहद सीमित थे और लोगों तक पहुंचने की सशक्त माध्यम केवल प्रिंट मीडिया ही हुआ करता था। आज हम बता रहें है उन गुजरे जमाने की कारों के विज्ञापनों के बारे में, जो शायद ही अब किसी को याद हों...
फिएट 1100
ऐसा नहीं है कि फिएट भारत में पहली बार अपनी कारें बेच रही है। भारत और फिएट का साथ बेहद पुराना है। फिएट ने अपनी पहली कार 1954 में बनाई थी और अपनी 1100 सेडान कार बेचने के लिए प्रीमियर ऑटोमोबाइल्स लिमिटेड (पाल) के साथ समझौता किया था। हिंदुस्तान एंबेस्डर को टक्कर देने और युवाओं को लुभाने के लिए इस कार को लॉन्च किया गया था। इस कार में 1.1 लीटर का फोर सिलेंडर पेट्रोल इंजन था, जो 35 बीएचपी की पावर देता था। 10 साल बाद पदमिनी प्रीमियम लॉन्च की गई, जो 1100 सेडान का इंडियन वर्जन थी।
हिंदुस्तान लैंडमास्टर
एंबेसडर कार की निर्माता कंपनी हिंदुस्तान मोटर्स ने सबसे पहले भारतीय बाजार में लैंडमास्टर को लॉन्च किया था। लैंडमास्टर असल में ऑक्सफोर्ड सीरीज 2 का रीबेज वर्जन थी, जिसे इंग्लैंड में 1954 में लॉन्च किया गया था। बाद में इसकी जगह एंबेसडर ने ले ली। लैंडमास्टर में 1.5 लीटर का पेट्रोल इंजन मिलता था।
पदमिनी प्रीमियर
आज भी मुबंई की सड़कों पर टैक्सी में पदमिनी प्रीमियर दिखाई दे जाती है। पदमिनी कभी इस देश की बेहद लोकप्रिय कार थी, और उन दिनों इसे रखना किसी शान से कम नहीं था। फिएट 1100 के बंद होने के बाद इसे खास भारत के लिए कार लॉन्च किया गया। 1964 में पाल ने इसका कुरला में उत्पादन शुरू किया था और साल 2000 तक इसका प्रोडक्शन जारी रहा। इस कार में 1.1 लीटर का इंजन मिलता है, जो 40 बीएचपी की पावर और 71 एनएम का टॉर्क देता है।
महिंद्रा कमांडर
महिंद्रा ने सबसे पहले कमांडर से ही शुरुआत की थी। महिंद्रा ने अमेरिकी कंपनी विलीज से लाइसेंस लेकर बारत में इसे बनाना शुरू किया था। उन दिनों कमांडर में फ्रांस की कंपनी प्यूजो का इंजन लगा होता था। इसे पहली बार 1990 में लॉन्च किया गया और इसमें 2.5 लीटर का डीजल इंजन दिया गया, जो 50 बीएचपी की पावर देता था और इसमें 10 यात्रियों को एक साथ ढोने की क्षमता थी।
फिएट 1.38डी
पाल प्यूजो ने मिल कर इस कार का उत्पादन शुरू किया था और पदमिनी फिएट के बाद यह कंपनी की दूसरी कार थी, जिसे लोगों ने हाथों हाथ लिया। फिएट प्रीमियर 110एनई को सबसे पहले भारत में 1985 में लॉन्च किया गया था, शुरुआत में इसमें निसान कंपनी का 1.4 लीटर का पेट्रोल इंजन मिलता था, बाद में इसमें 1.4 लीटर का डीजल इंजन दिया गया, जो 41 बीएचपी की पावर और 70 एनएम का टॉर्क देता था। यह राइट व्हील ड्राइव थी, जिसमें गियर स्टीयरिंग की बजाय नीचे स्टिक गियर मिलता था।
हिंदुस्तान कॉन्टेसा डीजल
ये देश की लंबी सेडान कार थी, जिसकी तुलना कैडिलेक से होती थी। यह कार अपनी लंबाई और डिजाइन के लिये जानी जाती थी। हिंदुस्तान मोटर्स की यह सबसे महंगी कारों में थी। 1984 में इसे लॉन्च किया गया था और इसमें इसुजु का 1.8 लीटर का पेट्रोल इंजन और 2.0 लीटर का डीजल इंजन मिलता था। बाद में इसकी पावर बढ़ाने के लिए कंपनी के इसके डीजल वर्जन में टर्बोपावर को भी लॉन्च किया था। हालांकि अभी तक सड़कों पर कॉन्टेसा दिखाई दे जाती है।
सिपानी मॉन्टाना
बहुत कम लोगों को इस कार के बारे में जानकारी होगी, हालांकि इसकी बिक्री बेहद कम हुई, यह कार भारत में रोबिन रेलियंट का रीबैज वर्जन थी। मॉन्टाना पांच दरवाजों पर फाइबर ग्लास बॉडी से बनी हुई कार थी। उस वक्त सिपानी दिखने में मारुति 800 का कापी लगती थी। लेकिन कमजोर मार्केटिंग के चलते यह कार फेल हो गई। वहीं 1990 में इस बंद कर दिया गया। इसमें 848 सीसी का चार सिलेंडर वाला पेट्रोल इंजन लगा था, जो रिअर व्हील ड्राइव के साथ फोर स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन मिलता था।
हिंदुस्तान एंबेसडर
एंबेसडर पहली ऐसी कार थी, जिसके भारत की सड़कों पर दशकों तक राज किया। लंबे वक्त तक इसका उत्पादन जारी रहा। इसके मार्क-2 वर्जन को 1962 में लॉन्च किया गया था और 1977 में इसके नए वर्जन ने इसकी जगह ली। इस कार में 1.5 लीटर फोर सिलेंडर पेट्रोल इंजन मिलता था, जो 55 बीएचपी की पावर देता था।
स्टैंडर्ड हैराल्ड
भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर के शुरुआती दौर में कई कारों के रीबेज वर्जन भारत में बेचे गए। स्टैंडर्ड हेराल्ड उन्हीं में से एक थी, जो असल में ट्रंफ हेराल्ड का रीबैज वर्जन थी, जिसे 1968 में ब्रिटेन में लॉन्च किया गया। इसे उन दिनों मद्रास (आज के चेन्नई) में बनाया जाता था। इसमे फोर सिलेंडर वाला 948 सीसी का इंजन मिलता था।
प्यूजो 309
फ्रेंच कार कंपनी प्यूजो ने पहली कार पाल कंपनी से समझौते के बाद लॉन्च की थी। इस कार को पेट्रोल और डीजल दोनों इजनों में लॉन्च किया गया। लेकिन डीजल वेरियंट काफी लोकप्रिय हुआ। इसमें TUD5 डीजल इंजन मिलता था, जो 65 बीएचपी की पावर और 119 एनएम का टॉर्क देता था।
टाटा सियेरा
टाटा की यह पहली एसयूवी थी, जिसे किसी भारतीय कंपनी ने बनाया था। इस कार को 1991 में लॉन्च किया गया था और इसमें 2.0 लीटर का डीजल इंजन मिलता था, जो 68 बीएचपी की पावर और 118 एनएम का टॉर्क देता था। वहीं इसका टर्बोचार्ज्ड वर्जन 90 बीएचपी की पावर और 186 एनएम का टॉर्क देता था। इसमें पावर स्टीयरिंग के साथ पडल लैंप और फोर व्हील ड्राइव का फीचर मिलता था।
ओपल एस्ट्रा
जनरल मोटर्स की यह पहली सी2 सेगमेंट वाली कार थी, जिसे भारत में लॉन्च किया गया था। इसे 1996 में लॉन्च किया गया था, जिसे कई शानदार लग्जरी फीचर थे। जर्मन बिल्ड क्वालिटी वाली यह कार भारतीय बाजार में फिट नहीं हो पाई, जबकि इसी के साथ लॉन्च हुईं होंडा सिटी और मित्सुबिशी लांसर इससे कहीं आगे निकल गईं। इस कार में सनरूफ का भी फीचर मिलता था और यह पेट्रोल और डीजल इंजन में आती थी।