{"_id":"686955f026ee280b250ab797","slug":"renault-nissan-alliance-news-renault-in-talks-with-jsw-group-for-joint-venture-in-india-claims-report-2025-07-05","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"Renault-Nissan: अलविदा कहेगा या कायम रहेगा रेनो-निसान का गठजोड़? JSW के साथ नई साझेदारी की तैयारी!","category":{"title":"Automobiles","title_hn":"ऑटो-वर्ल्ड","slug":"automobiles"}}
Renault-Nissan: अलविदा कहेगा या कायम रहेगा रेनो-निसान का गठजोड़? JSW के साथ नई साझेदारी की तैयारी!
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Sat, 05 Jul 2025 10:12 PM IST
सार
Renault (रेनो) और Nissan (निसान) की लंबे समय से चली आ रही पार्टनरशिप अब अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचती दिख रही है। फ्रांसीसी कार कंपनी रेनो अब भारत में JSW (जेएसडब्ल्यू) ग्रुप के साथ नई साझेदारी के लिए बातचीत कर रही है।
विज्ञापन
Renault Kiger
- फोटो : Renault
विज्ञापन
विस्तार
Renault (रेनो) और Nissan (निसान) की लंबे समय से चली आ रही पार्टनरशिप अब अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचती दिख रही है। फ्रांसीसी कार कंपनी रेनो अब भारत में JSW (जेएसडब्ल्यू) ग्रुप के साथ नई साझेदारी के लिए बातचीत कर रही है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रेनो अब निसान के साथ अपनी पुरानी साझेदारी को पीछे छोड़ने की तैयारी में है।
यह भी पढ़ें - Old Car: दिल्ली में पुरानी कारों पर हो रही चिंताओं के बीच अहम सवाल, कितने साल तक रखें अपनी कार?
Trending Videos
यह भी पढ़ें - Old Car: दिल्ली में पुरानी कारों पर हो रही चिंताओं के बीच अहम सवाल, कितने साल तक रखें अपनी कार?
विज्ञापन
विज्ञापन
कुछ समय पहले ही रेनो और निसान ने अपने गठबंधन की शर्तों में बदलाव किया था। दोनों कंपनियों ने एक-दूसरे की हिस्सेदारी को 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया था। यह कदम उनके आपसी रिश्तों को थोड़ा ढीला करके, हर कंपनी को अलग-अलग स्वतंत्र रूप से काम करने की दिशा में उठाया गया था। इसके साथ ही रेनो ने भारत में उनकी संयुक्त कंपनी रेनो निसान ऑटोमोटिव इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (आरएनएआईपीएल) (RNAIPL) की पूरी हिस्सेदारी खरीदने का भी फैसला किया है, जिसमें पहले निसान की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।
यह भी पढ़ें - Delhi Vehicle Policy: दिल्ली की वाहन नीति की वजह से 65 लाख की लैंड रोवर बिकी सिर्फ 8 लाख में, जानें पूरा मामला
यह भी पढ़ें - Delhi Vehicle Policy: दिल्ली की वाहन नीति की वजह से 65 लाख की लैंड रोवर बिकी सिर्फ 8 लाख में, जानें पूरा मामला
भारत में JSW के साथ नए सफर की शुरुआत
भले ही भारत में रेनो की बाजार हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से भी कम हो, लेकिन कंपनी की नजरें अब इस बाजार में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने पर हैं। JSW ग्रुप के साथ साझेदारी की बातचीत अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन माना जा रहा है कि इस महीने के आखिर तक रेनो को RNAIPL पर पूरा नियंत्रण मिल जाएगा। रेनो फिलहाल भारत से अफ्रीका और एशिया-पैसिफिक देशों को गाड़ियां निर्यात कर रही है। भारत उनके लिए एक अहम बाजार बना हुआ है। और कंपनी ने फ्रांस के बाहर अपनी सबसे बड़ी डिजाइन स्टूडियो चेन्नई में ही खोली है।
यह भी पढ़ें - Elon Musk: ट्रंप की निर्वासन धमकी के बाद मस्क को चीन से मिला प्यार, टेस्ला सीईओ बनाएंगे नई पार्टी!
भले ही भारत में रेनो की बाजार हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से भी कम हो, लेकिन कंपनी की नजरें अब इस बाजार में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने पर हैं। JSW ग्रुप के साथ साझेदारी की बातचीत अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन माना जा रहा है कि इस महीने के आखिर तक रेनो को RNAIPL पर पूरा नियंत्रण मिल जाएगा। रेनो फिलहाल भारत से अफ्रीका और एशिया-पैसिफिक देशों को गाड़ियां निर्यात कर रही है। भारत उनके लिए एक अहम बाजार बना हुआ है। और कंपनी ने फ्रांस के बाहर अपनी सबसे बड़ी डिजाइन स्टूडियो चेन्नई में ही खोली है।
यह भी पढ़ें - Elon Musk: ट्रंप की निर्वासन धमकी के बाद मस्क को चीन से मिला प्यार, टेस्ला सीईओ बनाएंगे नई पार्टी!
भारतीय बाजार में रेनो की अनोखी रणनीति
जहां ज्यादातर यूरोपीय कार कंपनियां भारत में टिक नहीं पातीं, वहीं रेनो ने एक अलग रास्ता चुना है। कंपनी ने सिर्फ सब-4 मीटर सेगमेंट पर ध्यान दिया है, यानी वह सिर्फ छोटे और किफायती सेगमेंट में गाड़ियां बेच रही है। इस श्रेणी में रेनो की तीन गाड़ियां - Kwid (क्विड), Triber (ट्राइबर) और Kiger (काइगर) मौजूद हैं। इनमें सबसे ज्यादा बिकने वाली कार ट्राइबर है, जो देश की सबसे सस्ती 3-रो एमपीवी है। खास बात ये है कि रेनो की सभी गाड़ियां पेट्रोल इंजन पर चलती हैं।
यह भी पढ़ें - Toll Tax: सरकार ने 50 प्रतिशत तक घटाया टोल टैक्स, इन राष्ट्रीय राजमार्गों पर मिलेगा फायदा, जानें डिटेल्स
जहां ज्यादातर यूरोपीय कार कंपनियां भारत में टिक नहीं पातीं, वहीं रेनो ने एक अलग रास्ता चुना है। कंपनी ने सिर्फ सब-4 मीटर सेगमेंट पर ध्यान दिया है, यानी वह सिर्फ छोटे और किफायती सेगमेंट में गाड़ियां बेच रही है। इस श्रेणी में रेनो की तीन गाड़ियां - Kwid (क्विड), Triber (ट्राइबर) और Kiger (काइगर) मौजूद हैं। इनमें सबसे ज्यादा बिकने वाली कार ट्राइबर है, जो देश की सबसे सस्ती 3-रो एमपीवी है। खास बात ये है कि रेनो की सभी गाड़ियां पेट्रोल इंजन पर चलती हैं।
यह भी पढ़ें - Toll Tax: सरकार ने 50 प्रतिशत तक घटाया टोल टैक्स, इन राष्ट्रीय राजमार्गों पर मिलेगा फायदा, जानें डिटेल्स
JSW की ऑटो इंडस्ट्री में बढ़ती दिलचस्पी
JSW ग्रुप पहले से ही भारत की ऑटो इंडस्ट्री में सक्रिय है। वह MG Motor (एमजी मोटर) में 35 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है, जो SAIC Motor Corp (एसएआईसी मोटर कॉर्प) की सब्सिडियरी है। JSW का फोकस अब इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) सेगमेंट में अपनी पकड़ मजबूत करने पर है। और रेनो के साथ संभावित संयुक्त उपक्रम (जॉइंट वेंचर) इस दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।
यह भी पढ़ें - 2026 Triumph Rocket 3 R: नई ट्रायम्फ रॉकेट 3 स्टॉर्म सीरीज का ग्लोबल डेब्यू, दुनिया की सबसे बड़ी इंजन वाली बाइक
JSW ग्रुप पहले से ही भारत की ऑटो इंडस्ट्री में सक्रिय है। वह MG Motor (एमजी मोटर) में 35 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है, जो SAIC Motor Corp (एसएआईसी मोटर कॉर्प) की सब्सिडियरी है। JSW का फोकस अब इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) सेगमेंट में अपनी पकड़ मजबूत करने पर है। और रेनो के साथ संभावित संयुक्त उपक्रम (जॉइंट वेंचर) इस दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।
यह भी पढ़ें - 2026 Triumph Rocket 3 R: नई ट्रायम्फ रॉकेट 3 स्टॉर्म सीरीज का ग्लोबल डेब्यू, दुनिया की सबसे बड़ी इंजन वाली बाइक