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Car Sales: आखिरी सांसे गिन रहीं हैचबैक कारें, बिक्री हुई धड़ाम! जानिए ऑटो इंडस्ट्री में क्या है संकट
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Fri, 27 Jun 2025 06:05 PM IST
सार
Small Car Sales Decline: देश में छोटी कारों की बिक्री में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। कभी बिक्री में 47 प्रतिशत की हिस्सेदार रखने वाली हैचबैक कारों का मार्केट शेयर अब केवल 24 प्रतिशत रह गया है। आइए जानते है हैचबैक कारों के इस हाल के पीछे क्या कारण हैं।
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हैचबैक कार
- फोटो : AI
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विस्तार
देश में कार कंपनियों की परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। एक समय था जब एक मिडिल क्लास के लिए मारुति ऑल्टो, हुंडई सेंट्रो और आई10 जैसी कारें सपना हुआ करती थी। पहले लोग छोटी कारों को खरीदने के लिए लाइन लगाते थे, लेकिन अब इनके खरीदार तेजी से कम होते जा रहे हैं। बीते कुछ वर्षों से हैचबैक कारों की बिक्री में लगातार गिरावट देखी जा रही है। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि देश में हैचबैक कारों की बिक्री क्यों कम होती जा रही है।
हैचबैक की बिक्री में बड़ी गिरावट
छोटी कारों की बात करें तो 2020 से इनकी बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। 2020 में कुल कार बिक्री में हैचबैक कारों का 47 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी, जो 2024 में घटकर सिर्फ 24 प्रतिशत रह गई।
2020 में मारुति की हैचबैक बिक्री 7.71 लाख यूनिट थी, जो 2024 में घटकर 7.30 लाख यूनिट रह गई। इस साल मई में मारुति की छोटी कारें जैसे ऑल्टो, एस-प्रेसो की बिक्री में 31.5 प्रतिशत गिरकर 6,776 यूनिट्स रह गई।
पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट की दूसरी बड़ी कंपनी ह्यूंदै की हैचबैक बिक्री में भी गिरावट दर्ज की गई। 2020 में ह्यूंदै की हैचबैक बिक्री 1.92 लाख यूनिट थी, जो 2024 में 1.24 लाख यूनिट रह गई।
2016 के बाद लड़खड़ाईं हैचबैक कारें
इतना ही नहीं, 2016 में 10 लाख यूनिट से ज्यादा बिकने वाली एंट्री लेवल कारों कि बिक्री 2024 में सिमट कर केवल 25,402 यूनिट रह गई। इस गिरावट से कार कंपनियां परेशान हैं।
क्या कहती हैं कंपनियां
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मारुति सुजुकी के अधिकारी पार्थो बनर्जी कहते हैं, "अगर सरकार ऑटो इंडस्ट्री को बढ़ाना चाहती है, तो छोटी कारों की बिक्री को प्रोत्साहन देना होगा। इससे लोग दोपहिया वाहनों से चारपहिया वाहनों की ओर आ सकते हैं।"
मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर.सी. भार्गव का कहना है कि अगर छोटी कारों की बिक्री नहीं बढ़ी तो ऑटो सेक्टर की पूरी ग्रोथ प्रभावित होगी। अगर ये सिलसिला जारी रहा तो कार कंपनियों को बड़ा नुकसान हो सकता है।
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हैचबैक की बिक्री में बड़ी गिरावट
छोटी कारों की बात करें तो 2020 से इनकी बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। 2020 में कुल कार बिक्री में हैचबैक कारों का 47 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी, जो 2024 में घटकर सिर्फ 24 प्रतिशत रह गई।
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2020 में मारुति की हैचबैक बिक्री 7.71 लाख यूनिट थी, जो 2024 में घटकर 7.30 लाख यूनिट रह गई। इस साल मई में मारुति की छोटी कारें जैसे ऑल्टो, एस-प्रेसो की बिक्री में 31.5 प्रतिशत गिरकर 6,776 यूनिट्स रह गई।
पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट की दूसरी बड़ी कंपनी ह्यूंदै की हैचबैक बिक्री में भी गिरावट दर्ज की गई। 2020 में ह्यूंदै की हैचबैक बिक्री 1.92 लाख यूनिट थी, जो 2024 में 1.24 लाख यूनिट रह गई।
2016 के बाद लड़खड़ाईं हैचबैक कारें
इतना ही नहीं, 2016 में 10 लाख यूनिट से ज्यादा बिकने वाली एंट्री लेवल कारों कि बिक्री 2024 में सिमट कर केवल 25,402 यूनिट रह गई। इस गिरावट से कार कंपनियां परेशान हैं।
क्या कहती हैं कंपनियां
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मारुति सुजुकी के अधिकारी पार्थो बनर्जी कहते हैं, "अगर सरकार ऑटो इंडस्ट्री को बढ़ाना चाहती है, तो छोटी कारों की बिक्री को प्रोत्साहन देना होगा। इससे लोग दोपहिया वाहनों से चारपहिया वाहनों की ओर आ सकते हैं।"
मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर.सी. भार्गव का कहना है कि अगर छोटी कारों की बिक्री नहीं बढ़ी तो ऑटो सेक्टर की पूरी ग्रोथ प्रभावित होगी। अगर ये सिलसिला जारी रहा तो कार कंपनियों को बड़ा नुकसान हो सकता है।
कार शोरूम
- फोटो : अमर उजाला
क्यों घट रही छोटी कारों की बिक्री
नए नियमों ने बढ़ाई लागत
छोटी कारों की बिक्री कम होने के पीछे सबसे बड़ी वजह है लागत का बढ़ना। नए सेफ्टी और उत्सर्जन नियमों जैसे 6 एयरबैग की अनिवार्यता और बीएस 6 उत्सर्जन नियमों के अनुपालन से कार कंपनियों की लागत बढ़ गई है। इससे छोटी गाड़ियों की कीमत 60,000 रुपये तक बढ़ गई है, जिससे 5 लाख रुपये के बजट वाले ग्राहकों के लिए कार खरीदने का सपना अब सपना ही रह गया है।
3 साल का अनिवार्य इंश्योरेंस
इसके अलावा नई कारों पर सरकार ने 3 साल का इंश्योरेंस भी अनिवार्य कर दिया है, जिससे कार खरीदने की शुरूआती लागत और भी बढ़ जाती है।
जीएसटी और रोड टैक्स
मौजूदा समय में वाहनों पर 28% जीएसटी और अन्य सेस लगाए जाते हैं, जिससे एंट्री लेवल कारों की कीमत बढ़ गई है। इसके अलावा कारों पर 4-5% का रोड टैक्स भी लिया जाता है। यही नहीं, गाड़ियों के इंश्योरेंस पर भी सरकार 18% की दर से जीएसटी लगाती है। कुल मिलाकर एक कम बजट वाले ग्राहक पर टैक्स का बोझ भारी पड़ रहा है। कार कंपनियां सरकार से काफी समय से टैक्स कम करने की मांग कर रही हैं, ताकि कम बजट वाले ग्राहकों के लिए कार खरीदना आसान हो सके।
एसयूवी की डिमांड में बढ़ोतरी
लोग अब छोटी कारों की जगह एसयूवी जैसी बड़ी गाड़ियों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। 2014 में 7.16 लाख यूनिट बिकने वाली एसयूवी 2024 में 23.04 लाख यूनिट कर पहुंच गई हैं। टाटा नेक्सन, मारुति ब्रेजा और हुंडई वेन्यू जैसी 10 लाख से कम कीमत वाली एसयूवी गाड़ियों की डिमांड बढ़ रही है। ऐसे में यदि सरकार टैक्स में कटौती करें, तो कंपनियां ग्राहकों के लिए सस्ती छोटी कारें बना पाएंगी और एक बार फिर हैचबैक का दौर लौट सकता है।
नए नियमों ने बढ़ाई लागत
छोटी कारों की बिक्री कम होने के पीछे सबसे बड़ी वजह है लागत का बढ़ना। नए सेफ्टी और उत्सर्जन नियमों जैसे 6 एयरबैग की अनिवार्यता और बीएस 6 उत्सर्जन नियमों के अनुपालन से कार कंपनियों की लागत बढ़ गई है। इससे छोटी गाड़ियों की कीमत 60,000 रुपये तक बढ़ गई है, जिससे 5 लाख रुपये के बजट वाले ग्राहकों के लिए कार खरीदने का सपना अब सपना ही रह गया है।
3 साल का अनिवार्य इंश्योरेंस
इसके अलावा नई कारों पर सरकार ने 3 साल का इंश्योरेंस भी अनिवार्य कर दिया है, जिससे कार खरीदने की शुरूआती लागत और भी बढ़ जाती है।
जीएसटी और रोड टैक्स
मौजूदा समय में वाहनों पर 28% जीएसटी और अन्य सेस लगाए जाते हैं, जिससे एंट्री लेवल कारों की कीमत बढ़ गई है। इसके अलावा कारों पर 4-5% का रोड टैक्स भी लिया जाता है। यही नहीं, गाड़ियों के इंश्योरेंस पर भी सरकार 18% की दर से जीएसटी लगाती है। कुल मिलाकर एक कम बजट वाले ग्राहक पर टैक्स का बोझ भारी पड़ रहा है। कार कंपनियां सरकार से काफी समय से टैक्स कम करने की मांग कर रही हैं, ताकि कम बजट वाले ग्राहकों के लिए कार खरीदना आसान हो सके।
एसयूवी की डिमांड में बढ़ोतरी
लोग अब छोटी कारों की जगह एसयूवी जैसी बड़ी गाड़ियों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। 2014 में 7.16 लाख यूनिट बिकने वाली एसयूवी 2024 में 23.04 लाख यूनिट कर पहुंच गई हैं। टाटा नेक्सन, मारुति ब्रेजा और हुंडई वेन्यू जैसी 10 लाख से कम कीमत वाली एसयूवी गाड़ियों की डिमांड बढ़ रही है। ऐसे में यदि सरकार टैक्स में कटौती करें, तो कंपनियां ग्राहकों के लिए सस्ती छोटी कारें बना पाएंगी और एक बार फिर हैचबैक का दौर लौट सकता है।