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AI-powered Electric Bike: सूरत के छात्रों ने बनाई 'गरुड़', भारत की पहली एआई-पावर्ड ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Sat, 27 Dec 2025 08:10 PM IST
सार

सूरत के दो छात्रों ने AI की पावर का इस्तेमाल करके एक कस्टम इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल बनाने में कामयाबी हासिल की है जो खुद चल सकती है।

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Surat Students Develop ‘Garuda’, India’s First AI-Powered Driverless Electric Motorcycle
Made-in-India AI-powered driverless electric motorcycle Garuda built by Surat students - फोटो : YouTube/@CreativeScienceOfficial
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विस्तार
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गुजरात के सूरत शहर के छात्रों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ताकत का इस्तेमाल करते हुए एक ऐसी इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल तैयार की है, जो बिना ड्राइवर के खुद चल सकती है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग के तीन छात्रों ने 'गरुड़' नाम का यह प्रोटोटाइप विकसित किया है। जिसे भारत की पहली एआई-संचालित ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक सुपरबाइक बताया जा रहा है। खास बात यह है कि इस बाइक को लगभग 50 प्रतिशत कबाड़ और रिसाइकल्ड मटीरियल से तैयार किया गया है। जो 'वेस्ट-टू-बेस्ट' इंजीनियरिंग की शानदार मिसाल है।
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एक साल की मेहनत और सीमित बजट में तैयार हुआ सपना
'गरुड़' को तैयार करने वाले छात्र शिवम मौर्य, गुरप्रीत अरोड़ा और गणेश पाटिल हैं, जो सूरत की भगवान महावीर यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं। इन तीनों ने करीब एक साल तक इस प्रोजेक्ट पर काम किया और लगभग 1.8 लाख रुपये की लागत में अपने विचार को हकीकत में बदला। टेस्ला की ऑटोनॉमस टेक्नोलॉजी से प्रेरित होकर छात्रों का मकसद यह दिखाना था कि भविष्य की स्मार्ट मोबिलिटी को स्थानीय संसाधनों और रिसाइकल्ड पार्ट्स के जरिए भी किफायती तरीके से विकसित किया जा सकता है।

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रास्पबेरी पाई और वॉयस कमांड से चलता है 'गरुड़'
'गरुड़' का दिमाग एक रास्पबेरी पाई मॉड्यूल है, जो इस बाइक का सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट की तरह काम करता है। यह छोटा लेकिन ताकतवर कंप्यूटर सिस्टम वाई-फाई के जरिए वॉयस कमांड को समझने और उन पर अमल करने में सक्षम है। डेमो के दौरान यह बाइक अपनी स्पीड खुद कंट्रोल करती नजर आई और "स्टॉप" जैसे वॉयस निर्देशों पर तुरंत प्रतिक्रिया दी। यह मोटरसाइकिल तीन मोड में काम कर सकती है- मैनुअल, मोबाइल फोन से कंट्रोल होने वाला और पूरी तरह ऑटोनॉमस मोड।

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फ्यूचरिस्टिक डिजाइन और हाई-एंड फीचर्स
डिजाइन के मामले में भी 'गरुड़' किसी कॉन्सेप्ट बाइक से कम नहीं है। इसमें हबलेस व्हील्स दिए गए हैं, जो इसे बेहद फ्यूचरिस्टिक लुक देते हैं। कबाड़ से बनी होने के बावजूद इस प्रोटोटाइप में ऐसे प्रीमियम फीचर्स शामिल हैं, जो आमतौर पर महंगे इलेक्ट्रिक वाहनों में ही देखने को मिलते हैं। बाइक में फुल टचस्क्रीन डैशबोर्ड के साथ जीपीएस नेविगेशन, लाइव ट्रैफिक के लिए आगे और पीछे कैमरे, और वायरलेस मोबाइल चार्जिंग की सुविधा भी दी गई है।

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एआई आधारित सेफ्टी सिस्टम से बढ़ी सुरक्षा
इस बाइक की सुरक्षा व्यवस्था में भी एआई की अहम भूमिका है। हाई-रेंज सेंसर लगातार आसपास के माहौल पर नजर रखते हैं और किसी भी बाधा को पहचान लेते हैं। 'गरुड़' में दो-स्तरीय सेफ्टी प्रोटोकॉल लगाया गया है। अगर कोई वाहन या वस्तु 12 फीट के दायरे में आती है, तो बाइक अपने आप स्पीड कम कर देती है। वहीं, अगर बाधा तीन फीट के भीतर पहुंच जाती है, तो सिस्टम बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के ऑटोमैटिक ब्रेकिंग एक्टिवेट कर देता है और बाइक पूरी तरह रुक जाती है।

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रेंज और चार्जिंग में भी कमाल
परफॉर्मेंस के लिहाज से भी 'गरुड़' किसी कमर्शियल इलेक्ट्रिक बाइक से पीछे नहीं है। हल्की लिथियम-आयन बैटरी से लैस यह मोटरसाइकिल इको मोड में 220 किलोमीटर और स्पोर्ट मोड में 160 किलोमीटर तक की रेंज देने का दावा करती है। मौजूदा बाजार में उपलब्ध ज्यादातर इलेक्ट्रिक बाइक्स और स्कूटर्स की तुलना में यह आंकड़ा काफी ज्यादा है। हैरानी की बात यह है कि इसकी बैटरी महज दो घंटे में फुल चार्ज हो जाती है।

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क्या प्रोडक्शन तक पहुंचेगा 'गरुड़'?
एडवांस एआई फीचर्स, इनोवेटिव सेफ्टी सिस्टम और फ्यूचरिस्टिक डिजाइन को देखते हुए 'गरुड़' जैसी मोटरसाइकिल के कमर्शियल प्रोडक्शन की संभावनाएं मजबूत नजर आती हैं। फिलहाल यह एक प्रोटोटाइप है, लेकिन यह प्रोजेक्ट इस बात का संकेत जरूर देता है कि भारत में युवा इंजीनियर सीमित संसाधनों के बावजूद भविष्य की मोबिलिटी को नई दिशा देने में सक्षम हैं।

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