Bihar Election 2025 : मतदान के लिए भारतीय नागरिकता का प्रमाण मांगने पर बिफरा महागठबंधन, तेजस्वी ने खोला मोर्चा
Bihar News : बिहार में भी विपक्षी गठबंधन ने भारत निर्वाचन आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सत्ताधारी एनडीए को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार चुनाव में भारत की नागरिकता का प्रमाण मांगना साजिश है।

विस्तार
बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा बताए जा रहे तेजस्वी यादव ने भारत निर्वाचन आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शुक्रवार को महागठबंधन के विभिन्न दलों के नेताओं के साथ राष्ट्रीय जनता दल कार्यालय में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि निर्वाचन आयोग साजिश के तहत बिहार चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हिसाब से मतदाताओं की छंटनी कराना चाहता है। इसी कारण आयोग ने बिहार चुनाव में युवा वोटरों से उनके पिता-माता की नागरिकता का प्रमाण मांग रहा है। तेजस्वी ने बताया कि राज्य सरकार और केंद्र के आंकड़ों के आधार पर बताया कि बिहार में मैट्रिक करने वाले कितने कम हैं और जन्म प्रमाणपत्र वाले कितने कम लोग हैं। उन्होंने बाढ़ में भी ऐसे नागरिकता प्रमाणपत्र बह जाने की बात कहते हुए आरोप लगाया कि आयोग संघ और भाजपा के हिसाब से काम करते हुए दलित, पिछड़ों और अति-पिछड़ों का मताधिकार छीनने के लिए नागरिकता का प्रमाणपत्र मांग रहा है।

तेजस्वी यादव ने कहा कि लोकतंत्र और संविधान के साथ खिलवाड़ हो रहा है। आप सबको पता होगा कि चुनाव आयोग ने अचानक से विशेष गहन पुनरीक्षण की घोषणा की है। इसका यह मतलब है कि फरवरी माह में जो वोट लिस्ट पब्लिश हुआ था। अब पूरे आठ करोड़ बिहारवासियों का वोटर लिस्ट साइड कर दिया गया। अब नए सिरे से वोटर लिस्ट बनाए जाएंगे। सवाल यह उठता है कि चुनाव से दो महीने पहले आप यह काम क्यों कर रहे हैं? अब क्या यह संभव है कि आठ करोड़ लोगों का 25 दिनों के अंदर आप वोटर्स बना लें। डोर टू डोर जाएंगे। यही नहीं ऐसे ऐसे कागजात मांगे गए हैं तो गरीबों के पास नहीं हैं।
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22 साल के बाद विशेष गहन पुनरीक्षण की जरूरत क्यों
तेजस्वी यादव ने कहा कि पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार डरे हुए हैं। बिहार के हाल को देखते हुए सीएम नीतीश कुमार दिल्ली जाते हैं और वह चाहते हैं कि गरीबों का नाम वोटर लिस्ट से हट जाएं। यानी गरीबों को वोट के अधिकार से वंचित करवाना चाहते हैं। लालू यादव हमेशा कहते हैं वोट का राज मतलब छोट का राज। लेकिन, मोदी और नीतीश गरीबों और वंचितों के अधिकार को छीनना चाहते हैं। अब सवाल यह उठता है कि 22 साल के बाद विशेष गहन पुनरीक्षण की जरूरत क्यों हुई? वह भी केवल बिहार में यह हो रहा है। तेजस्वी यादव ने सवाल पूछा कि जिस गहन पुनरीक्षण में दाे साल लगे थे वह इस बार 25 दिन में कैसे पूरा होगा? इसमें साजिश की बू आ रही है। इसमें नीतीश कुमार का हाथ है।
बिहार में आठ करोड़ योग्य मतदाता हैं
तेजस्वी यादव ने कहा कि मानसून का वक्त चल रहा है। बिहार का 73 फीसदी इलाका बाढ़ से प्रभावित रहता है। अब सवाल उठता है कि लोग अपनी जान बचाएंगे या चुनाव आयोग को अपने कागजात खोज कर देंगे? नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि 90 फीसदी बीएलओ के पास मतदाता सूची भी उपलब्ध नहीं करवाई गई है और इनलोगों से काम शुरू करवा दिया गया है। उन्होंने कहा कि एनडीए वाले पहले गरीबों का मतदाता सूची से नाम काटेंगे। पहचान पत्र नहीं बनाया जाएगा। फिर गरीबों का राशन और पेंशन बंद करेंगे। वंचित तबकों की छात्रवृति भी बंद करने की इनकी योजना है। यह लोग आधार और मनरेगा कार्ड को वैद्य नहीं मान रहे हैं। मैं दावे के साथ कहता हूं कि सौ फीसदी लोगों का आधार कार्ड भी नहीं बना होगा। चुनाव आयोग ने ही कहा था कि वोटर और आधार कार्ड लिंक करें। लेकिन, अब आधार कार्ड को नहीं मान रहे हैं। जब लोकसभा चुनाव उसी मतदाता सूची पर हुआ है तो बिहार विधानसभा चुनाव क्यों नहीं हो सकता? यह अचानक से क्यों खत्म किया जा रहा है। क्या उसी सूची के आधार पर बनी सरकार की वैद्यता पर सवाल नहीं उठता है। तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में आठ करोड़ योग्य मतदाता हैं। इसमें से चार करोड़ छिहत्तर लाख लोगों को अपनी नागरिकता साबित करनी चाहिए। इन्हें तीन समूहों में बांटा जा सकता है। पहले समूह में चार प्रतिशत लोग ऐसे हैं 39 से 40 वर्ष की आयु के हैं। इन्हें अपनी नागरिकता के दस्तावेज देने हैं। दूसरे समूह में 20 से 38 वर्ष के लोग हैं। यह 85 प्रतिशत हैं। इन्हें अपने माता-पिता की नागरिकता को साबित करनी होगी। लगभग 11 प्रतिशत लोग जो 18 से 20 उम्र के हैं, उन्हें अपने अपने माता-पिता और अपनी नागरिकता के दस्तावेज करने होंगे।
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