Bihar Weather: हाड़ कंपाने वाली ठंड से समस्तीपुर बेहाल, तापमान 13.9 डिग्री पर; मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी
Bihar News: समस्तीपुर में कड़ाके की ठंड ने 27 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। अधिकतम 13.9 और न्यूनतम 10.7 डिग्री तापमान दर्ज हुआ। जनजीवन प्रभावित है। मौसम विभाग ने ठंड जारी रहने और किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
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समस्तीपुर जिले में कड़ाके की ठंड ने पिछले 27 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। तापमान में आई भारी गिरावट के कारण अधिकतम और न्यूनतम तापमान के बीच का अंतर मात्र 3 डिग्री सेल्सियस रह गया है। ठंड के चलते लोग घरों में दुबकने को मजबूर हैं और सिर्फ जरूरी कामों के लिए ही बाहर निकल रहे हैं।
कड़ाके की ठंड का असर आम जनजीवन के साथ-साथ बाजारों पर भी साफ नजर आ रहा है। वहीं अलाव की व्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन और नगर निगम की तैयारियां नाकाफी दिखाई दे रही हैं। मौसम विभाग के अनुसार 31 दिसंबर तक ठंड का यह प्रकोप जारी रहने की संभावना है, ऐसे में लोगों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के मौसम विभाग के अनुसार वर्ष 1998 के बाद पहली बार समस्तीपुर में अधिकतम तापमान 13.9 डिग्री और न्यूनतम तापमान 10.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।
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मौसम वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल सत्तार ने बताया कि जिले में हाड़ कंपाने वाली ठंड पड़ रही है और यह स्थिति अगले कुछ दिनों तक बनी रहेगी। तापमान में और गिरावट की भी संभावना है। उन्होंने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत में सक्रिय मौसमी सिस्टम के प्रभाव से तापमान में लगातार गिरावट हो रही है। हवा में नमी की अधिक मात्रा और लगभग 9 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही पछुआ हवाओं के कारण समस्तीपुर समेत उत्तर बिहार के कई जिलों में ठंड बढ़ गई है। जेट हवाओं के प्रभाव से ‘कोल्ड डे’ की स्थिति बनी हुई है।
किसानों के लिए सलाह
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र के नोडल अधिकारी एवं मौसम वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल सत्तार ने किसानों के लिए विशेष सलाह जारी की है। उन्होंने बताया कि टमाटर, मटर और आलू जैसी तापमान-संवेदनशील फसलों पर नमी की कमी के कारण प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। किसानों को सलाह दी गई है कि वे खेतों में पर्याप्त नमी बनाए रखें और सब्जी वाली फसलों में आवश्यकता अनुसार निराई-गुड़ाई एवं सिंचाई करें। अगेती बोई गई मटर की फसल में चूर्णिल फफूंदी (पाउडरी मिल्ड्यू) रोग की निगरानी जरूरी है। इस रोग में पत्तियों, फलों और तनों पर सफेद चूर्ण दिखाई देता है। इसके नियंत्रण के लिए केराथेन दवा 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या सल्फेक्स दवा 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई है।