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बिहार: जीतन राम मांझी बने प्रोटेम स्पीकर, जानें क्या होती हैं शक्तियां

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना Published by: Sneha Baluni Updated Thu, 19 Nov 2020 03:00 PM IST
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Jitan Ram Manjhi sworn in as protem Speaker of state assembly know its powers and why it is needed
प्रोटेम स्पीकर की शपथ लेते जीतन राम मांझी - फोटो : ANI
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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) पार्टी के अध्यक्ष जीतन राम मांझी को गुरुवार को बिहार विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर नियुक्त् किया गया। राज्यपाल फागू चौहान ने राजभवन में मांझी को इस पद की शपथ दिलाई। 

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राज्यपाल सचिवालय से जारी बयान के अनुसार, 'राज्यपाल फागू चौहान ने इमामगंज से विधायक जीतन राम मांझी को विधानसभा के अध्यक्ष पद के कर्तव्यों के निर्वहन हेतु शपथ दिलाई। राज्यपाल ने भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बिहार विधानसभा के सदस्य जीतन राम मांझी को अध्यक्ष का निर्वाचन होने तक 23 से 24 नवंबर तक के लिए अध्यक्ष पद के कर्तव्यों का पालन करने के लिए नियुक्त किया है।'
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प्रोटेम स्पीकर के रूप में मांझी नवनिर्वाचित विधायकों को विधानसभा में सदन की सदस्यता की शपथ दिलाएंगे। गौरतलब है कि मंगलवार को नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार के मंत्रिमंडल की पहली बैठक में नवगठित 17वीं विधानसभा का प्रथम सत्र तथा विधान परिषद का 196 वां सत्र 23 से 27 नवंबर से बुलाने का निर्णय किया गया था।

इसी बैठक दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में राज्यपाल के अभिभाषण के प्रारूप को अनुमोदित करने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत करने को भी मंजूरी दी गई थी। सोमवार को नीतीश कुमार के नेतृत्व में 15 सदस्यीय मंत्रिमंडल ने पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। नीतीश कुमार सातवीं बार मुख्यमंत्री बने हैं। 

क्यों होती है प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति
बता दें कि विधानसभा में बहुमत परीक्षण के लिए प्रदेश के राज्यपाल को संक्षिप्त सत्र बुलाना होता है। इसके लिए प्रोटेम स्पीकर (सामयिक अध्यक्ष) की नियुक्ति करनी होती है। प्रोटेम स्पीकर पर सदन में बहुमत साबित कराने की प्रक्रिया पूरी कराने और नए विधायकों को शपथ दिलाने की दायित्व होता है। इसके बाद, सत्तारूढ़ दल विधानसभा के अध्यक्ष की नियुक्ति करता है।

संविधान के इस अनुच्छेद में है उल्लेख

संविधान का अनुच्छेद 180 (1) राज्यपाल को प्रोटेम स्पीकर (सामयिक अध्यक्ष) नियुक्त करने की शक्ति देता है। यह अनुच्छेद कहता है कि यदि अध्यक्ष की कुर्सी खाली हो जाती है और पद भरने के लिए कोई उपसभापति नहीं होता है, तो कार्यालय के कर्तव्यों को 'विधानसभा के ऐसे सदस्य द्वारा निष्पादित किया जाएगा, जिसे राज्यपाल ने इस प्रयोजन के लिए नियुक्त किया है।'

क्या होता है प्रोटेम स्पीकर
प्रोटेम स्पीकर उन्हें कहा जाता है, जो चुनाव के बाद पहले सत्र में स्थायी अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष का चुनाव होने तक संसद या विधानसभा का संचालन करते हैं। सरल शब्दों में कहें, तो कार्यवाहक और अस्थायी अध्यक्ष ही प्रोटेम स्पीकर होते हैं। लोकसभा अथवा विधानसभाओं में इनका चुनाव बेहद कम समय के लिए होता है।

सामान्यतः सदन के वरिष्ठतम सदस्य को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है। लोकसभा अथवा विधानसभा चुनाव के ठीक बाद अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष के चुनाव से पहले अस्थायी तौर पर वे सदन के संचालन से संबंधित दायित्वों का निर्वहन करते हैं। प्रोटेम स्पीकर तब तक अपने पद पर बने रहते हैं, जब तक सदस्य स्थायी अध्यक्ष का चुनाव न कर लें।

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