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Bihar Election 2025: सहरसा में 2-2 की बराबरी, जमींदारों का किला टूटा और महिला नेत्री की तकदीर फिर फिसली
न्यूज डेस्क, अमर उजाला,सहरसा
Published by: आशुतोष प्रताप सिंह
Updated Sat, 15 Nov 2025 02:57 PM IST
सार
सहरसा सदर सीट महागठबंधन की झोली में गई, जबकि एनडीए ने सिमरी बख्तियारपुर और महिषी पर जीत दर्ज की। सोनबरसा सीट पर जदयू के रत्नेश सादा ने हैट्रिक जीत हासिल की।
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सहरसा में राजनीतिक उठापटक के बीच 2-2 से बराबरी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सहरसा जिले की चार विधानसभा सीटों सहरसा, महिषी, सिमरी बख्तियारपुर और सोनबरसा (SC) की मतगणना पूरी हो गई है और सभी सीटों के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं। वर्ष 2020 के पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए का ज़िले में मजबूत दबदबा था, जहां उसे 4 में से 3 सीटों पर जीत मिली थी और महागठबंधन एक सीट पर सिमट गया था। लेकिन इस बार मुकाबला बराबरी पर रहा और परिणाम 2-2 से टाई हो गया। सहरसा सदर सीट महागठबंधन ने एनडीए से छीन ली, जबकि एनडीए ने महागठबंधन से सिमरी बख्तियारपुर और महिषी सीट निकाल ली। सोनबरसा सीट एनडीए ने एक बार फिर अपने पास बरकरार रखी।
सहरसा विधानसभा
इस सीट पर एनडीए ने बीजेपी के कद्दावर नेता एवं पूर्व मंत्री आलोक रंजन को मैदान में उतारा था। महागठबंधन ने स्थानीय नेताओं को दरकिनार करते हुए सीट आईआईपी के आई.पी. गुप्ता को दे दी। वहीं जनसुराज ने बाहरी बनाम स्थानीय की हवा के बीच किशोर कुमार मुन्ना को टिकट दिया, जिन्होंने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया। अंत में आई.पी. गुप्ता ने आलोक रंजन को मामूली अंतर से हराते हुए जीत दर्ज की।
यह सीट वर्षों से जमींदार परिवार का गढ़ मानी जाती रही है, लेकिन इस बार इस पर एनडीए के लोजपा (रामविलास) ने कब्जा जमा लिया। लोजपा ने बाहरी प्रत्याशी सहरसा निवासी संजय कुमार सिंह को उम्मीदवार बना सबको चौंका दिया। आरजेडी प्रत्याशी एवं निवर्तमान विधायक यूसुफ सलाउद्दीन ने मुकाबले को हल्के में लिया, जिसका नतीजा उन्हें हार के रूप में मिला। जनता ने जमींदारी राजनीति को स्पष्ट संदेश दिया कि वोटर अब विकास आधारित राजनीति को प्राथमिकता दे रहे हैं।
चुनाव घोषणा के बाद से यह सीट चर्चा में रही क्योंकि पूर्व बीडीओ गौतम कृष्ण तीसरी बार किस्मत आजमा रहे थे। 2020 के चुनाव की तरह इस बार भी मुकाबला गौतम कृष्ण (आरजेडी) और निवर्तमान विधायक गुजेश्वर साह (जदयू) के बीच रहा। हालांकि सहानुभूति की लहर गौतम कृष्ण के पक्ष में दिख रही थी, लेकिन परिणाम बेहद चौंकाने वाले आए और जीत का अंतर बहुत कम रहा।
सोनबरसा विधानसभा (SC)
जिले की यह सीट हमेशा से हॉट सीट मानी जाती है। जदयू ने निवर्तमान विधायक एवं मद्य निषेध मंत्री रत्नेश सादा को फिर से मैदान में उतारा, जिन्होंने तीसरी बार जीतकर हैट्रिक पूरी की और दलित-महादलित नेतृत्व में अपनी पकड़ मजबूत कर दी। वहीं संघर्षरत महिला नेत्री सरिता पासवान का भाग्य इस बार भी साथ नहीं दे सका। उन्होंने अंतिम समय में लोजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थामा था, लेकिन बदलाव के बावजूद जीत नहीं मिली।
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सहरसा विधानसभा
इस सीट पर एनडीए ने बीजेपी के कद्दावर नेता एवं पूर्व मंत्री आलोक रंजन को मैदान में उतारा था। महागठबंधन ने स्थानीय नेताओं को दरकिनार करते हुए सीट आईआईपी के आई.पी. गुप्ता को दे दी। वहीं जनसुराज ने बाहरी बनाम स्थानीय की हवा के बीच किशोर कुमार मुन्ना को टिकट दिया, जिन्होंने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया। अंत में आई.पी. गुप्ता ने आलोक रंजन को मामूली अंतर से हराते हुए जीत दर्ज की।
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- आई.पी. गुप्ता (IIP): 115036
- आलोक रंजन (BJP): 112998
- किशोर कुमार (जनसुराज): 12786
- जीत का अंतर: 2038 मत
यह सीट वर्षों से जमींदार परिवार का गढ़ मानी जाती रही है, लेकिन इस बार इस पर एनडीए के लोजपा (रामविलास) ने कब्जा जमा लिया। लोजपा ने बाहरी प्रत्याशी सहरसा निवासी संजय कुमार सिंह को उम्मीदवार बना सबको चौंका दिया। आरजेडी प्रत्याशी एवं निवर्तमान विधायक यूसुफ सलाउद्दीन ने मुकाबले को हल्के में लिया, जिसका नतीजा उन्हें हार के रूप में मिला। जनता ने जमींदारी राजनीति को स्पष्ट संदेश दिया कि वोटर अब विकास आधारित राजनीति को प्राथमिकता दे रहे हैं।
- संजय कुमार सिंह (LJP-R): 109699
- यूसुफ सलाउद्दीन (RJD): 101769
- जीत का अंतर: 7930 मत
चुनाव घोषणा के बाद से यह सीट चर्चा में रही क्योंकि पूर्व बीडीओ गौतम कृष्ण तीसरी बार किस्मत आजमा रहे थे। 2020 के चुनाव की तरह इस बार भी मुकाबला गौतम कृष्ण (आरजेडी) और निवर्तमान विधायक गुजेश्वर साह (जदयू) के बीच रहा। हालांकि सहानुभूति की लहर गौतम कृष्ण के पक्ष में दिख रही थी, लेकिन परिणाम बेहद चौंकाने वाले आए और जीत का अंतर बहुत कम रहा।
- गौतम कृष्ण (RJD): 93752
- गुजेश्वर साह (JDU): 90012
- जीत का अंतर: 3740 मत
सोनबरसा विधानसभा (SC)
जिले की यह सीट हमेशा से हॉट सीट मानी जाती है। जदयू ने निवर्तमान विधायक एवं मद्य निषेध मंत्री रत्नेश सादा को फिर से मैदान में उतारा, जिन्होंने तीसरी बार जीतकर हैट्रिक पूरी की और दलित-महादलित नेतृत्व में अपनी पकड़ मजबूत कर दी। वहीं संघर्षरत महिला नेत्री सरिता पासवान का भाग्य इस बार भी साथ नहीं दे सका। उन्होंने अंतिम समय में लोजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थामा था, लेकिन बदलाव के बावजूद जीत नहीं मिली।
- रत्नेश सादा (JDU): 97833
- सरिता पासवान (Congress): 84379
- सतेन्द्र कुमार (जनसुराज): 5655
- जीत का अंतर: 13454 मत