सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Bihar ›   Munger News ›   Sitacharan Temple of Munger: Center of faith and tradition of Chhath festival

Bihar News: मुंगेर का सीताचरण मंदिर, जहां माता सीता के चरणों से जुड़ी है छठ की महापर्व की कहानी!

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंगेर Published by: आशुतोष प्रताप सिंह Updated Thu, 23 Oct 2025 09:28 AM IST
विज्ञापन
सार

मुंगेर जिले का सीताचरण मंदिर धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है। मान्यता है कि माता सीता ने लंका विजय के बाद यहीं पहली बार छठ व्रत किया था। गंगा के बीच स्थित शिलाखंड पर माता सीता के चार चरणों के चिन्ह हैं, जिन्हें आज भी सुरक्षित माना जाता है।

Sitacharan Temple of Munger: Center of faith and tradition of Chhath festival
मुंगेर का सीताचरण मंदिर - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

मुंगेर जिले का सीताचरण मंदिर लोक आस्था और धार्मिक परंपरा का प्रमुख केंद्र है। माना जाता है कि माता सीता ने लंका विजय के बाद मुंगेर में पहली बार छठ व्रत किया था, और यहीं से इस महापर्व की शुरुआत हुई। यही कारण है कि मुंगेर में आज भी छठ पर्व विशेष श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाया जाता है।
Trending Videos


गंगा के बीच स्थित शिलाखंड पर चार चरण चिन्ह अंकित हैं—दो पूरबमुखी और दो पश्चिममुखी—जिन्हें माता सीता के चरण माना जाता है। प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. ग्रिसयन ने इन चरणों का मिलान जनकपुरधाम में स्थित सीता चरणों से किया था और यह पूरी तरह समान पाए गए। इस तथ्य का उल्लेख 1926 में प्रकाशित मुंगेर गजेटियर में भी किया गया है।
विज्ञापन
विज्ञापन


लोकमान्यता के अनुसार, रावण वध के बाद भगवान श्रीराम और माता सीता मुंगेर आए थे। ऋषि मुद्गल के आश्रम में श्रीराम ने ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए यज्ञ किया। चूंकि महिलाओं को यज्ञ में भाग लेने की अनुमति नहीं थी, इसलिए माता सीता को आश्रम में रहने का निर्देश दिया गया। ऋषि मुद्गल ने माता सीता को सूर्योपासना (छठ व्रत) करने की सलाह दी। उन्होंने आश्रम में रहकर चार दिनों तक उदयाचल और अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। जिन स्थानों पर माता सीता ने अर्घ्य दिया, वहाँ आज भी उनके चरणों के निशान विद्यमान हैं।

पढ़ें; कुढ़नी में मंत्री केदार गुप्ता को बागी प्रत्याशी के समर्थकों का विरोध, वायरल हुआ वीडियो

कष्टहरणी गंगा घाट पर भगवान श्रीराम ने जहां सूर्यदेव को अर्घ्य दिया था, वहां भी उनके पदचिह्न सुरक्षित हैं। बाद में जिस शिलाखंड पर सीता के चरण अंकित हैं, उसे मुनि पत्थर कहा गया। यह स्थल पहले ऋषि मुद्गल का आश्रम था और इसी से “मुद्गलपुर” नाम पड़ा, जो कालांतर में मुंगेर कहलाया।


गंगा की प्रचंड धाराओं और बार-बार आने वाली बाढ़ के बावजूद यह शिलाखंड आज भी अक्षुण्ण है। वर्ष 1983-84 में श्रद्धालु राम बाबा के प्रयास से यहाँ सीताचरण मंदिर का निर्माण कराया गया। इसके बाद से यह स्थान लोक आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया। हर वर्ष छठ पर्व पर हजारों श्रद्धालु बबुआ घाट से नाव द्वारा सीताचरण मंदिर पहुँचकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed