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Bihar: रेल कनेक्टिविटी को मिलेगी रफ्तार, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं.-झाझा के बीच होगा दो नई लाइनों का निर्माण
न्यूज डेस्क, अमर उजाला,हाजीपुर
Published by: आशुतोष प्रताप सिंह
Updated Thu, 04 Dec 2025 07:35 PM IST
सार
पूर्व मध्य रेल पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं.-झाझा मार्ग पर तीसरी और चौथी रेल लाइन का निर्माण कर रेल यातायात और मालगाड़ी संचालन को सुगम बनाने जा रहा है।
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(प्रतीकात्मक फोटो)
- फोटो : Istock
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विस्तार
पूर्व मध्य रेल रेल यातायात और मालगाड़ी संचालन को सुगम बनाने के लिए अपनी आधारभूत संरचना को बढ़ा रहा है। इसी कड़ी में पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं.-झाझा मार्ग पर तीसरी और चौथी रेल लाइन का निर्माण किया जाएगा। यह परियोजना न केवल औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देगी, बल्कि विकसित बिहार के सपनों को भी साकार करेगी। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सरस्वती चन्द्र ने दी इस बात की जानकारी।
इस परियोजना की कुल लागत 17 हजार करोड़ रुपये है और यह लगभग 400 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का निर्माण शामिल करेगी। तीसरी और चौथी लाइन का निर्माण अगले कुछ महीनों में चरणबद्ध तरीके से शुरू होगा। इसे कई हिस्सों में विभाजित किया गया है और रेलवे बोर्ड द्वारा चरणबद्ध स्वीकृति प्रदान की जा रही है। निर्माण कार्य को सुगमता से पूरा करने के लिए इसे पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं.-दानापुर, दानापुर-फतुहा, फतुहा-बख्तियारपुर, बख्तियारपुर-पुनारख, पुनारख-किऊल तथा किऊल-झाझा जैसे छोटे-छोटे रेलखंडों में बांटा गया है।
प्रथम चरण में लगभग 931 करोड़ रुपये की लागत से बख्तियारपुर से फतुहा (24 किमी) तथा 392 करोड़ रुपये की लागत से बख्तियारपुर से पुनारख (30 किमी) की स्वीकृति रेलवे बोर्ड द्वारा प्रदान की जा चुकी है। बख्तियारपुर-पुनारख रेलखंड की निविदा प्रक्रिया शीघ्र पूरी कर ली जाएगी और इसके बाद भूमि अधिग्रहण एवं निर्माण कार्य शुरू होगा। पुनारख से किऊल (2514 करोड़ रुपये) तथा किऊल-झाझा (903 करोड़ रुपये) रेलखंड की स्वीकृति प्रक्रिया अंतिम चरण में है, जबकि शेष रेलखंडों की स्वीकृति विभिन्न स्तरों पर प्रक्रियाधीन है।
पढे़ं: घर में अकेले थे दोनों…शाम पंखे से झूलते मिले नाबालिग प्रेमी-युगल; पुलिस गुत्थी सुलझाने में जुटी
पटना के इर्द-गिर्द भूमि की कमी के कारण दानापुर से पटना के मध्य 2 स्टेबलिंग लाइनों को हटाकर उनकी जगह तीसरी और चौथी लाइन बनाई जाएगी। इसी तरह पटना और पटना सिटी के मध्य जगह की कमी के कारण अप और डाउन दिशा के लिए एक अतिरिक्त लाइन रिवर्सेबल तरीके से बनाई जाएगी।
पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं.-झाझा रेल लाइन का निर्माण 1860-70 के दशक में हुआ था और बाद में इसे दोहरीकृत किया गया। तब से अब तक जनसंख्या वृद्धि और औद्योगिकीकरण के कारण यात्री और मालगाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ी है, जिससे ट्रैक की क्षमता से अधिक संचालन होने के कारण रख-रखाव और समयपालन में कठिनाइयाँ पैदा हुईं।
इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए ट्रैकों की क्षमता बढ़ाना आवश्यक था। इसी उद्देश्य से मालगाड़ियों के संचालन हेतु पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और तीसरी एवं चौथी लाइन का निर्माण किया जा रहा है। इन नई लाइनों से मालगाड़ियों और यात्री गाड़ियों का संचालन सुगम होगा और अतिरिक्त ट्रेनों के परिचालन की सुविधा भी मिलेगी। इससे रेल कनेक्टिविटी मजबूत होगी और राज्य में औद्योगिकीकरण की गति बढ़ेगी।
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इस परियोजना की कुल लागत 17 हजार करोड़ रुपये है और यह लगभग 400 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का निर्माण शामिल करेगी। तीसरी और चौथी लाइन का निर्माण अगले कुछ महीनों में चरणबद्ध तरीके से शुरू होगा। इसे कई हिस्सों में विभाजित किया गया है और रेलवे बोर्ड द्वारा चरणबद्ध स्वीकृति प्रदान की जा रही है। निर्माण कार्य को सुगमता से पूरा करने के लिए इसे पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं.-दानापुर, दानापुर-फतुहा, फतुहा-बख्तियारपुर, बख्तियारपुर-पुनारख, पुनारख-किऊल तथा किऊल-झाझा जैसे छोटे-छोटे रेलखंडों में बांटा गया है।
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प्रथम चरण में लगभग 931 करोड़ रुपये की लागत से बख्तियारपुर से फतुहा (24 किमी) तथा 392 करोड़ रुपये की लागत से बख्तियारपुर से पुनारख (30 किमी) की स्वीकृति रेलवे बोर्ड द्वारा प्रदान की जा चुकी है। बख्तियारपुर-पुनारख रेलखंड की निविदा प्रक्रिया शीघ्र पूरी कर ली जाएगी और इसके बाद भूमि अधिग्रहण एवं निर्माण कार्य शुरू होगा। पुनारख से किऊल (2514 करोड़ रुपये) तथा किऊल-झाझा (903 करोड़ रुपये) रेलखंड की स्वीकृति प्रक्रिया अंतिम चरण में है, जबकि शेष रेलखंडों की स्वीकृति विभिन्न स्तरों पर प्रक्रियाधीन है।
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पटना के इर्द-गिर्द भूमि की कमी के कारण दानापुर से पटना के मध्य 2 स्टेबलिंग लाइनों को हटाकर उनकी जगह तीसरी और चौथी लाइन बनाई जाएगी। इसी तरह पटना और पटना सिटी के मध्य जगह की कमी के कारण अप और डाउन दिशा के लिए एक अतिरिक्त लाइन रिवर्सेबल तरीके से बनाई जाएगी।
पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं.-झाझा रेल लाइन का निर्माण 1860-70 के दशक में हुआ था और बाद में इसे दोहरीकृत किया गया। तब से अब तक जनसंख्या वृद्धि और औद्योगिकीकरण के कारण यात्री और मालगाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ी है, जिससे ट्रैक की क्षमता से अधिक संचालन होने के कारण रख-रखाव और समयपालन में कठिनाइयाँ पैदा हुईं।
इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए ट्रैकों की क्षमता बढ़ाना आवश्यक था। इसी उद्देश्य से मालगाड़ियों के संचालन हेतु पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और तीसरी एवं चौथी लाइन का निर्माण किया जा रहा है। इन नई लाइनों से मालगाड़ियों और यात्री गाड़ियों का संचालन सुगम होगा और अतिरिक्त ट्रेनों के परिचालन की सुविधा भी मिलेगी। इससे रेल कनेक्टिविटी मजबूत होगी और राज्य में औद्योगिकीकरण की गति बढ़ेगी।