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Bihar Election 2025: सीतामढ़ी में सत्ता का संग्राम, अपराध से जलजमाव तक नेताओं की जुबानी जंग
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीतामढ़ी
Published by: आशुतोष प्रताप सिंह
Updated Sun, 14 Sep 2025 08:29 AM IST
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सार
अमर उजाला के “सत्ता का संग्राम 2025” कार्यक्रम के तहत सीतामढ़ी में आयोजित खुली बहस में अपराध, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, जलजमाव और अधूरे वादे जैसे मुद्दों पर नेताओं के बीच तीखी बहस हुई।

सीतामढ़ी में सत्ता का संग्राम 2025
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के बीच अमर उजाला के लोकप्रिय कार्यक्रम “सत्ता का संग्राम 2025” के तहत शनिवार को सीतामढ़ी विधानसभा क्षेत्र में खुली बहस आयोजित हुई। इस बहस में जिले की जमीनी समस्याओं, विकास योजनाओं की प्रगति और राजनीतिक वादों की हकीकत पर जमकर चर्चा हुई। दिलचस्प यह रहा कि सीतामढ़ी विधायक मिथलेश कुमार को आमंत्रण भेजा गया था, लेकिन वे मंच पर मौजूद नहीं हुए। वर्चुअल डिबेट में भाजपा जिलाध्यक्ष मनीष गुप्ता, जदयू जिलाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह कुशवाहा, राजद जिलाध्यक्ष व पूर्व विधायक सुनील कुशवाहा, कांग्रेस जिलाध्यक्ष रकटू प्रसाद, जनसुराज नेता जियाउद्दीन ख़ां और अमर उजाला के प्रतिनिधि भरत चौबे शामिल रहे।
अपराध पर सियासी घमासान
बहस की शुरुआत जिले में लगातार बढ़ रहे अपराध से हुई। राजद जिलाध्यक्ष सुनील कुशवाहा ने आरोप लगाया कि सीतामढ़ी में रोज हत्या और गंभीर घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा, “सत्ता पक्ष का कोई नेता पीड़ित परिवारों तक नहीं पहुंचता। लोग घर से निकलने में डरते हैं। सरकार पूरी तरह नाकाम है।” जवाब में भाजपा जिलाध्यक्ष मनीष गुप्ता ने 15 साल पहले के “जंगलराज” का हवाला दिया और कहा, “आज अपराधियों पर कुर्की जब्ती होती है और वे जेल पहुंचते हैं। फर्क साफ दिखता है।” नेपाल सीमा से अपराधियों के भागने का मुद्दा भी उठा। विपक्ष ने कहा कि जब राज्य और केंद्र दोनों जगह डबल इंजन की सरकार है तो सीमा पर सुरक्षा क्यों नहीं है।
स्वास्थ्य सेवाओं पर दावे और कटाक्ष
बहस का अगला मुद्दा स्वास्थ्य रहा। जदयू जिलाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह कुशवाहा ने कहा कि सीतामढ़ी में मेडिकल कॉलेज का निर्माण हो रहा है और अस्पतालों की व्यवस्था पहले से बेहतर है। भाजपा जिलाध्यक्ष मनीष गुप्ता ने कहा, “पूर्व की सरकारों में अस्पतालों में इंसानों की जगह कुत्ते सोते थे, आज स्थिति बदली है।” इस पर विपक्ष ने कटाक्ष किया कि मेडिकल कॉलेज का काम सिर्फ चुनावी नारा बनकर रह गया है, जनता को अभी कोई ठोस लाभ नहीं मिला।
जलजमाव पर कांग्रेस का हमला
कांग्रेस जिलाध्यक्ष रकटू प्रसाद ने शहर में जलजमाव की समस्या पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि नगर निगम बनने के बावजूद लोग गंदे पानी में घुटनों तक चलने को मजबूर हैं। ड्रेनेज व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है। “हर बरसात में शहर त्राहिमाम करता है और सरकार नाकाम साबित होती है।”
जनता का विकल्प और जनसुराज की चुनौती
जनसुराज नेता जियाउद्दीन ख़ां ने कहा कि एनडीए और महागठबंधन दोनों जनता की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाए हैं। “पहले जनता के पास विकल्प नहीं था, अब है। इस बार जनता सबक सिखाएगी।”
कार्यक्रम में विधायक मिथलेश कुमार की अनुपस्थिति ने माहौल को और गरमा दिया। अमर उजाला के प्रतिनिधि भरत चौबे ने जनता की नाराजगी का जिक्र करते हुए कहा कि विधायक पांच साल तक जनता के बीच नहीं दिखे। बीमारी का बहाना बनाकर दो साल तक गायब रहे और फिर तलवार बांटने लगे। जनता का आरोप है कि उनसे मिलना मुश्किल है, फोन पर जवाब तक नहीं मिलता। यही वजह है कि अगर वे इस बार वोट मांगने निकलेंगे तो जनता उन्हें खदेड़ सकती है।
अधूरे वादे और चुनावी सवाल
बहस में अधूरे वादों पर भी चर्चा हुई। विधायक मिथलेश कुमार ने वादा किया था कि मेहसौल रेलवे ओवरब्रिज अगर समय पर पूरा नहीं हुआ तो वे नामांकन तक नहीं देंगे। लेकिन पुल का काम अभी अधूरा है और पूरा होने में कम से कम एक साल लगेगा।भाजपा नेता मनीष गुप्ता ने सफाई दी कि निर्माण कार्य कॉन्ट्रेक्टर और इंजीनियर की जिम्मेदारी है और यह अगले दो तीन महीने में पूरा हो जाएगा। इसके अलावा लखनदेई नदी नाले में तब्दील हो चुकी है। उसकी सफाई और उड़ाही का वादा अधूरा है। जलजमाव की समस्या जस की तस बनी हुई है। यातायात जाम, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और मेडिकल कॉलेज निर्माण में देरी ने जनता की नाराजगी और बढ़ा दी है।

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अपराध पर सियासी घमासान
बहस की शुरुआत जिले में लगातार बढ़ रहे अपराध से हुई। राजद जिलाध्यक्ष सुनील कुशवाहा ने आरोप लगाया कि सीतामढ़ी में रोज हत्या और गंभीर घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा, “सत्ता पक्ष का कोई नेता पीड़ित परिवारों तक नहीं पहुंचता। लोग घर से निकलने में डरते हैं। सरकार पूरी तरह नाकाम है।” जवाब में भाजपा जिलाध्यक्ष मनीष गुप्ता ने 15 साल पहले के “जंगलराज” का हवाला दिया और कहा, “आज अपराधियों पर कुर्की जब्ती होती है और वे जेल पहुंचते हैं। फर्क साफ दिखता है।” नेपाल सीमा से अपराधियों के भागने का मुद्दा भी उठा। विपक्ष ने कहा कि जब राज्य और केंद्र दोनों जगह डबल इंजन की सरकार है तो सीमा पर सुरक्षा क्यों नहीं है।
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स्वास्थ्य सेवाओं पर दावे और कटाक्ष
बहस का अगला मुद्दा स्वास्थ्य रहा। जदयू जिलाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह कुशवाहा ने कहा कि सीतामढ़ी में मेडिकल कॉलेज का निर्माण हो रहा है और अस्पतालों की व्यवस्था पहले से बेहतर है। भाजपा जिलाध्यक्ष मनीष गुप्ता ने कहा, “पूर्व की सरकारों में अस्पतालों में इंसानों की जगह कुत्ते सोते थे, आज स्थिति बदली है।” इस पर विपक्ष ने कटाक्ष किया कि मेडिकल कॉलेज का काम सिर्फ चुनावी नारा बनकर रह गया है, जनता को अभी कोई ठोस लाभ नहीं मिला।
जलजमाव पर कांग्रेस का हमला
कांग्रेस जिलाध्यक्ष रकटू प्रसाद ने शहर में जलजमाव की समस्या पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि नगर निगम बनने के बावजूद लोग गंदे पानी में घुटनों तक चलने को मजबूर हैं। ड्रेनेज व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है। “हर बरसात में शहर त्राहिमाम करता है और सरकार नाकाम साबित होती है।”
जनता का विकल्प और जनसुराज की चुनौती
जनसुराज नेता जियाउद्दीन ख़ां ने कहा कि एनडीए और महागठबंधन दोनों जनता की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाए हैं। “पहले जनता के पास विकल्प नहीं था, अब है। इस बार जनता सबक सिखाएगी।”
ये भी पढ़ें- Bihar News : वैशाली में सोनपुर पुलिस की बड़ी कार्रवाई, 10 अपराधी गिरफ्तार, लूट और चोरी का सामान बरामद
विधायक की गैरमौजूदगी और जनता का गुस्साकार्यक्रम में विधायक मिथलेश कुमार की अनुपस्थिति ने माहौल को और गरमा दिया। अमर उजाला के प्रतिनिधि भरत चौबे ने जनता की नाराजगी का जिक्र करते हुए कहा कि विधायक पांच साल तक जनता के बीच नहीं दिखे। बीमारी का बहाना बनाकर दो साल तक गायब रहे और फिर तलवार बांटने लगे। जनता का आरोप है कि उनसे मिलना मुश्किल है, फोन पर जवाब तक नहीं मिलता। यही वजह है कि अगर वे इस बार वोट मांगने निकलेंगे तो जनता उन्हें खदेड़ सकती है।
अधूरे वादे और चुनावी सवाल
बहस में अधूरे वादों पर भी चर्चा हुई। विधायक मिथलेश कुमार ने वादा किया था कि मेहसौल रेलवे ओवरब्रिज अगर समय पर पूरा नहीं हुआ तो वे नामांकन तक नहीं देंगे। लेकिन पुल का काम अभी अधूरा है और पूरा होने में कम से कम एक साल लगेगा।भाजपा नेता मनीष गुप्ता ने सफाई दी कि निर्माण कार्य कॉन्ट्रेक्टर और इंजीनियर की जिम्मेदारी है और यह अगले दो तीन महीने में पूरा हो जाएगा। इसके अलावा लखनदेई नदी नाले में तब्दील हो चुकी है। उसकी सफाई और उड़ाही का वादा अधूरा है। जलजमाव की समस्या जस की तस बनी हुई है। यातायात जाम, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और मेडिकल कॉलेज निर्माण में देरी ने जनता की नाराजगी और बढ़ा दी है।
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