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Asia Cup Hockey 2025: फुल्टन की पलटन ने पलट दी एशिया की बादशाहत, कोरिया को हराकर भारत बना विजेता

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, राजगीर Published by: शबाहत हुसैन Updated Sun, 07 Sep 2025 10:32 PM IST
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सार

Aisa Cup Hockey 2025: राजगीर का स्टेडियम इस मौके पर दुल्हन की तरह सजा हुआ था। रंग-बिरंगे झंडे, झिलमिलाती रोशनी और गूंजते राष्ट्रगान के बीच दर्शकों का सैलाब मैदान और खड़े स्टैंड्स तक फैला हुआ था। इस ऐतिहासिक आयोजन ने भारतीय हॉकी के महत्व और दर्शकों की उत्सुकता का अद्भुत नजारा पेश किया।

Asia Cup Hockey 2025: India beat Korea 4–1 in the final news in hindi
योगेश कुमार - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राजगीर की ऐतिहासिक धरती ने भारतीय हॉकी के जोश और जज्बे का गवाह बना। एशिया कप 2025 के फाइनल में भारतीय टीम ने मौजूदा चैंपियन कोरिया को 4–1 से हराकर न केवल चौथी बार एशियाई महाद्वीप पर अपना वर्चस्व स्थापित किया, बल्कि अगले हॉकी विश्व कप के लिए अपनी जगह भी सुनिश्चित कर ली। यह जीत सिर्फ़ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि लाखों भारतीयों की उम्मीदों, गर्व और जुनून का प्रतीक है। मैदान पर दिखाई गई सामूहिक रणनीति, धैर्य और अटूट जज़्बा यह साबित करते हैं कि फुल्टन की पलटन ने एशिया की बादशाहत भारत के नाम कर दी।
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राजगीर का स्टेडियम इस मौके पर दुल्हन की तरह सजा हुआ था। रंग-बिरंगे झंडे, झिलमिलाती रोशनी और गूँजते राष्ट्रगान के बीच दर्शकों का सैलाब मैदान और खड़े स्टैंड्स तक फैला हुआ था। इस ऐतिहासिक आयोजन ने भारतीय हॉकी के महत्व और दर्शकों की उत्सुकता का अद्भुत नजारा पेश किया। फाइनल मैच की शुरुआत से ही भारतीय खिलाड़ी अपने जोश और आत्मविश्वास के साथ मैदान पर उतरे।
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शुरुआती पलों में सुखजीत सिंह ने पावरफुल रिवर्स टोमाहोक से गोल कर कोरिया को चौंका दिया। इससे टीम को न सिर्फ बढ़त मिली बल्कि विपक्ष पर दबाव भी बन गया। कोरिया ने मैच को धीमा करने की रणनीति अपनाई, लेकिन भारत की आक्रामकता और सामूहिक खेल ने उन्हें जल्दी ही पीछे धकेल दिया। भारत को एक पेनल्टी स्ट्रोक भी मिला, लेकिन जुगराज गोल करने में चूक गए। इसके बावजूद अभिषेक, सुखजीत और दिलप्रीत सिंह ने लगातार हमले किए, और दूसरे क्वार्टर में दिलप्रीत ने शानदार गोल दागकर स्कोर 2–0 कर दिया।

पढ़ें: भारत ने आठ साल बाद जीता खिताब, कोरिया को दी करारी शिकस्त; विश्व कप के लिए किया क्वालिफाई

भारतीय मिडफील्ड और डिफेंस ने पूरे मैच में अद्भुत संतुलन दिखाया। मनप्रीत सिंह और विवेक सागर ने डीप डिफेंडर की भूमिका निभाते हुए विपक्ष के मूव को बार-बार तोड़ा। तीसरे क्वार्टर में कोरिया ने दो पेनल्टी कॉर्नर हासिल किए, लेकिन अमित रोहिदास और विवेक सागर के शानदार बचाव ने भारत की बढ़त को बनाए रखा। कप्तान हरमनप्रीत सिंह के सटीक पास पर दिलप्रीत ने एक और गोल दागा, जिससे भारत का दबाव और बढ़ गया।

सबसे बड़े नायक बने अभिषेक
कोरिया ने पारंपरिक क्रॉस पास गेम और पेनल्टी कॉर्नर वेरिएशन से वापसी की कोशिश की, और एक गोल भी दागा। लेकिन चौथे क्वार्टर में भारत ने “अटैक इज़ द बेस्ट डिफेंस” की रणनीति अपनाकर निर्णायक बढ़त बनाई। पेनल्टी कॉर्नर पर अमित रोहिदास का गोल भारत को 4–1 की निर्णायक बढ़त दिलाने में निर्णायक रहा।
भारतीय टीम की इस जीत में कई खिलाड़ियों ने अपने जुनून और जज़्बे से अहम भूमिका निभाई। सबसे बड़ा नायक बने अभिषेक, जिन्हें “हीरो ऑफ द मैच” का खिताब मिला, जबकि दिलप्रीत सिंह ने दो शानदार गोल कर फाइनल का रुख तय किया और मैन ऑफ द मैच का खिताब अपने नाम किया।

गोलकीपर सूरज करकरे और कृष्ण बहादुर पाठक की जोड़ी
शुरुआती गोल करने वाले सुखजीत सिंह ने टीम को आत्मविश्वास दिया, जबकि अमित रोहिदास ने डिफेंस और अटैक दोनों में अपनी भूमिका निभाकर बढ़त पक्की की। कप्तान हरमनप्रीत सिंह की रणनीतिक पासिंग और नेतृत्व ने पूरे खेल को दिशा दी। गोलकीपर सूरज करकरे और कृष्ण बहादुर पाठक की जोड़ी ने विपक्ष के हमलों को बार-बार नाकाम किया। पूरे टूर्नामेंट में उम्दा प्रदर्शन करने वाले विवेक सागर प्रसाद को उनकी आक्रामकता और मिडफील्ड पर पकड़ के लिए याद किया जाएगा। इन खिलाड़ियों की सामूहिक मेहनत, जूनून और जज़्बे ने भारत को चौथी बार एशिया कप का ताज दिलाया।

मलेशिया को हरा कर फाइनल तक का सफर पूरा किया
भारत पूरे टूर्नामेंट में अपराजित रहा और कई रोमांचक पल देखने को मिले। में भारत ने चीन, जापान और कजाकिस्तान को हराकर सुपर 4 चरण में स्थान बनाया जहाँ कोरिया से बराबरी खेल चीन और मलेशिया को हरा कर फाइनल तक का सफर पूरा किया। कोरिया शुरुआती चरण में संघर्षरत दिख रहा था, लेकिन फाइनल तक पहुंचकर उसने सबको चौंका दिया। भारत ने चौथी बार एशिया कप का ताज अपने नाम किया (2003, 2007, 2017, 2025) और अगले हॉकी विश्व कप के लिए क्वालीफाई भी किया। टीम इंडिया ने इस टूर्नामेंट में 22 गोल कर अपराजित रहते हुए जीत हासिल की, जिससे उसकी रणनीतिक श्रेष्ठता साफ झलकती है।

उम्मीदों और अथक मेहनत का प्रतीक
यह जीत भारतीय हॉकी के लिए केवल एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि सपनों, उम्मीदों और अथक मेहनत का प्रतीक है। यह दर्शाती है कि अनुशासन, जुनून, आत्मविश्वास और टीम वर्क के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। कोरिया के खिलाफ फाइनल ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत न केवल एशिया का विजेता है, बल्कि अब विश्व के बड़े मंचों पर भी अपनी पहचान बनाने की क्षमता रखता है। इस ऐतिहासिक विजय ने हर भारतीय के दिल में गर्व और प्रेरणा की नई लहर दौड़ा दी है और यह संदेश दिया कि मेहनत और जज़्बे से हॉकी फिर से अपने स्वर्णिम युग में लौट सकती है।
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