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Bihar Election: राजद के आरोप का चुनाव आयोग ने दिया जवाब, इन तर्कों के जरिए कहा- EVM से छेड़छाड़ संभव नहीं
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Published by: आदित्य आनंद
Updated Tue, 18 Nov 2025 02:34 PM IST
सार
चुनाव आयोग ने कहा कि राजद नेता के आरोप पूरी तरह से बेबुनिया हैं। उन्होंने बिना किसी प्रमाण के ही यह आरोप लगा दिया है। चुनाव आयोग ने कई तर्क भी दिए और कहा कि किसी भी हाल में ईवीएम से छेड़छाड़ संभव नहीं है।
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निर्वाचन आयोग पटना
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने आरोप लगाया था कि 25 हजार वोट ईवीएम में पहले से ही लोड ही थे। इसलिए महागठबंधन को इतनी कम सीटें आई हैं। राजद नेता के इस आरोप का चुनाव आयोग ने खंडन किया है। कहा कि जगदानंद सिंह का यह आरोप कि हर ईवीएम में “25,000 प्री-लोडेड वोट” डाले गए थे, न सिर्फ तकनीकी रूप से असंभव है, बल्कि चुनावी प्रक्रिया की बुनियादी समझ के भी उलट है। चुनाव आयोग ने कहा कि राजद अपने चुनाव और पोलिंग एजेंटों द्वारा हस्ताक्षरित आधिकारिक दस्तावेज स्वयं इन दावों का खंडन करते हैं।
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चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि ईवीएम पूरी तरह ऑफलाइन मशीन है। इसमें न वाई-फाई, न ब्लूटूथ, न इंटरनेट और न ही किसी प्रकार की बाहरी कनेक्टिविटी का प्रावधान है। इसलिए किसी दूरस्थ या डिजिटल छेड़छाड़ की गुंजाइश ही नहीं बचती। मतदान शुरू होने से पहले प्रत्येक ईवीएम में सभी प्रत्याशियों के लिए शून्य वोट दिखाए जाते हैं और सभी दलों के एजेंटों की मौजूदगी में अनिवार्य मॉक पोल कराया जाता है। मॉक वोट हटाने के बाद एजेंटों के संयुक्त हस्ताक्षर से मॉक पोल प्रमाणपत्र तैयार किया जाता है। इसके बाद ईवीएम दो चरणों में रैंडमाइज होती है। पहले जिला स्तर पर, फिर विधानसभा क्षेत्र में बूथ आवंटन के लिए। यह प्रक्रिया सभी दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में होती है, ताकि कोई भी यह नहीं जान सके कि कौन-सी मशीन किस बूथ पर पहुंचेगी।
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न ही किसी गड़बड़ी का आरोप लगाया
चुनाव आयोग के अनुसार, पूरे चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के एजेंट मशीनों की सीलिंग, रैंडमाइजेशन, डिस्पैच से लेकर स्ट्रॉन्ग रूम में रखे जाने तक मौजूद रहते हैं। स्ट्रॉन्ग रूम भी सभी दलों के प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर के बाद ही सील किया जाता है और चौबीसों घंटे और सातों दिन सीसीटीवी निगरानी में रहता है। हैरानी की बात यह है कि राजद ने चुनाव प्रक्रिया के किसी भी चरण में न किसी टूटी सील की शिकायत की, न ही किसी गड़बड़ी का आरोप लगाया।
ईवीएम और वीवीपैट के बीच एक भी बेमेल नहीं पाया गया
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि हर ईवीएम के साथ वीवीपैट जुड़ा होता है, जिससे वोटर अपने वोट की पुष्टि स्वयं देख सकता है। मतदान के बाद यादृच्छिक वीवीपैट गिनती की जाती है और किसी भी विधानसभा क्षेत्र में ईवीएम और वीवीपैट के बीच एक भी बेमेल नहीं पाया गया। इसलिए जगदानंद सिंह के आरोप न किसी प्रमाण पर आधारित हैं, न किसी दस्तावेज़ पर। इतना ही नहीं राजद के अपने एजेंटों ने मॉक पोल प्रमाणपत्र, फॉर्म 17C और स्ट्रॉन्ग रूम सीलिंग रिकॉर्ड पर बिना किसी आपत्ति के हस्ताक्षर किए, जो अब लगाए जा रहे दावों को पूरी तरह खारिज करते हैं।