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Bihar News: कैमूर पहाड़ी का गांव, जहां विकास की राह में बंद है दरवाजा, नहीं होती है लोगों की शादी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कैमूर Published by: आशुतोष प्रताप सिंह Updated Tue, 13 May 2025 12:52 PM IST
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सार

बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जामा खान का विधानसभा क्षेत्र चैनपुर है, जो कैमूर पहाड़ी पर स्थित है। यहां के कई गांवों में अब तक कोई विकास नहीं हुआ है और इसका असर यहां रहने वाले लोगों पर पड़ रहा है।

village of Kaimur Hills where the benefits of any government's development plans have not reached till now
मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग कर रहे हैं संघर्ष - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जामा खान का विधानसभा क्षेत्र चैनपुर है, जो कैमूर पहाड़ी पर है। यहां के कई गांवों में अब तक कोई विकास नहीं हुआ है, और इसका असर वहां रहने वाले लोगों पर पड़ रहा है। बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जामा खान का विधानसभा क्षेत्र चैनपुर है, जो कैमूर पहाड़ी पर स्थित है। यहां कई गांवों में अब तक विकास नहीं हुआ है, और इसका असर वनवासियों पर पड़ रहा है। चैनपुर के रामगढ़ पंचायत के गोसरा गांव में विकास के नाम पर केवल सोलर सिस्टम से बिजली आती है, लेकिन दिन में ही रहती है और रात में अंधेरा रहता है।
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इस गांव में सड़क, नल-जल, स्कूल, आंगनबाड़ी और अस्पताल जैसी जरूरी सुविधाएं नहीं हैं, जिससे लोग बहुत परेशान हैं। सरकारी चापाकल भी बंद है, और लोगों को पीने के लिए केवल कुएं का पानी है, जो दूषित है। यही पानी पूरे गांव में इस्तेमाल होता है। पीएचडी विभाग के कार्यपालक अभियंता ने कहा कि टेंडर हो चुका है और जल्द ही काम पूरा किया जाएगा, जिससे पानी की समस्या हल हो जाएगी।
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'नहीं होती है शादी'

गांव में विकास न होने के कारण यहां के युवक-युवतियों की शादी नहीं हो पाती। गांव की रेखा कुमारी, मालती देवी और विजय खरवार बताते हैं कि गांव में विकास की कमी होने से बहुत परेशानी हो रही है। यहां कोई शादी नहीं करता और अगर किसी तरह शादी हो भी जाए तो यहां की समस्याओं को देखकर वह शादी टूट जाती है। गांव में सड़क, अस्पताल, स्कूल और आंगनबाड़ी जैसी जरूरी सुविधाएं नहीं हैं। बच्चों को पढ़ाई करने के लिए पहाड़ी रास्तों से दूसरे गांव जाना पड़ता है। मेरे गांव में पांचवीं क्लास के बाद बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं। अगर किसी की तबियत खराब हो जाए तो गांव में एम्बुलेंस भी नहीं आती, और अस्पताल जाते-जाते मरीज का देहांत हो जाता है।
नेता वोट लेने के लिए सिर्फ आते है वोट के बाद पलट कर गांव नहीं आते।

'जल्द शुरू होगा काम'

गांव की उर्मिला देवी और विमल खरवार बताते हैं कि यहां विकास के नाम पर कुछ भी नहीं है। पंचायत पहाड़ी के नीचे है, जो 50 किलोमीटर दूर है। गांव में सोलर सिस्टम तो है, लेकिन दिन में बिजली आती है और शाम होते ही चली जाती है। चापाकल महीनों से बंद पड़ा है। गांव में एक कुआं है, जो गांव वालों के जीवन का सहारा है, लेकिन गर्मी में इस कुएं का पानी दूषित हो जाता है, और कभी-कभी पूरा गांव दूषित पानी पीने से बीमार पड़ जाता है।

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पीएचडी विभाग के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि टेंडर हो चुका है और जल्दी ही काम शुरू होगा। रवि प्रकाश, कार्यपालक अभियंता ने कहा कि पानी की समस्या पहाड़ी क्षेत्र में है, लेकिन गांव का टेंडर हो चुका है और जल्द ही काम पूरा करके ग्रामीणों को पानी मुहैया कराया जाएगा।
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